डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने 20 जनवरी को पदभार संभाला, ने लगातार भारत और अन्य देशों द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों की आलोचना की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से ही भारत और अन्य देशों द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों पर लगातार कड़ी आलोचना की है। ट्रंप का यह आरोप है कि भारत और अन्य देश व्यापारिक संबंधों में असमानता बनाए रखते हुए अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाते हैं, जिससे अमेरिकी व्यापारियों और उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ता है। इस मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन ने कई बार सार्वजनिक रूप से भारत के खिलाफ अपने रुख को व्यक्त किया है, और इसे लेकर दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
ट्रंप का बयान: ‘भारत ने किया अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क’
ट्रंप ने हाल ही में अपने बयान में कहा, “भारत और अन्य देशों ने अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगा रखा है, और हमें इस असमानता का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका व्यापारिक नीति के तहत, हम किसी भी देश को हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं देंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में व्यापारिक असंतुलन की स्थिति के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है, और अब समय आ गया है कि इसे ठीक किया जाए।
उनका यह बयान कई हफ्तों से जारी आलोचनाओं की कड़ी का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने भारत को सीधे तौर पर निशाने पर लिया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत में उच्च आयात शुल्क की वजह से अमेरिकी उत्पादों की बाजार में पैठ कम हो रही है और इससे अमेरिकी व्यापारियों को घाटा हो रहा है।
भारत का जवाब: व्यापारिक नीति में सुधार का वादा
भारत ने ट्रंप के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनका देश अपनी व्यापारिक नीति में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों का जवाब देने के लिए भारत को अपनी नीति में बदलाव करना पड़ा। भारतीय अधिकारियों ने कहा, “हमारा देश एक खुला और प्रतिस्पर्धात्मक बाजार प्रदान करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, जब अन्य देश हमारे उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं, तो हमें अपनी नीतियों को बदलने का अधिकार है।”
भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने हमेशा व्यापारिक असंतुलन को दूर करने के लिए सकारात्मक प्रयास किए हैं और हम ट्रंप प्रशासन से वार्ता करने के लिए तैयार हैं, ताकि दोनों देशों के बीच सामंजस्यपूर्ण और फायदेमंद व्यापारिक संबंध कायम किए जा सकें।”
व्यापारिक तनाव का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत पर व्यापारिक आरोप लगाए हैं। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद से ही उन्होंने कई बार भारत पर यह आरोप लगाया है कि वह अमेरिकी उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाता है, जबकि भारत को अमेरिकी बाजार में आसानी से प्रवेश मिलता है। इस मुद्दे को लेकर पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापारिक बातचीत में खींचतान देखी गई है।
भारत, जो पहले से ही उच्च आयात शुल्क की आलोचना का सामना कर रहा था, ने कई बार अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि उनकी शुल्क नीति घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए है। भारत ने यह भी कहा कि वह समझता है कि अमेरिकी व्यापारिक प्राथमिकताएं बदल रही हैं और वह इस दिशा में सुधार करने के लिए तैयार है।
ट्रंप के आर्थिक दृष्टिकोण का असर
ट्रंप का आर्थिक दृष्टिकोण हमेशा “अमेरिका फर्स्ट” के सिद्धांत पर आधारित रहा है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना और विदेशों से आने वाली प्रतिस्पर्धा को नियंत्रित करना है। ट्रंप के कार्यकाल के दौरान, अमेरिका ने कई देशों के साथ ट्रेड वॉर्स शुरू किए थे, जिनमें चीन और यूरोपीय संघ शामिल थे। भारत भी ट्रंप की आलोचना का सामना करने वाला एक प्रमुख देश बना है, हालांकि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते अन्य देशों के मुकाबले कुछ बेहतर हैं।
इसके बावजूद, ट्रंप का मानना है कि भारत में अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए शुल्क अमेरिकी व्यापारियों और उद्योगों के लिए समस्याएं पैदा कर रहे हैं, और इसे ठीक करने के लिए उन्हें ठोस कदम उठाने होंगे। उनका यह रुख और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों में वर्ष 2025 में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।
व्यापारिक रिश्तों में सुधार की दिशा
चीन और यूरोपीय देशों के साथ व्यापार युद्ध के दौरान, अमेरिका ने भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को सुधारने की भी कोशिश की थी। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में दोनों देशों के लिए लाभकारी समझौतों पर बातचीत जारी है। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने कुछ समय पहले भारतीय उत्पादों पर लगाए गए शुल्कों को लेकर सख्त रुख अपनाया था।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह संकेत दिया था कि वे अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए दोनों देशों को अपनी नीतियों में कुछ सुधार करने होंगे। मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत अपने व्यापारिक उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध है, और वह अमेरिका के साथ सहमति के आधार पर व्यापारिक गतिरोध को हल करने के लिए तैयार है।
संभावित समाधान
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव को खत्म करने के लिए दोनों देशों को सहयोग की दिशा में काम करने की आवश्यकता होगी। दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता और समझौतों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते समान और संतुलित रहें।
इसके अतिरिक्त, यह भी जरूरी है कि दोनों देश आपसी हितों के आधार पर व्यापारिक निर्णय लें और किसी भी व्यापारिक असमानता को एक सुसंगत और पारदर्शी तरीके से हल करें। यदि यह दोनों देश मिलकर काम करते हैं, तो न केवल दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि वैश्विक व्यापारिक परिप्रेक्ष्य में भी यह एक सकारात्मक संदेश जाएगा।
निष्कर्ष
ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए उच्च शुल्कों के आरोप और इसके जवाब में भारत की स्थिति ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को एक नई दिशा दी है। अब यह देखने की बात होगी कि क्या दोनों देश इस विवाद को सुलझाने के लिए साझा प्रयास करेंगे या फिर यह मुद्दा व्यापारिक तनाव का कारण बनकर सामने आएगा।