तीन भागों में बंटे दिल्ली नगर निगम को केंद्र सरकार ने फिर से एक करने जा रही है।

दिल्ली नगर निगम को फिर से एक करने की तैयारी की जा रही है। तीन भागों में बंटी एमसीडी को एक करने के लिए मोदी सरकार की कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। हाल ही में चुनाव आयोग ने होने वाले एमसीडी चुनाव को यह कहकर टाल दिया था कि केंद्र सरकार साउथ, नॉर्थ और ईस्ट एमसीडी को मिलाकर फिर से एक करने जा रही है। अब खबर है कि कैबिनेट ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। पहले भी दिल्ली नगर निगम एक हुआ करता था। फिर कांग्रेस सरकार के समय में इसे और बेहतर शासन के लिए तीन भागों में विभाजित कर दिया गया था। अभी तीनों ही निगमों पर बीजेपी का कब्जा है।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों में विभाजित करने का प्रयोग अब तक असफल रहा है. नगर निगम को विभाजित करने के बाद से ही नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, उलटे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया था. साल 2011 में जब दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं, तो उन्होंने दिल्ली विधानसभा ने एक प्रस्ताव पास किया था, जिसे केंद्र सरकार ने अपनी स्वीकृति दी थी. इसके बाद तीनों नगर निगमों का पहली बार चुनाव 2012 में हुआ. उस समय दिल्ली और केंद्र दोनों जगहों पर कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी का राज था.
अपनाई जा सकती है मेयर-इन-काउंसिल व्यवस्था
बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार का दखल निगम में बेहद कम करने के लिए मेयर-इन-काउंसिल व्यवस्था अपनाई जा सकती है, जिसमें मेयर और उसके पार्षदों को शहर के लोग सीधे चुनेंगे. अगर ऐसा होता है तो वह राज्य के सीएम अरविंंद केजरीवाल से ज्यादा प्रभाव वाला माना जाएगा, क्योंकि सीएम तो सिर्फ एक विधानसभा से विधायक के तौर पर चुना जाता है. वहीं, मेयर और पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है.
कैसे थे 2017 में हुए नगर निगम चुनाव के नतीजे
2012 के चुनाव में तीनों नगर निगमों में बीजेपी की शानदार जीत दर्ज की थी. बीजेपी 272 में से 138 सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि कांग्रेस पार्टी को 77 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. 2017 में जब दूसरी बार नगर निगम का चुनाव हुआ तो बीजेपी की एकतरफा जीत हुई और बीजेपी के सीटों की संख्या 138 से बढ़ कर 181 पर पहुंच गई थी. 2017 में पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ते हुए आम आदमी पार्टी 49 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही और कांग्रेस 31 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.