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फ्लाइट टिकट के नियमों में कल से हो रहा बड़ा बदलाव,क्या कम होगा किराया?

सरकार इस बात की निगरानी करती थी कि एयरलाइन यात्रियों से मनमाना किराया न वसूल सके. हवाई टिकट पर लगने वाले चार्ज की भी निगरानी की जाती थी. अब यह लिमिट खत्म हो रही है, तो कंपनियां यात्रियों से अपने हिसाब से चार्ज वसूल सकती हैं.

Travelers rushing through one of Chicago O’Hare airport terminals.

फ्लाइट टिकट और हवाई किराये को लेकर बुधवार से बड़ा बदलाव होने जा रहा है. सरकार 31 अगस्त से घरेलू हवाई टिकटों पर प्राइस कैप खत्म कर रही है. इसका अर्थ हुआ कि सरकार ने किराये की एक लिमिट तय की थी जिसका पालन एयरलाइन कंपनियों को करना जरूरी था. अब यह प्राइस कैप खत्म किया जा रहा है. इससे कंपनियां अपने हिसाब से टिकटों का किराया बढ़ा-घटा सकती हैं. 27 महीने से हवाई टिकट की कीमतों पर एक लिमिट तय थी जो 31 अगस्त को समाप्त होने जा रही है. अब सवाल है कि क्या प्राइस कैप या किराये की लिमिट खत्म होने से टिकट सस्ती होगी या महंगी.

अब तक सरकार इस बात की निगरानी करती थी कि एयरलाइन कंपनियां यात्रियों से मनमाना किराया न वसूल सकें. हवाई टिकट पर लगने वाले चार्ज की भी निगरानी की जाती थी. अब यह लिमिट खत्म हो रही है, तो कंपनियां यात्रियों से अपने हिसाब से चार्ज वसूल सकती हैं. माना जा रहा है कि एयरलाइन कंपनियां यात्रियों को लुभाने के लिए टिकटों पर डिस्काउंट ऑफर का ऐलान कर सकती हैं. इससे यात्री टिकट के दाम घटने की संभावना है. सरकार ने पहले हवाई यात्रा की टिकटों पर न्यूनतम और अधिकतम प्राइस कैप की लिमिट तय की थी. इससे कंपनियां न तो ज्यादा और ही कम किराया रख सकती थीं.

अपर और लोअर लिमिट खत्म

अब यह लिमिट खत्म हो रहा है तो कंपनियां यात्रियों के लिए ऑफर ला सकती हैं. कम कमाई की सूरत में यात्रियों को लुभाने के लिए ऑफर का ऐलान कर सकती हैं. विमान में लगने वाले तेल यानी कि एटीएफ की कीमतों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है. इससे पहले एयरलाइन कंपनियां लगातार मांग करती रही हैं कि एटीएफ की महंगाई को देखते हुए प्राइस कैप को खत्म किया जाए ताकि वे अपनी कमाई और खर्च को एडजस्ट कर सकें. हालांकि हाल के समय में एटीएफ की कीमतों में गिरावट देखी गई है जो रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ऊंचाई पर चली गई थी.

कोविड महामारी को देखते हुए सरकार ने मई 2020 में फ्लाइट टिकटों पर लोअर और अपर लिमिट तय की थी. लोअर कैप का अर्थ है कि एक निश्चित राशि से नीचे हवाई किराया को कम नहीं किया जा सकता. ऐसा इसलिए किया गया था ताकि कम कमाई वाली एयरलाइन भी अपना काम चला सके. अपर लिमिट इसलिए तय की गई थी ताकि कंपनियां यात्रियों से मनमाने ढंग से किराया न वसूलें. फिलहाल एयरलाइन कंपनियां 2900 रुपये से कम और 8800 रुपये से अधिक हवाई किराया नहीं वसूल सकतीं. यह 40 मिनट से कम की फ्लाइट के लिए है.

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Pooja Pandey

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