पंचांग वैदिक ज्योतिष में प्रचलित ग्रहों की स्थिति के आधार पर दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने के लिए शुभ और अशुभ समय निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला कैलेंडर है। इसमें पांच तत्व शामिल हैं।

श्री दुर्गाष्टमी व्रत। श्री राधाष्टमी। महर्षि दधीचि जयंती। सूर्य दक्षिणायन, सूर्य उत्तर गोल। वर्षा ऋतु। सायं 4 बजकर 30 मिनट से सायं 6 बजे तक राहुकालम्।
4 सितंबर, रविवार, 13 भाद्रपद (सौर) शक1943, 18 भाद्रपद मास प्रविष्टे 2079, 7 सफर सन् हिजरी 1444, भाद्रपद शुक्ल अष्टमी प्रात 10 बजकर 41 मिनट तक उपरांत नवमी, ज्येष्ठा नक्षत्र रात्रि 9 बजकर 43 मिनट तक तदनन्तर मूल नक्षत्र, विषकुंभ योग मध्याह्न 2 बजकर 23 मिनट तक पश्चात प्रीति योग, बव करण—चंद्रमा रात्रि 9 बजकर 43 मिनट तक वृश्चिक राशि में उपरांत धनु राशि में।
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय – 6:00 AM
सूर्यास्त – 6:39 PM
चन्द्रोदय – Sep 04 1:42 PM
चन्द्रास्त – Sep 05 12:02 AM
आज के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त– 04:30 ए एम से 05:15 ए एम
- अभिजित मुहूर्त– 11:55 ए एम से 12:45 पी एम
- विजय मुहूर्त– 02:26 पी एम से 03:17 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त– 06:27 पी एम से 06:51 पी एम
- अमृत काल– 01:22 पी एम से 02:53 पी एम
- निशिता मुहूर्त– 11:57 पी एम से 12:43 ए एम, सितम्बर 05
- सर्वार्थ सिद्धि योग– 09:43 पी एम से 06:01 ए एम, सितम्बर 05
- रवि योग– 09:43 पी एम से 06:01 ए एम, सितम्बर 05
आज के अशुभ मुहूर्त-
- राहुकाल- 05:05 पी एम से 06:39 पी एम
- यमगण्ड- 12:20 पी एम से 01:55 पी एम
- आडल योग– 09:43 पी एम से 06:01 ए एम, सितम्बर 05
- दुर्मुहूर्त– 04:58 पी एम से 05:49 पी एम
- गुलिक काल– 03:30 पी एम से 05:05 पी एम