26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मामले में प्रत्यर्पण के बाद तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत लाया जा रहा है

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था। इस हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी, जिनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इस जघन्य अपराध में पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा की संलिप्तता महत्वपूर्ण रही है। हाल ही में, अमेरिकी अदालतों ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जिससे इस मामले में न्याय की प्रक्रिया में एक नया मोड़ आया है।
तहव्वुर राणा की पृष्ठभूमि
तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी में हुआ था। उन्होंने अटक जिले के हसन अब्दाल में स्थित कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल से चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की। इसी कॉलेज में उनकी मुलाकात डेविड हेडली से हुई थी, जो बाद में लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा ऑपरेटिव बना। राणा और उनकी पत्नी, जो स्वयं चिकित्सक हैं, 1997 में कनाडा आ गए और जून 2001 में कनाडा की नागरिकता प्राप्त की। वे मुख्य रूप से शिकागो में रहते थे और एक आव्रजन सेवा एजेंसी सहित कई व्यवसायों के मालिक थे।
मुंबई हमले में राणा की भूमिका
मुंबई पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, राणा ने आतंकवादियों को हमले की जगह बताने और भारत में आने के बाद रुकने के ठिकाने बताने में मदद की थी। उसने ही ब्लूप्रिंट तैयार किया था, जिसके आधार पर हमले को अंजाम दिया गया। राणा और हेडली ने मिलकर आतंकवादी साजिश रची थी, जिसमें राणा की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
अमेरिका में गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण प्रक्रिया
राणा को 2009 में एफबीआई ने शिकागो से गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप था कि उसने मुंबई हमले की साजिश रचने में डेविड हेडली की मदद की थी। अदालत में अभियोजकों ने तर्क दिया कि राणा जानता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम कर रहा है और उसने हमले की योजना बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
अगस्त 2024 में, अमेरिकी अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। इसके बाद, भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक चैनलों के माध्यम से राणा को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हुई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम अमेरिका जाने की तैयारी कर रही है ताकि प्रत्यर्पण की औपचारिकताएं पूरी की जा सकें। यह कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अंतिम कानूनी चुनौतियां
प्रत्यर्पण के खिलाफ राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। अदालत ने माना कि राणा पर भारत में लगे आरोप अलग हैं, इसलिए ‘नॉन बिस इन आइडेम’ नियम लागू नहीं होगा। इसके बाद, प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज हुई और राणा को भारत लाने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका का आभार व्यक्त किया है। यह कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और उम्मीद जताई जा रही है कि इससे न्याय की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
निष्कर्ष
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण और भारत लाया जाना मुंबई हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम भारत और अमेरिका के बीच सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है। अब राणा के खिलाफ भारत में मुकदमा चलेगा, जिससे इस जघन्य अपराध में शामिल सभी दोषियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी।