प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने तकनीक और नवाचार के क्षेत्रों में साझेदारी को आगे बढ़ाने के भारत के संकल्प को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और टेस्ला व स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क के बीच शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें तकनीक, नवाचार और उभरते क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। इस बातचीत को भारत-अमेरिका रणनीतिक तकनीकी साझेदारी की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
तकनीकी नवाचार में भारत की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत भविष्य की तकनीकों में न केवल भागीदार बनना चाहता है, बल्कि नेतृत्व भी करना चाहता है। उन्होंने एलन मस्क को भारत में तकनीकी विकास, स्टार्टअप्स और डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में हो रहे तीव्र विकास की जानकारी दी।
उन्होंने कहा:
“भारत तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है। हमारे युवाओं में अपार ऊर्जा और विचारशीलता है, जो वैश्विक समस्याओं के लिए समाधान पेश कर सकते हैं।”
टेस्ला और भारत: संभावनाओं की दुनिया
एलन मस्क ने भारत में टेस्ला की भविष्य की योजनाओं को लेकर उत्सुकता जताई। उन्होंने संकेत दिया कि इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) उत्पादन, बैटरी निर्माण और ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए भारत एक प्रमुख बाजार बन सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि टेस्ला भारत के साथ दीर्घकालिक साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध है।
एलन मस्क ने कहा:
“भारत एक उभरता हुआ तकनीकी हब है। हम यहां निवेश करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं। भारत की युवा प्रतिभा और सरकार की प्रगतिशील नीति हमारे लिए आकर्षक हैं।”
अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग की संभावना
बातचीत में अंतरिक्ष क्षेत्र में भी सहयोग की संभावनाएं सामने आईं। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और मस्क की कंपनी SpaceX के बीच संभावित साझेदारी पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो की चंद्रयान और गगनयान जैसी परियोजनाओं की जानकारी दी और भविष्य में वैश्विक मिशनों में निजी कंपनियों की भागीदारी को लेकर नीति का संकेत भी दिया।
भारत का डिजिटल बुनियादी ढांचा
पीएम मोदी ने भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे – जैसे डिजीटल पेमेंट, डिजिटल आइडेंटिटी (आधार), यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) – की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे भारत ने तकनीक का उपयोग करके 140 करोड़ लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है।
उन्होंने कहा:
“हमने तकनीक को लोगों के अधिकार में देने का काम किया है, और यही भारत की डिजिटल क्रांति की असली ताकत है।”
एआई, 5G और क्वांटम कंप्यूटिंग में साझेदारी की संभावनाएं
बातचीत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), 5G, और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में भी सहयोग की जरूरत पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत इन क्षेत्रों में स्टार्टअप और वैश्विक कंपनियों के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) का केंद्र बनना चाहता है।
एलन मस्क ने कहा:
“भारत में एआई और क्लाउड टेक्नोलॉजी को लेकर अभूतपूर्व ऊर्जा है। हम टेस्ला और अन्य कंपनियों के जरिए भारत में R&D हब खोलने पर विचार कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी की तकनीक में रुचि
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी और एलन मस्क की बातचीत हुई हो। इससे पहले 2023 में जब पीएम मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, तब उन्होंने मस्क से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी। दोनों के बीच तकनीक, नवाचार और भविष्य के परिवहन को लेकर गहन चर्चा हुई थी।
पीएम मोदी की तकनीक के प्रति गहरी रुचि जगजाहिर है। उन्होंने न केवल डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों की शुरुआत की, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में नीतिगत प्रोत्साहन भी दिया है।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
टेक्नोलॉजी और नवाचार में भारत की भूमिका अब वैश्विक होती जा रही है। अमेरिका, जापान, यूरोप और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ भारत की तकनीकी साझेदारियां लगातार बढ़ रही हैं। भारत के सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डेटा वैज्ञानिक और AI विशेषज्ञ अब विश्व भर में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा
पीएम मोदी और एलन मस्क की इस बातचीत को भारत के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा के रूप में देखा जा रहा है। भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में पहले से ही 100 से अधिक यूनिकॉर्न मौजूद हैं, और सरकार के सहयोग से यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।
डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत स्किल इंडिया, AI शिक्षा और तकनीकी इनक्यूबेशन सेंटर भी स्थापित किए जा रहे हैं ताकि युवाओं को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलन मस्क की बातचीत एक नई वैश्विक साझेदारी की शुरुआत हो सकती है, जो भारत को भविष्य की तकनीकों में अग्रणी बना सकती है। यह सहयोग न केवल भारत की आर्थिक शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक नवाचार के केंद्र में भी भारत को स्थापित करेगा। आने वाले समय में इस साझेदारी से रोजगार, तकनीकी सशक्तिकरण और पर्यावरण अनुकूल विकास को बढ़ावा मिलेगा।