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बंगाल की बदनामी पर ममता नाराज़, वक्फ कानून को लेकर केंद्र पर साधा निशाना

जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ होते जा रहे हैं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर अपना हमला और भी तीव्र कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह एक राजनीतिक साजिश है और इसके ज़रिए ग़लत जानकारी फैलाकर बंगाल को निशाना बनाया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल में वक्फ एक्ट को लेकर मचा सियासी घमासान अब और भी तेज़ होता जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा जानबूझकर राजनीतिक षड्यंत्र के तहत बंगाल को बदनाम किया जा रहा है और वक्फ संपत्तियों के मुद्दे को ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है। यह विवाद अब सिर्फ कानूनी या धार्मिक दायरे में नहीं रह गया है, बल्कि राजनीतिक गर्मी पकड़ चुका है।

वक्फ एक्ट क्या है?
वक्फ एक्ट भारत में एक कानूनी ढांचा है जिसके अंतर्गत मुसलमान समुदाय द्वारा धार्मिक, सामाजिक या चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए संपत्ति को “वक्फ” के रूप में घोषित किया जाता है। यह संपत्तियां फिर वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में आ जाती हैं। वक्फ बोर्ड इस संपत्ति की देखभाल और प्रबंधन करता है।

हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड और ट्रांसफर को लेकर कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए, जिसे लेकर राज्य सरकारों के साथ टकराव की स्थिति बन गई है, विशेषकर पश्चिम बंगाल में।

मुर्शिदाबाद में तेज़ हो रहे विरोध
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ एक्ट के खिलाफ बीते कुछ दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। स्थानीय नागरिक, विपक्षी दल और मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग इसे सरकारी दखल और धार्मिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप मान रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वक्फ संपत्तियों को लेकर केंद्र सरकार का रवैया संविधान विरोधी और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ है।

ममता बनर्जी का पलटवार
इन विरोध प्रदर्शनों के बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा:

“वक्फ संपत्तियों को लेकर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे झूठे और बेबुनियाद हैं। बंगाल की छवि को जानबूझकर धूमिल किया जा रहा है। यह सब राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार राज्य के अधिकार क्षेत्र में दखल देने की कोशिश कर रही है, और वक्फ एक्ट के नाम पर यह धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास है।

‘बंगाल को क्यों बनाया जा रहा है निशाना?’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि देश के अन्य राज्यों में भी वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन सिर्फ बंगाल को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है? उन्होंने कहा:

“क्या सिर्फ बंगाल में मुसलमान रहते हैं? क्या केवल यहीं वक्फ संपत्तियां हैं? यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि बंगाल ने भाजपा को नकारा है। ये लोग हमें कमजोर समझते हैं, लेकिन हम झुकने वाले नहीं हैं।”

विपक्ष का रुख
इस मुद्दे पर राज्य की विपक्षी पार्टियों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी पर “धार्मिक तुष्टिकरण” का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा:

“ममता बनर्जी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही हैं। केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों को पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है, न कि किसी धर्म विशेष को टारगेट कर रही है।”

वहीं, कांग्रेस और वाम दलों ने इस पूरे विवाद को “केंद्र और राज्य दोनों की विफलता” करार दिया है और मांग की है कि वक्फ संपत्तियों को लेकर सभी राजनीतिक दल मिलकर पारदर्शिता लाएं।

मुस्लिम समुदाय में चिंता
वक्फ एक्ट को लेकर जारी विवाद ने मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग में अनिश्चितता और डर का माहौल पैदा कर दिया है। कुछ लोगों को आशंका है कि केंद्र सरकार की नीतियां धार्मिक आज़ादी में दखल के तौर पर सामने आ सकती हैं।

कोलकाता निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता शेख इमरान कहते हैं:

“हम चाहते हैं कि सरकारें राजनीति छोड़कर साफ नीति अपनाएं। वक्फ संपत्तियां हमारे समुदाय की धरोहर हैं। इन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”

वक्फ बोर्ड की भूमिका पर सवाल
इस पूरे विवाद में वक्फ बोर्ड की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। केंद्र सरकार का आरोप है कि वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, लीज़ और ट्रांसफर में पारदर्शिता नहीं है और भ्रष्टाचार की संभावना बनी रहती है। इसीलिए सरकार इन पर नियंत्रण और निगरानी बढ़ाना चाहती है।

हालांकि राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि कानून के अनुसार ही सभी कार्य किए जाते हैं, और यदि कहीं कोई समस्या है, तो उसके समाधान के लिए संविधानिक रास्ता अपनाया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक हमला।

केंद्र का बचाव
केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वक्फ एक्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि केवल यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि संपत्तियों का दुरुपयोग न हो। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा:

“ममता बनर्जी की चिंता राजनीतिक है। केंद्र केवल वक्फ संपत्तियों का एक डिजिटल रजिस्टर बना रहा है, ताकि पारदर्शिता बढ़े। इससे किसी भी समुदाय को डरने की जरूरत नहीं है।”

राजनैतिक मायने
विधानसभा चुनावों से पहले इस मुद्दे ने नया मोड़ ले लिया है। ममता बनर्जी इसे “बंगाल की अस्मिता और धर्मनिरपेक्षता पर हमला” मान रही हैं, वहीं भाजपा इसे “कानूनी सुधार और पारदर्शिता का मामला” बता रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बन सकता है।

निष्कर्ष
वक्फ एक्ट को लेकर पश्चिम बंगाल में जारी सियासी घमासान फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का केंद्र पर सीधा हमला, मुर्शिदाबाद में हो रहे विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक दलों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं यह दिखाती हैं कि आने वाले समय में यह मुद्दा और भी बड़ा रूप ले सकता है।

जहां एक ओर केंद्र सरकार कानूनी प्रक्रिया और पारदर्शिता की बात कर रही है, वहीं राज्य सरकार इसे राजनीतिक हथकंडा बता रही है। ऐसे में जनता को उम्मीद है कि यह विवाद जल्द खत्म होगा और वक्फ संपत्तियों से जुड़ी कोई भी नीति सभी समुदायों के हित को ध्यान में रखकर तय की जाएगी।

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Harshita Ahuja

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