महाशिवरात्रि को साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि माना जाता है. इस दिन शिवलिंग की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है.

हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. ये दिन शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा और अर्चना का दिन है. कहा जाता है कि इसी दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस उपलक्ष्य में महादेव के भक्तगण उत्सव मनाते हैं. महादेव का व्रत और पूजन करने के अलावा तमाम मंदिरों से भगवान शिव की बारात निकाली जाती है और विधि-विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह किया जाता है. वहीं शिवपुराण में कहा गया है कि महाशिवरात्रि की रात को आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्य के समान प्रभाव वाले शक्तिशाली शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे. इसलिए इस रात को जागरण की रात्रि कहा जाता है. इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च को मंगलवार के दिन पड़ रही है. अगर आप भी महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं, तो इस दिन शिवलिंग का पूजन जरूर करें. यहां जानिए महाशिवरात्रि से जुड़ी तमाम जरूरी बातें.
क्यों करना चाहिए शिवलिंग की पूजा?
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन महादेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मानव जाति के अत्यंत करीब होते हैं. कहा जाता है कि इस दिन हर शिवलिंग में शिव स्वयं विराजमान होते हैं. ऐसे में शिवलिंग का पूजन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन को बड़े अनुष्ठानों का दिन माना जाता है. इस दिन यदि सच्चे मन से शिवलिंग का पूजन किया जाए तो प्रभु भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं.
पूजन और व्रत विधि
सुबह स्नान करके महादेव और मां पार्वती के सामने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें. महादेव पर पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, बेर, चंदन, अक्षत, दक्षिणा आदि चढ़ाएं. धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करें. शिवस्तुति व शिवस्त्रोत का पाठ करें. सुबह और शाम को महादेव और माता पार्वती की आरती करें. संभव हो तो शिवरात्रि की रात में जागकर महादेव का पूजन करें.
ये गलतियां भूलकर भी न करें
शिव जी को चंपा या केतकी का फूल अर्पित न करें. कनेर, गेंदा, गुलाब, आक आदि के फूल चढ़ाएं
रोली और हल्दी भूलकर भी न चढ़ाएं.
महादेव की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है, इसलिए तुलसी अर्पित न करें.
टूटे हुए अक्षत का इस्तेमाल पूजा के दौरान न करें.