जब उनसे पूछा गया कि क्या यह दौरा राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की भूमिका है, तो राज्यपाल ने सीधा जवाब देने से परहेज़ किया। उन्होंने कहा, “राज्यपाल होने के नाते मुझे सतर्क रहना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “मैं राष्ट्रपति शासन पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। यह ममता बनर्जी की राय है कि मुझे नहीं जाना चाहिए, लेकिन मैं जाना चाहता हूँ।”

पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर चल रहे विरोध के बीच राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद जिले के हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया, जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी थी। यह दौरा न केवल प्रशासनिक हलकों में, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्य में बढ़ते तनाव के बीच यह घटनाक्रम एक अहम मोड़ की ओर इशारा करता है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और वक्फ अधिनियम पर विवाद
पश्चिम बंगाल में हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर तीव्र विरोध देखने को मिल रहा है। मुस्लिम समुदाय के बड़े हिस्से का मानना है कि यह अधिनियम उनकी धार्मिक और संपत्ति संबंधी अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस अधिनियम को लेकर पश्चिम बंगाल के कई जिलों, विशेषकर मुर्शिदाबाद में, विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं। दुकानें जलाने, सड़कें जाम करने और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
राज्यपाल का दौरा: ममता बनर्जी की असहमति के बावजूद
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से राज्यपाल से अपील की थी कि वे मौजूदा हालात को देखते हुए मुर्शिदाबाद का दौरा न करें। उनका तर्क था कि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है तथा यह कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसके बावजूद राज्यपाल ने दौरे का निर्णय लिया और वह सीधे जिला प्रशासन के अधिकारियों, पुलिस प्रमुख और प्रभावित परिवारों से मिलने पहुंचे।
राज्यपाल ने कहा:
“मैं किसी को उकसाने नहीं, बल्कि शांति और समाधान का रास्ता तलाशने आया हूँ। प्रशासनिक भूमिका में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं ज़मीनी सच्चाई को समझूं।”
क्या यह राष्ट्रपति शासन की भूमिका है?
जब पत्रकारों ने राज्यपाल से यह सवाल पूछा कि क्या यह दौरा राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश का संकेत है, तो उन्होंने स्पष्ट उत्तर देने से बचते हुए कहा:
“राज्यपाल के रूप में मुझे सतर्क रहना चाहिए। मैं राष्ट्रपति शासन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। यह ममता बनर्जी की राय है कि मुझे दौरे पर नहीं जाना चाहिए, लेकिन मैं जाना चाहता हूँ।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्यपाल का यह बयान कई संभावनाओं की ओर संकेत करता है, विशेषकर तब जब राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया और पुलिस की तैनाती
राज्य सरकार ने मुर्शिदाबाद और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भारी पुलिस बल की तैनाती की है। विशेष बलों को बुलाया गया है और इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद किया गया है ताकि अफवाहें न फैलें। पुलिस ने अब तक 113 लोगों को गिरफ्तार किया है और कई अन्य की पहचान की जा रही है।
मुर्शिदाबाद के डीएम ने मीडिया को बताया:
“स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन संवेदनशील इलाकों में अभी भी निगरानी बनाए रखी गई है। हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।”
केंद्र बनाम राज्य: टकराव की राजनीति?
राज्यपाल के इस कदम को केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव के रूप में देखा जा रहा है। ममता बनर्जी का आरोप है कि राज्यपाल का यह दौरा “राजनीतिक ड्रामा” है और इसका उद्देश्य राज्य सरकार को बदनाम करना है। उन्होंने कहा:
“राज्यपाल का यह कदम केंद्र सरकार की योजना का हिस्सा है ताकि बंगाल को अस्थिर दिखाया जा सके और राष्ट्रपति शासन का रास्ता साफ किया जा सके।”
वहीं भाजपा नेताओं ने राज्यपाल के दौरे का स्वागत किया और कहा कि यह “प्रशासनिक ज़िम्मेदारी” का प्रतीक है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा:
“मुख्यमंत्री चाहती हैं कि सच्चाई छिपी रहे, लेकिन राज्यपाल जनता के साथ खड़े हैं।”
प्रभावितों की आपबीती
राज्यपाल के दौरे के दौरान उन्होंने हिंसा से प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। कई परिवारों ने बताया कि किस तरह उनकी दुकानों को आग लगा दी गई, घरों पर पत्थर फेंके गए और बच्चों में डर का माहौल है।
एक स्थानीय निवासी मोहम्मद तौसीफ ने कहा:
“हम राजनीतिक बहस नहीं समझते, लेकिन हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि हमारे घर सुरक्षित रहें और बच्चे स्कूल जा सकें।”
विपक्षी दलों की भूमिका
वाम मोर्चा और कांग्रेस ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। वाम नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि राज्य सरकार की लचर नीतियों के कारण स्थिति बिगड़ी और अब केंद्र तथा राज्य एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, जबकि आम जनता पीड़ित हो रही है।
सोशल मीडिया और सूचना नियंत्रण
इस बीच राज्य सरकार ने सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों को रोकने के लिए कई अकाउंट्स को ट्रैक करना शुरू किया है। अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। कुछ यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज को अस्थायी रूप से ब्लॉक किया गया है।
आगे की राह
अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम को लेकर चल रही सुनवाई, राज्यपाल की रिपोर्ट और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया किस दिशा में जाती है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों को रद्द करता है या सरकार को संशोधन के लिए कहता है, तो बंगाल समेत पूरे देश की राजनीति में इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा।
निष्कर्ष
राज्यपाल का हिंसाग्रस्त मुर्शिदाबाद दौरा सिर्फ एक प्रशासनिक यात्रा नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी है। एक ओर जहाँ राज्य सरकार इसे ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ मान रही है, वहीं राज्यपाल इसे ‘प्रशासनिक जिम्मेदारी’ का हिस्सा बता रहे हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य के बीच और भी टकराव देखने को मिल सकता है।