ईडी ने पहले मुख्यमंत्री की पत्नी को मुइसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी से जुड़े कथित वित्तीय गड़बड़ियों की जांच के तहत समन जारी किया था। इस समन ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी ने केंद्रीय एजेंसी पर राजनीतिक विपक्षियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया।

कर्नाटका: कर्नाटका हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम आदेश में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी किए गए समन को रद्द कर दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी, देवी सिद्धारमैया को मुइसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी घोटाले के सिलसिले में तलब किया गया था। इस आदेश ने राज्य में राजनीतिक हलचल मचा दी है, और इसे सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे केंद्रीय एजेंसी द्वारा राजनीतिक द्वेष के रूप में उभारा है।
MUDA घोटाला क्या है?
मुइसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी घोटाले का संबंध कर्नाटका के मुइसूर क्षेत्र से है, जहां से भूमि अधिग्रहण और इसके वितरण से संबंधित कथित वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप है। MUDA के कार्यों में भूमि अधिग्रहण और विकास परियोजनाओं से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जा रही है। एजेंसियां इस मामले में कई वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं से पूछताछ कर रही हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया था कि इस घोटाले के माध्यम से वित्तीय अनियमितताओं का लाभ कुछ खास लोगों को पहुंचाया गया, और इसका संबंध कई शक्तिशाली नेताओं और अधिकारियों से था। इस मामले की जांच के दौरान, सीएम सिद्धारमैया की पत्नी देवी सिद्धारमैया का नाम सामने आया, जिसके बाद ईडी ने उन्हें समन भेजा था।
ED का समन और राजनीतिक विवाद
ईडी ने सीएम सिद्धारमैया की पत्नी देवी सिद्धारमैया को MUDA घोटाले से जुड़ी जांच में शामिल करने के लिए समन जारी किया था। समन मिलने के बाद से यह मामला राज्य में एक राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका था। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने ईडी पर आरोप लगाए कि वह राजनीतिक विरोधियों को निशाना बना रही है।
कांग्रेस पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि यह समन एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य राज्य सरकार को बदनाम करना और विपक्षी नेताओं को तंग करना है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का यह कदम पूरी तरह से राजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित है और इसका मकसद राज्य में सरकार को अस्थिर करना है।
सिद्धारमैया ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पत्नी किसी भी तरह से घोटाले में शामिल नहीं हैं और समन का कोई आधार नहीं है। कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं ने भी ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए और इसे भाजपा सरकार द्वारा विरोधी नेताओं को परेशान करने की कोशिश करार दिया।
कर्नाटका हाई कोर्ट का फैसला
कर्नाटका हाई कोर्ट ने इस मामले में सीएम सिद्धारमैया की पत्नी देवी सिद्धारमैया के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी समन को रद्द कर दिया और कहा कि यह समन बिना ठोस आधार के जारी किया गया था। अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि समन को जारी करने के कारण और इससे जुड़ी परिस्थितियां स्पष्ट नहीं हैं, और यह असंवैधानिक है।
हाई कोर्ट के इस फैसले ने कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत दी है। कोर्ट के आदेश के बाद, कांग्रेस पार्टी ने इसे एक न्यायिक जीत के रूप में स्वीकार किया और आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया केंद्रीय एजेंसी द्वारा राजनीतिक साजिश के तहत की जा रही थी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कर्नाटका हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का सिलसिला तेज हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने इसे अपनी जीत बताया और कहा कि यह फैसले से यह साफ हो गया कि ईडी की कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक मंशा से प्रेरित थी। कांग्रेस के नेताओं ने केंद्रीय एजेंसियों पर आरोप लगाया कि वे विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए गलत तरीके से उनका उपयोग कर रही हैं।
वहीं, भाजपा ने इस फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और इसे न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप का परिणाम बताया। भाजपा नेताओं ने कहा कि यह मामला गंभीर है और इस घोटाले के अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी पार्टी से जुड़े हों। भाजपा ने यह भी कहा कि इस मामले में जांच पूरी निष्पक्षता के साथ की जानी चाहिए और किसी भी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए।
सीएम सिद्धारमैया का बयान
सीएम सिद्धारमैया ने कर्नाटका हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और इसे कांग्रेस पार्टी की न्यायिक जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह समन केवल राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा था और इसे जानबूझकर जारी किया गया था ताकि राज्य सरकार को बदनाम किया जा सके। सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी पत्नी के खिलाफ कोई आरोप नहीं थे और समन पूरी तरह से निराधार था।
सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग अपनी राजनीतिक साजिशों को अंजाम देने के लिए कर रही है, और उन्होंने न्यायपालिका का सम्मान करते हुए कहा कि न्यायालय ने सही फैसला लिया।
ईडी की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह माना जा रहा है कि एजेंसी इस मामले में कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकती है। ईडी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही कई वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं से पूछताछ की थी।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी इस मामले में आगे भी जांच जारी रखेगी और समन रद्द होने के बावजूद, यदि नए तथ्य सामने आते हैं तो वे कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
निष्कर्ष
कर्नाटका हाई कोर्ट का फैसला राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसने ईडी की कार्रवाई को असंवैधानिक और निराधार ठहराया। इस फैसले ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी के खिलाफ समन को रद्द कर दिया है, जिससे सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, यह मामला राज्य में राजनीतिक तापमान को और बढ़ा सकता है, क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
आने वाले दिनों में, यह देखना होगा कि इस फैसले का प्रवर्तन निदेशालय और अन्य केंद्रीय एजेंसियों पर क्या असर पड़ता है, और क्या वे इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई करते हैं।