डोनाल्ड ट्रंप का प्रत्यायामी शुल्क लगाने का वादा कनाडा और मेक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लागू होने के एक दिन बाद आया, साथ ही चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क को 20 प्रतिशत तक दोगुना किया गया। इसके परिणामस्वरूप, इन तीन देशों ने अमेरिका के खिलाफ प्रतिकारात्मक कदम उठाने की घोषणा की है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह घोषणा की है कि उनका देश भारत और अन्य देशों के खिलाफ प्रत्यायामी (रिसीप्रोकल) शुल्क लगाएगा। यह कदम एक ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका ने पहले ही कनाडा और मेक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है और चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क को 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। ट्रंप का यह कदम वाणिज्यिक युद्ध (ट्रेड वॉर) को और बढ़ावा दे सकता है, जिसका प्रभाव न केवल इन देशों के व्यापार संबंधों पर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था को भी चुनौती मिल सकती है।
ट्रंप का बयान और अमेरिकी नीति में बदलाव
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान में कहा, “हम अन्य देशों से समान व्यापारिक आचरण की उम्मीद करते हैं, और अगर हमें उनके खिलाफ कदम उठाना पड़े, तो हम ऐसा करेंगे। हमारा यह कदम उन देशों के खिलाफ होगा, जो हमारे व्यापारिक लाभ को नुकसान पहुंचाते हैं।” ट्रंप का यह बयान उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह चाहते हैं कि अमेरिका के व्यापारिक हितों की रक्षा हो और अमेरिकी उत्पादकों को वैश्विक बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा का मौका मिले।
राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे पहले कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर नई टैरिफ दरें लागू की थीं। कनाडा और मेक्सिको से आयातित स्टील और एल्यूमिनियम पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया गया, जबकि चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क को 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया। इन फैसलों का उद्देश्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना था।
कनाडा, मेक्सिको और चीन की प्रतिक्रिया
अमेरिका के इन फैसलों के बाद कनाडा, मेक्सिको और चीन ने प्रतिकारात्मक कदम उठाने की घोषणा की। कनाडा ने अमेरिका से आयातित कुछ वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की योजना बनाई, जबकि मेक्सिको ने भी अपने उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही। चीन ने अमेरिका से आयातित उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने के साथ-साथ अमेरिकी कंपनियों पर भी नजर रखने की चेतावनी दी। इन तीनों देशों का कहना है कि अमेरिका के फैसले वैश्विक व्यापार समझौतों का उल्लंघन करते हैं और वे व्यापारिक संबंधों में असंतुलन पैदा कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन शुल्कों का सीधा असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) पर पड़ेगा। जहां एक ओर अमेरिका की घरेलू उद्योगों को कुछ लाभ होगा, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिका और इन देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक विवाद से वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता पैदा हो सकती है, जिसका असर समूचे विश्व की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
भारत पर भी हो सकता है असर
भारत, जो अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक साझीदार है, पर भी ट्रंप के इस नए कदम का असर पड़ सकता है। भारत ने हाल ही में अमेरिका से आयातित कुछ उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया था, खासकर जिन वस्तुओं पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने टैरिफ बढ़ाए थे। इसके बाद, अमेरिका ने भी भारत से आयातित उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने की चेतावनी दी थी। यदि अमेरिका भारत पर भी प्रत्यायामी शुल्क लागू करता है, तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में और तनाव बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत, जो अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा था, अब एक कठिन स्थिति में फंस सकता है। भारत को अपने उत्पादकों के हितों की रक्षा करनी होगी, जबकि अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते की प्रक्रिया को भी जारी रखना होगा।
क्या है रिसीप्रोकल टैरिफ (प्रत्यायामी शुल्क)?
रिसीप्रोकल टैरिफ का अर्थ है जब एक देश दूसरे देश पर शुल्क लगाता है, तो उस देश को भी उसी के अनुरूप शुल्क लगाने का अधिकार होता है। यह एक प्रकार का व्यापारिक कदम है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन को ठीक करना होता है। ट्रंप का मानना है कि यदि दूसरे देश अमेरिका के उत्पादों पर शुल्क लगाते हैं, तो अमेरिका को भी उन देशों के उत्पादों पर शुल्क लगाने का अधिकार होना चाहिए।
इस प्रकार की नीति का उद्देश्य अमेरिकी बाजार को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना है, ताकि अमेरिकी उत्पादकों को घरेलू बाजार में बेहतर अवसर मिल सके। हालांकि, इस नीति से वैश्विक व्यापार व्यवस्था में असंतुलन और तनाव बढ़ने का खतरा रहता है, क्योंकि अन्य देश भी अपनी-अपनी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
अंतिम शब्द
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का व्यापारिक नीति पर यह नया कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकता है। जहां एक ओर यह कदम अमेरिकी उद्योगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, वहीं वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और तनाव का माहौल भी बन सकता है। कनाडा, मेक्सिको, और चीन द्वारा उठाए गए प्रतिकारात्मक कदम और भारत पर संभावित असर को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आगामी दिनों में अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में और जटिलताएँ आ सकती हैं।