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छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल और उनके बेटे के ठिकानों पर ED की छापेमारी, शराब घोटाले में संलिप्तता का आरोप

प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में 14 ठिकानों पर छापेमारी की, जिनमें भूपेश बघेल के बेटे, चैतन्य बघेल से जुड़े संपत्तियां भी शामिल हैं। यह छापेमारी एक कथित शराब घोटाले के संबंध में की गई है, जिसमें 2,161 करोड़ रुपये की राशि हड़पने का आरोप है।

प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ राज्य में बड़े पैमाने पर शराब घोटाले के मामले में छापेमारी की। ED ने राज्य भर में 14 स्थानों पर एक साथ कार्रवाई की, जिनमें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े कई संपत्तियां शामिल हैं। इस छापेमारी का संबंध कथित रूप से 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से है, जिसमें आरोप है कि इस राशि को राज्य में अवैध तरीके से हड़पने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिए साजिश की गई थी।

शराब घोटाले का पर्दाफाश और ED की छापेमारी
यह छापेमारी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर की गई और इसने छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी। ED के अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई एक लंबी जांच के बाद की गई, जिसमें यह पाया गया कि राज्य में शराब की बिक्री और वितरण के दौरान बड़ी वित्तीय अनियमितताएं हुई थीं। इन अनियमितताओं का मुख्य उद्देश्य राज्य की शराब नीति से संबंधित सरकारी खजाने से भारी मात्रा में धन की हेराफेरी करना था।

ED ने बताया कि इस मामले में एक अंतरराज्यीय रैकेट के द्वारा सरकारी वसूली को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से अवैध तरीके से शराब की बिक्री की जाती थी। इस रैकेट का संचालन विभिन्न लोगों के समूहों द्वारा किया जाता था, जिसमें स्थानीय व्यापारियों के साथ-साथ कुछ राजनीतिक और प्रशासनिक नेता भी शामिल थे। अधिकारियों ने आरोप लगाया कि इस घोटाले में भूपेश बघेल और उनके परिवार के सदस्य भी कथित तौर पर शामिल हैं।

भूपेश बघेल और चैतन्य बघेल के ठिकानों पर छापेमारी
ED के सूत्रों के अनुसार, भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल से जुड़ी संपत्तियों पर भी छापेमारी की गई। इन संपत्तियों में से कई रिहायशी और कारोबारी स्थान हैं, जिन्हें राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित किया गया है। छापेमारी के दौरान ED ने कई दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक डेटा को जब्त किया, जो जांच में सहायक हो सकते हैं। ED के अधिकारियों ने दावा किया कि यह दस्तावेज घोटाले में शामिल लोगों के नाम और उनकी भूमिका को उजागर करने में मदद कर सकते हैं।

इस मामले में भूपेश बघेल का नाम आने से राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। बघेल, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस पार्टी के नेता हैं, ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। बघेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह केवल एक साजिश है, और मुझे पूरी उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष रूप से होगी और सच्चाई सामने आएगी।”

वहीं, चैतन्य बघेल ने भी इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उनका नाम बेबुनियाद तरीके से घोटाले में जोड़ा जा रहा है। उनका कहना था कि यह छापेमारी केवल उनके खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है और उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताया।

शराब घोटाले में राजनैतिक घमासान
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर राजनीतिक घमासान बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। BJP ने इस मामले में भूपेश बघेल पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि राज्य में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यह घोटाला हुआ है। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि यह घोटाला बघेल सरकार की शराब नीति के तहत बड़े पैमाने पर हुआ है और राज्य के खजाने को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने BJP के इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया और कहा कि यह सब केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई केवल भाजपा की ओर से एक राजनीतिक खेल है, ताकि राज्य में कांग्रेस पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचाया जा सके।

ED की कार्रवाई और इसके प्रभाव
ED की छापेमारी ने न केवल छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचाई, बल्कि यह राज्य में प्रशासनिक तंत्र की गंभीरता पर भी सवाल उठाए हैं। राज्य में शराब घोटाले के आरोप गंभीर हैं और यह दर्शाता है कि कैसे बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की जा सकती हैं। ED की कार्रवाई यह संकेत देती है कि अब सरकारों और प्रशासनिक तंत्र के भीतर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

हालांकि, मामले में अब तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन ED द्वारा किए गए इस कदम को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके बाद, यह भी देखा जाएगा कि क्या राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियां इस मामले में और ठोस कार्रवाई करती हैं या यह मामला केवल राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा बनकर रह जाता है।

निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले का मामला राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है। ED की छापेमारी और इस घोटाले में भूपेश बघेल और उनके परिवार के सदस्यों के नाम आने से राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में भूचाल आ गया है। अब यह देखना होगा कि आगे इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या न्यायिक प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष रहती है। वहीं, इस मामले के राजनीतिक असर को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं, जो आने वाले दिनों में और स्पष्ट होंगे।

राजनीतिक दलों के आरोपों और काउंटर आरोपों के बीच, एक बात स्पष्ट है कि राज्य में शराब घोटाले को लेकर गंभीर जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को दंडित किया जा सके।

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Harshita Ahuja

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