Eid-ul-Fitr 2025: उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान करने में अपने विश्वास को दोहराया और बीजेपी की “विभाजनकारी राजनीति” का विरोध करते हुए इसे “जुमला राजनीति”

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2025 की ईद उल-फित्र के मौके पर मुस्लिम समुदाय से मिलकर भाईचारे और एकता का संदेश दिया। इस मौके पर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ‘विभाजनकारी राजनीति’ को लेकर तीखा हमला बोला और इसे “जुमला राजनीति” करार दिया। ममता बनर्जी ने इस अवसर पर अपने विश्वास को दोहराया कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए और समाज में शांति और एकता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए।
ईद के खास मौके पर ममता बनर्जी ने कोलकाता के ऐतिहासिक मैदान में आयोजित नमाज में हिस्सा लिया और वहां मौजूद हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह हर धर्म के प्रति समान सम्मान रखती हैं और उनका मानना है कि सभी समुदायों को मिलकर एक दूसरे का आदर करना चाहिए। उनका यह बयान उस समय आया है जब देशभर में राजनीतिक माहौल काफी गर्म है और कई मुद्दों पर मतभेद सामने आ रहे हैं।
ममता बनर्जी का बयान: ‘हम सभी का एक ही धर्म है, वह है इंसानियत’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ईद उल-फित्र की नमाज अदा करने के बाद अपने भाषण में कहा, “हम सभी का एक ही धर्म है, वह है इंसानियत। हमें अपनी-अपनी धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करना चाहिए, लेकिन समाज में किसी भी तरह की नफरत और असहमति के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने के लिए हमें समाज में प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना होगा।
ममता ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी का ध्यान केवल चुनावी लाभ और सत्ता की राजनीति तक सीमित है, जबकि समाज में असहमति और विभाजन की भावना फैलाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने इसे ‘जुमला राजनीति’ करार दिया और कहा कि इससे देश को कोई फायदा नहीं होने वाला। ममता ने साफ तौर पर यह भी कहा कि वह ऐसी राजनीति को नहीं मानतीं और इसके खिलाफ खड़ी रहेंगी।
बीजेपी की ‘विभाजनकारी राजनीति’ को लेकर ममता का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी सरकार के दौरान हमेशा से ही सेकुलरिज़्म और धार्मिक सौहार्द्र को प्राथमिकता दी है। ईद उल-फित्र के अवसर पर दिए गए उनके इस बयान में उनकी यह स्पष्टता दिखाई दी कि वह हर किसी के धार्मिक अधिकारों का सम्मान करती हैं, लेकिन उन्होंने बीजेपी की राजनीति की कड़ी आलोचना की। उनका कहना था, “जो लोग समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि हम सभी एक ही राष्ट्र के नागरिक हैं और हमें एक साथ मिलकर इस देश को और बेहतर बनाना है।”
ममता ने कहा कि बीजेपी की ‘विभाजनकारी राजनीति’ ने देश में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर हम समाज में शांति और सामूहिकता चाहते हैं, तो हमें सभी धर्मों का समान सम्मान करना होगा और विभाजन की किसी भी कोशिश का विरोध करना होगा।
सभी धर्मों के प्रति सम्मान की आवश्यकता
ममता ने अपने भाषण में यह भी कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के रूप में हमें हर धर्म और समुदाय का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई कि धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। “हमारी संस्कृति और परंपराएं हमें यह सिखाती हैं कि हम एक-दूसरे के विश्वासों और धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करें।” उन्होंने यह भी कहा कि जब हम अपने धर्मों के प्रति सम्मान दिखाते हैं, तो हम समाज में शांति और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि ईद जैसे धार्मिक पर्व हमें यह संदेश देते हैं कि हमें अपने व्यक्तिगत भेदभावों को भूलाकर एक-दूसरे के साथ मिलकर शांति और खुशी का वातावरण बनाना चाहिए। उन्होंने इस मौके पर अपने प्रशासन की ओर से हमेशा धार्मिक स्वतंत्रता और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने का वादा किया।
‘जुमला राजनीति’ पर ममता का हमला
ममता बनर्जी ने बीजेपी की नीतियों और चुनावी बयानबाजी पर हमला करते हुए कहा कि उनका पूरा ध्यान केवल सत्ता में बने रहने और जनता को धोखा देने तक सीमित है। उन्होंने ‘जुमला राजनीति’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि बीजेपी केवल चुनावी लाभ के लिए धार्मिक मुद्दों को उछालती है और समाज को बांटने की कोशिश करती है। उनका कहना था कि इस प्रकार की राजनीति से समाज में नफरत फैलती है और यह देश के लिए हानिकारक साबित होती है।
ममता ने आगे कहा, “हमने हमेशा यह कहा है कि पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्षता का शासन रहेगा और हम इसे बनाए रखेंगे। किसी भी पार्टी या समूह को यह अधिकार नहीं है कि वह लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव पैदा करे।” उन्होंने कहा कि बंगाल में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर धर्म, समुदाय और जाति का सम्मान किया जाए।
बीजेपी का विरोध और ममता का एकता का संदेश
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमेशा से ही बीजेपी का विरोध किया है, और यह विरोध उनके राजनीतिक दृष्टिकोण का एक अहम हिस्सा है। उनका मानना है कि बीजेपी के नेतृत्व में भारत में एक धर्म आधारित राजनीति की कोशिश की जा रही है, जो अंततः देश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करेगा। ममता ने हमेशा यह कहा है कि वह बीजेपी की नीतियों के खिलाफ खड़ी रहेंगी, क्योंकि उनका मानना है कि बीजेपी की राजनीति केवल एक समुदाय विशेष के लाभ के लिए काम करती है।
ईद के इस अवसर पर ममता ने एकता, भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता का संदेश देते हुए यह भी कहा कि बंगाल में हम सभी को एक साथ मिलकर देश की तरक्की के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई, सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए और उन्हें समाज में अपनी भूमिका निभाने का समान अवसर मिलना चाहिए।
ईद और धार्मिक सद्भाव
ईद उल-फित्र एक ऐसा अवसर है जब मुसलमानों के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। यह दिन न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है। ममता बनर्जी ने ईद के इस खास मौके पर यह सुनिश्चित किया कि उनके राज्य में साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता बनी रहे। उनके मुताबिक, यही समय है जब हमें अपने अंदर की नफरत और द्वार खोलकर एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
निष्कर्ष
ममता बनर्जी का ईद के मौके पर दिया गया संदेश न केवल बंगाल के लिए, बल्कि देशभर के लिए महत्वपूर्ण है। उनका यह बयान राजनीति से ऊपर उठकर एक मानवीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो समाज में एकता और सामूहिकता को बढ़ावा देता है। इस तरह के बयान केवल राजनीतिक नहीं होते, बल्कि यह समाज में व्याप्त नफरत और भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत आवाज होते हैं। ममता ने साबित कर दिया कि उनका नेतृत्व केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में सद्भाव और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए है।
बीजेपी की ‘विभाजनकारी राजनीति’ के खिलाफ ममता का यह विरोध और उनके द्वारा दिए गए एकता के संदेश से यह साफ हो जाता है कि वह समाज में प्रेम और भाईचारे की भावना को सबसे ऊपर मानती हैं। इस संदेश को हर वर्ग और धर्म के लोगों द्वारा अपनाया जाना चाहिए, ताकि हम एक ऐसा समाज बना सकें, जहाँ हर धर्म, जाति और समुदाय के लोग मिलकर शांति और समृद्धि की ओर बढ़ें।