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योगी के गढ़ में हाथी की चाल; क्‍या गुल खिलाने की कोशिश कर रही है बीएसपी? जानिए क्या है बीएसपी की रणनीति

यूपी विधानसभा चुनाव में पहले धीमी गति से चल रही लेकिन अब पूरे दमखम के साथ उतरी बसपा ने गोरखपुर की 9 सीटों पर जातीय समीकरणों के हिसाब से बिसात बिछा दी है। पार्टी के कोर वोटर और प्रत्याशी के वर्ग के वोटरों के अलावा सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर पार्टी अपनी जीत पक्की करने की कोशिश में जुटी है। शहर में दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर भरोसा जताते हुए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है।

यूपी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी अपने बलबूते चुनाव लड़ रही है और बीएसपी पर उसके विरोधियों ने आरोप लगाया कि वह चुनाव में निष्क्रिय हो गई है. जबकि बीएसपी का दावा था कि वह राज्य में जमीन पर काम कर रही है और मीडिया और सोशल मीडिया से दूर है. वहीं बीएसपी अब पूरी ताकत के साथ जातीय समीकरणों के आधार पर चुनावी मैदान में है. बीएसपी ने सीएम सिटी गोरखपुर की 9 सीटों के लिए खास रणनीति तैयार की है और कोर वोटर और प्रत्याशी के वोटरों के अलावा सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को आजमाया है. फिलहाल सीएम योगी के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर शहर में बीएसपी को दलित-मुस्लिम गठबंधन पर भरोसा है.

अगर बात 2017 के विधानसभा चुनाव की करें तो इस चुनाव में बीएसपी महज 19 सीटें ही जीत सकी थी. जबकि की मोदी-योगी लहर में बीएसपी गोरखपुर की एक सीट पर जीती थी. जबकि बाकी चार सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. वहीं बीएसपी इस बार उन सीटों पर फोकस कर रही है. जिसमें वह पिछली बार दूसरे स्थान पर रही. यही प्रयोग बीएसपी पूरे राज्य में कर रही है. फिलहाल जिले में बीएसपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए बीएसपी चीफ मायावती 26 फरवरी को रैली कर रही है. बताया जा रहा है कि मायावती की रैली से पार्टी का कोर वोटर ज्यादा एक्टिव होगा. वहीं बीएसपी चुनाव में अपने पुराने फार्मूले सोशल इंजीनियरिंग के जरिए समाज के विभिन्न वर्गों को साथ रही है.

सीएम योगी के खिलाफ उतारा है मुस्लिम प्रत्याशी

बीएसपी ने ख़्वाजा शमसुद्दीन को शहर सीट से मैदान में उतारकर मुसलमानों को यह संदेश दिया है कि वह उनकी शुभचिंतक हैं. जबकि एसपी ने यहां से उपेन्द्र शुक्ला की पत्नी को टिकट दिया है. लिहाजा माना जा रहा है कि मुस्लिमों का रूझाने बीएसपी की तरफ होगा. वहीं इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या करीब 40 हजार है. बीएसपी का पहले फोकस दलित मुस्लिम गठबंधन पर है. इसके साथ ही पार्टी की नजर निषाद वोट बैंक पर भी है. यही कारण है कि पार्टी ने ग्रामीण से दारा निषाद और कैंपियरगंज से चंद्रप्रकाश निषाद को टिकट दिया है.

जानिए अन्य सीटों पर किसे दिया टिकट

फिलहाल बीएसपी ने क्षत्रिय वर्ग को लुभाने के लिए सहजनवां से सुधीर सिंह और चिल्लूपर से राजेंद्र सिंह पहलवान को उम्मीदवार बनाया गया है. जबकि चिल्लूपार से 2017 में बीएसपी चुनाव जीती थी और अब इस सीट से जीते हरिशंकर तिवारी के बेटे ने एसपी का दामन थाम लिया है. वहीं वैश्य वर्ग के बीएसपी ने पिपराइच से दीपक अग्रवाल और चौरीचौरा से वीरेंद्र पांडेय को टिकट दिया है. जबकि खजनी से पूर्व मंत्री सदल प्रसाद के भाई विद्यासागर और बांसगांव से पूर्व जिला अध्यक्ष राम नयन आजाद को उतारा है.

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Pooja Pandey

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