बल्लेबाजों के विकेट एक के बाद एक उड़ते चले गए. किसी भी बल्लेबाज ने विकेट पर टिकने की जहमत नहीं उठाई. अंत में हाल ये हुआ कि उनके 9 विकेट सिर्फ 83 रन पर ही गिर गए.

क्रिकेट में अक्सर नीचले क्रम के बल्लेबाजों के बीच बनने वाली साझेदारियां टीम की लाज बचाने के काम आती है. एक ऐसी ही साझेदारी 10वें और 11वें नंबर के बल्लेबाज के बीच जिम्बाब्वे की ही जमीन पर दिखी. इस साझेदारी ने हालांकि टीम को जीत तो नहीं दिलाई पर उसे बुरी तरीके से हारने से जरूर बचा लिया. 10वें और 11वें नंबर के बल्लेबाजों का ये जोर जिम्बाब्वे और बांग्लादेश के बीच तीसरे वनडे में देखने को मिला.
मुकाबले में पहले बांग्लादेश ने बल्लेबाजी की थी. पहले खेलते हुए उसने 50 ओवर में 9 विकेट पर 256 रन बनाए. जवाब में जिम्बाब्वे की टीम जब बल्लेबाजी करने उतरी तो उसकी हालत बेहद खराब दिखी.
जिम्बाब्वे के बल्लेबाज जब विकेट पर जमना भूले
जिम्बाब्वे के बल्लेबाजों के विकेट एक के बाद एक उड़ते चले गए. किसी भी बल्लेबाज ने विकेट पर टिकने की जहमत नहीं उठाई. अंत में हाल ये हुआ कि उनके 9 विकेट सिर्फ 83 रन पर ही गिर गए यानी टीम के सामने 257 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 100 रन बनाने के भी लाले पड़ गए.
लेकिन, इसके बाद जो देखने को मिला वो कमाल का रहा. जो काम जिम्बाब्वे के टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों ने नहीं किया, जो काम उसके मिडिल ऑर्डर ने नहीं किया, वो काम दो पुछल्ले बल्लेबाजों यानी 10वें और 11वें नंबर के बल्लेबाज करते दिखे.
10वें और 11वें नंबर के बल्लेबाज ने जोड़े 68 रन
10वें और 11वें नंबर के बल्लेबाज रिचर्ड और न्यूची ने मिलकर 10वें विकेट के लिए 68 रन की पार्टनरशिप की. रिचर्ड ने 34 रन जबकि विक्टर न्यूची ने 26 रन बनाए. इसके बाद तीसरा सबसे ज्यादा 25 रन एक्सट्रा से आए. इन सबके बाद टीम का स्कोर 9 विकेट पर 83 रन से 151 रन तक पहुंचा. हालांकि, जिम्बाब्वे को जीत फिर भी नहीं मिली. तब भी उसे 105 रन से तीसरा वनडे गंवाना पड़ा. लेकिन इस साझेदारी ने हार का अंतर जो एक वक्त और भी बड़ा दिख रहा था, उसे कम करने का काम किया.
बता दें कि जिम्बाब्वे ने बांग्लादेश के खिलाफ 3 मैचों की वनडे सीरीज 2-1 से जीती थी. खास बात ये है कि 10वें और 11वें नंबर वाले ये दोनों खिलाड़ी भारत के खिलाफ भी खेलते दिखेंगे. बांग्लादेश के खिलाफ जिस तरह से पूरी जिम्बाब्वे की टीम खेली है उससे लगता है कि टीम इंडिया के लिए काम आसान नहीं होगा.