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पैंगोंग लेक पर पुल बनाकर दक्षिणी किनारे पर कितना मजबूत हो जाएगा चीन?

1 जनवरी से ही चीन में नया सीमा क़ानून लागू हो गया है, जो सभी चीनी नागरिकों को हमेशा देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए ज़िम्मेदार बनाता है. इस क़ानून में चीन के सीमान्त इलाकों में में नए गावों को बसने का भी प्रावधान है. ज़ाहिर है कि भारत को LAC पर हर समय सचेत रहने की ज़रुरत है.

पूर्वी लद्दाख जहां चीन और भारत LAC के दोनों तरफ एक दूसरे के बहुत क़रीब नज़रें गड़ाए खड़े हैं, वहां पैंगोंग लेक से एक बहुत महत्वपूर्ण खबर है. डेमियन साइमन एक भौगोलिक इंटेलिजेंस एक्सपर्ट हैं. उन्होंने इस इलाके की सैटेलाइट से खींची गयी तस्वीरों को देख कर बताया है कि चीन अपनी सीमा की तरफ ही पैंगोंग लेक के दो सबसे नज़दीक पाटों को जोड़ने के लिए एक पुल बना रहा है.

इस पुल के तैयार होते ही चीन जब भी ज़रुरत पड़े तब पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर फ़ौरी तौर पर सैनिक और अस्लाह तैनात करने में सक्षम हो जाएगा. साइमन ने इस सूचना के साथ जो तस्वीर या नक़्शा ट्वीट किया है उसमें साफ़ दिखता है कि यह पुल लगभग तैयार हो चुका है. इस पुल का निर्माण प्री फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर से हो रहा है और इसका लक्ष्य है कि जिस तरह भारत ने 2020 में अगस्त महीने के अंत में चीन को छकाते हुए पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे की चोटियों पर अपने सैनिक तैनात कर दिए थे, ऐसा फिर न हो जाए.

खुरनाक की दूरी 150 किलोमीटर कम हो जाएगी

चीन जहां यह पुल बना रहा है उस जगह का नाम खुरनाक है. इस पुल के बनने से पहले रूडोक में अपने सैनिक ठिकाने से चीन को खुरनाक पहुंचने के लिए 200 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता था, अब यह दूरी मात्र 50 किलोमीटर की रह जाएगी. यही नहीं, PLA ने पुल को दोनों तरफ रास्तों को जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण भी शुरू कर दिया है.

भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि अगस्त 2020 में भारत ने चीन को पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर जैसा गच्चा दिया था उससे चीन ने सबक लिया है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि भविष्य में भारतीय सैनिक पैंगोंग के दक्षिणी किनारे की ऊंचाइयों को कंट्रोल न करने लगें.

दूर की सोच रहा है चीन

सच्चाई यह है कि जब सितम्बर 2020 से लेकर 2021 के मध्य तक भारत और चीन में पूर्वी लद्दाख में तनातनी चल रही थी, तभी चीन ने अपने मोल्डो गैरीसन तक एक ऐसी सड़क का निर्माण कर लिया था, जो दक्षिणी ऊंचाइयों पर बैठे भारतीय सैनिकों के निगाहों से बच कर जाती थी. आपको याद ही होगा 2021 के फरवरी माह में भारत और चीन के बीच LAC के इस हिस्से में पीछे हटने पर सहमति बन गयी थी और और उस पर कार्रवाई भी हुई थी.

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन दूर की सोच रहा है और नए निर्माण से यह पक्का कर लेना चाहता है कि पैंगोंग के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना का मुक़ाबला करने के लिए एक से ज़्यादा रास्तों का विकल्प उसके पास मौजूद हो. इसके साथ साथ उसने हेलीपोर्ट, मिसाइल साइटें और सैनिकों के लिए रहने की जगहें भी बनाई हैं.

चीन का दोहरा मापदंद अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ

चीन की तरह ही भारत ने भी पूर्वी लद्दाख के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इलाकों में नई सड़कें, सुरंगें और अंडरग्राउंड हथियार भंडार बनाए हैं, और युद्ध की स्थिति में इस्तेमाल के लिए नए उपकरण भी तैनात किये हैं. यहां यह बताना ज़रूरी है कि विगत में कई बार चीन ने भारत द्वारा LAC के अपने तरफ किये गए निर्माण का ज़बरदस्त विरोध किया है और तोड़फोड़ की हरकत भी की है, लेकिन LAC के अपनी तरफ़ उसे निर्माण करने में कुछ भी ग़लत दिखाई नहीं देता. यह दोहरा मापदंड अंतरराष्ट्रीय क़ायदे क़ानून से मेल नहीं खाता.

साल 2020 के बाद दोनों देशों ने 50-50 हज़ार से ज़्यादा सैनिक उत्तर में देपसांग प्लेन से लेकर दक्षिण में डेमचोक तक इन बर्फीली पहाड़ों पर तैनात कर रखे हैं. एक और बात, आपको याद होगा, जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन ने लगभग 40 फौजी खोए थे.

चीन से सावधान रहने की जरूरत

अब ट्विटर पर एक विडियो ट्वीट वाइरल हो रहा है जो दो दिन पहले, 1 जनवरी को गलवान घाटी में PLA द्वारा चीनी झंडे के फहराने का है. इस विडियो में चीनी सैनिक अपनी मातृभूमि की रक्षा करने की क़सम खाते दिखाई दे रहे हैं. विडियो के बारे में बताया गया है कि यह झंडा तियानानमेन स्क्वेयर से गलवान भेजा गया. तियानानमेन स्क्वेयर वही जगह है जहां जून 1989 में जनतांत्रिक रूप से विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने हिंसक कार्रवाई कर 200 चीनी नागरिकों को मौत की नींद सुला दिया था.

यह ट्वीट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 1 जनवरी से ही चीन में नया सीमा क़ानून लागू हो गया है, जो सभी चीनी नागरिकों को हमेशा देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए ज़िम्मेदार बनाता है. इस क़ानून में चीन के सीमान्त इलाकों में में नए गावों को बसने का भी प्रावधान है. ज़ाहिर है वह भी चीन की सलामी स्लाइसिंग नीति का हिस्सा है. इसलिए भारत को LAC पर हर समय सचेत रहने की ज़रुरत है.हालांकि भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया है कि ट्विटर विडियो में जो जगह दिखाई गई है वह इस क्षेत्र में असैनीकृत इलाके का उल्लंघन नहीं करती.

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Pooja Pandey

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