कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि मेरे हलके के अलावा राजस्थान के समर्थकों की ओर से काफी लंबे समय से कहा जा रहा था कि आप अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें। मैंने अपने समर्थकों से बातचीत के बाद ही काफी सोच विचार कर यह कदम उठाया है।

आदमपुर के पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई आज भाजपा में शामिल हो गए। दिल्ली में उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा। कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद गुरुवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ उनके पुत्र भव्य बिश्नोई, मां जसमा देवी व पत्नी रेणुका बिश्नोई ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। कुलदीप ने साफ कर दिया है कि आगे की राजनीति वे और उनके पुत्र करेंगे। उनकी पत्नी रेणुका चुनाव नहीं लड़ेंगी।
कुलदीप बिश्नोई ने गुरुवार को भाजपा में शामिल होने के बाद कहा, मैं कांग्रेस को सलाह देना चाहता हूं कि इंदिरा जी और राजीवी की की कांग्रेस और उनकी विचारधारा कुछ और थी. आज की कांग्रेस इन दोनों नेताओं की विचारधारा से बिल्कुल अलग दिशा में जा चुकी है. भाजपा नेता ने कहा, अगर वह (कांग्रेस) फिर से भाजपा से मुकाबला करना चाहते हैं तो उन्हें अपनी उस पुरानी विचारधारा पर फिर से जाना होगा.
बता दें कि कुलदीप बिश्नोई की पत्नी और पूर्व विधायक रेणुका बिश्नोई भी भाजपा में शामिल हो गईं हैं. राजधानी दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में उन्होंने केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर , पार्टी महासचिव अरुण सिंह , राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी और प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की मौजूदगी में भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ली.
अब भाजपा के सहारे सत्ता से दूरी कम करने की तैयारी
पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पुत्र के तौर पर राजनीति शुरू करने के बाद कुलदीप बिश्नोई ने पार्टियां तो कई बदलीं, लेकिन उन्हें कोई रास नहीं आया। अब भगवा रंग में रंग कर पिता-पुत्र दोनों राजनीति करेंगे। उनके भाजपा में आने से क्षेत्र के लोगों में उम्मीद जगी है कि भजनलाल के समय में होने वाली परिवार की चौधर एक बार फिर लौटेगी। कुलदीप भिवानी से सांसद रहे और आदमपुर से विधायक रहे, लेकिन सत्ता में शामिल होने का मौका उन्हें नहीं मिला।
कुलदीप के पिता पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल हरियाणा में कांग्रेस की धुरी थे। उनके इशारे पर हरियाणा कांग्रेस चलती थी। एक दौर यह था कि भजनलाल मुख्यमंत्री होते थे और सत्ता आदमपुर और पंचकूला दोनों जगह से चलती थी। आधा हरियाणा उन्हें आदमपुर में मिलने के लिए जाता था तो आधा हरियाणा पंचकूला मिलने के लिए जाता था। भजनलाल के मुख्यमंत्री न बन पाने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुलदीप के भाई चंद्रमोहन को उपमुख्यमंत्री बनाया। उपमुख्यमंत्री रहते हुए चंद्रमोहन ने कांग्रेस में अच्छी पारी खेली, लेकिन फिजा प्रेम उन्हें ले डूबा। अंतत: चंद्रमोहन को उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
सिद्धांतों से भटक गई कांग्रेस
कुलदीप ने कहा कि कांग्रेस अब सिद्धांतों से भटक गई है। चाटुकारों की पार्टी बनकर रह गई है। ऐसे लोग पार्टी को चला रहे हैं, जिन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़े। अगर लड़े भी तो आज से तीस साल पहले। पूरे देश में गलत फैसले लिए जा रहे हैं। कुलदीप ने कहा कि कांग्रेस अब पूरी तरह से खत्म होने जा रही है।
मुझे कोई नोटिस नहीं मिला
कुलदीप ने जब पूछा गया कि ईडी के नोटिस के दबाव में तो वे ऐसा कदम नहीं उठा रहे। उन्होंने कहा मेरे पास कभी ईडी का नोटिस नहीं आया और न ही ईडी का कोई केस है। इनकम टैक्स के नोटिस आए थे, जिनमें से अधिकतर खत्म हो गए हैं। मैंने नैतिकता, ईमानदारी और सिद्धांतों की राजनीति की है। मेरे दामन पर कभी कोई दाग नहीं लगा।
हुड्डा को चुनौती दी
पिछले दिनों पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुलदीप को चुनौती दी थी और कहा था कि वे विधानसभा से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन करें और फिर चुनाव लड़ें, उन्हें पता लग जाएगा। हुड्डा की इस चुनौती को स्वीकार करते हुए बुधवार को कुलदीप ने कहा, ‘मैंने चुनौती स्वीकार कर ली है। हुड्डा साहब 10 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। अब वे मेरे बेटे भव्य या मेरे खिलाफ आदमपुर से चुनाव लड़ें। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा’।
गीता भुक्कल ने घेरा
पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कुलदीप के भाजपा में जाने पर कहा कि प्रदेश की जनता उनसे पूछे कि वे कितने दिन विधानसभा में आए और क्षेत्र के कितने मुद्दे उठाए। वे बहुत महत्वाकांक्षी हैं। या तो वे मुख्यमंत्री पद चाहते हैं या फिर प्रदेश अध्यक्ष इससे नीचे उनकी बात नहीं बनती।