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‘भगवान जगन्नाथ का है कोहिनूर’, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद हीरे को वापस लाने की मांग फिर हुई तेज,बोला ओडिशा का संगठन- राष्ट्रपति दें दखल

ओडिशा के एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने दावा किया है कि कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का है. संगठन ने इसे ब्रिटेन से ऐतिहासिक पुरी मंदिर वापस लाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद ‘कोहिनूर‘ हीरे पर बहस छिड़ गई है. इसको लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में अब ओडिशा के एक संगठन ने भी दावा किया है कि महारानी एलिजाबेथ के क्राउन पर जो कोहिनूर हीरा लगाया गया था, वो ‘भगवान जगन्नाथ’ की संपत्ति है. संगठन का कहना है कि भारत में अपने शासनकाल के दौरान ब्रिटिश लोग इसे अपने साथ ले गए थे. ‘श्री जगन्नाथ सेना’ नाम के इस सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इस मामले में दखल देने की अपील की है और मांग की है कि ब्रिटेन से ‘कोहिनूर’ को भारत वापस लाया जाए.

महारानी के बेटे प्रिंस चार्ल्स के सिंहासन संभालने के साथ ही 105 कैरेट का हीरा उनकी पत्नी डचेस कॉर्नवॉल कैमिला के पास चला गया है. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद सोशल मीडिया पर कोहिनूर को भारत वापस लाने की मांग उठने लगी है. कई ट्विटर यूजर्स ने गंभीरता से इस मुद्दे को उठाया है और कहा है कि ‘कोहिनूर’ हीरा भारत का है. इसे ब्रिटेन से देश वापस लाया जाना चाहिए. पुरी स्थित ‘श्री जगन्नाथ सेना’ संगठन ने इस संबंध में राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में कहा गया कि ‘कोहिनूर’ 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर का है. इसलिए इसे वापस लाने के लिए इस मामले में हस्तक्षेप करें.

कोहिनूर’ जगन्नाथ भगवान का ‘हीरा’

शिवसेना संयोजक प्रिया दर्शन पटनायक ने इस ज्ञापन में कहा, ‘कोहिनूर श्री जगन्नाथ भगवान का हीरा है. अब ये हीरा इंग्लैंड की महारानी के पास है. हमारी अपील है कि भगवान जगन्नाथ का कोहिनूर हीरा भारत वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से अपील करें. क्योंकि महाराजा रणजीत सिंह ने इसे अपनी मर्जी से भगवान जगन्नाथ को दान किया था.’

इस बीच, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी एक दावा किया और कहा कि जब पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानिस्तान के नादिर शाह के खिलाफ लड़ाई में जीत हासिल की थी, तब उन्होंने कोहिनूर पुरी के जगन्नाथ भगवान को दान कर दिया था. हालांकि, इसे तुरंत नहीं सौंपा गया था. वहीं, इतिहासकार और शोधकर्ता अनिल धीर का कहना है कि 1839 में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई थी. उनकी मृत्यु के 10 सालों के बाद ब्रिटिशर्स (अंग्रेजों) ने कोहिनूर को उनके बेटे दलीप सिंह से छीन लिया था. जबकि वे ये बात जानते थे कि ये हीरा पुरी के भगवान जगन्नाथ को दान दिया गया था.

कोहिनूर को लेकर अलग-अलग दावे

कोहिनूर एक बड़ा और बेरंग हीरा है, जो 14वीं सदी की शुरुआत में दक्षिण भारत में मिला था. औपनिवेशिक कालखंड में यह ब्रिटेन के हाथ लग गया था और अब इसका ऐतिहासिक स्वामित्व विवाद का मुद्दा बना हुआ है, जिस पर भारत समेत कम से कम चार देश दावा करते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कुछ साल पहले एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि करीब 170 साल पहले लाहौर के महाराजा ने इंग्लैंड की महारानी के सामने झुकते हुए कोहिनूर हीरा उनके सुपुर्द कर दिया था और इसे अंग्रेजों को सौंपा नहीं गया था. जबकि सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार का रुख था कि करीब 20 करोड़ डॉलर की कीमत वाला यह हीरा ना तो चुराया गया और ना ही अंग्रेज शासक इसे जबरन ले गए, बल्कि पंजाब के पूर्ववर्ती शासकों ने इसे खुद ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया था.

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Pooja Pandey

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