सांभल जामा मस्जिद मामले में: कोर्ट ने गुरुवार को ASI को मस्जिद स्थल का तुरंत निरीक्षण करने और तीन अधिकारियों की एक टीम नियुक्त करने का निर्देश दिया, जो शुक्रवार सुबह 10 बजे तक इस संबंध में रिपोर्ट सौंपेगी।

सांभल: उत्तर प्रदेश के सांभल जिले स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर उच्च न्यायालय में चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ लिया है। गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आदेश दिया कि वह मस्जिद स्थल का तुरंत निरीक्षण करे और इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार करके शुक्रवार सुबह 10 बजे तक अदालत में प्रस्तुत करे। कोर्ट ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए ASI से तीन अधिकारियों की एक टीम गठित करने का निर्देश दिया, जो मस्जिद के ढांचे और इसकी संरचनात्मक स्थिति की जांच करेंगे।
यह आदेश शाही जामा मस्जिद को लेकर हो रहे विवाद के बीच आया है, जिसमें मस्जिद के संरक्षण और सफेदी के मुद्दे पर सवाल उठाए जा रहे हैं। खासकर इस ऐतिहासिक धरोहर की सफेदी को लेकर कुछ विवाद उठे थे, जिनमें यह आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का मूल रूप बिगाड़ा जा सकता है, जो उसके ऐतिहासिक महत्व को नुकसान पहुंचा सकता है।
मस्जिद की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वता
सांभल की शाही जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसका महत्व न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए है। मस्जिद का निर्माण मुग़लकालीन वास्तुकला का एक उदाहरण माना जाता है। इसे कई सालों से स्थानीय लोग और पर्यटक एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में मानते हैं। इसकी भव्यता और वास्तुशिल्प को देखते हुए इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित रखने की आवश्यकता महसूस की गई है।
कुछ समय पहले इस मस्जिद के सफेदी को लेकर चर्चा शुरू हुई थी, जब कुछ स्थानों पर इसे सफेद रंग से ढकने की बात उठी। यह मुद्दा तब और गरमा गया जब यह माना गया कि यदि मस्जिद को सफेदी से ढका जाता है, तो उसकी ऐतिहासिक वास्तुकला की पहचान और सुंदरता प्रभावित हो सकती है। इसी वजह से यह मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा।
कोर्ट का आदेश और ASI की जिम्मेदारी
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने ASI को इस मस्जिद के स्थल का तत्काल निरीक्षण करने का आदेश दिया। कोर्ट ने ASI को निर्देश दिया कि वह मस्जिद की संरचना की स्थिति का पूरा निरीक्षण करें और उसके बाद एक रिपोर्ट तैयार करें, जो शुक्रवार सुबह 10 बजे तक अदालत में पेश की जाए।
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि रिपोर्ट में मस्जिद के स्थापत्य और उसके संरचनात्मक तत्वों की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी दी जाए। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया जाए कि मस्जिद के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ की आवश्यकता है या नहीं, और अगर है तो इसके कारण और उपाय क्या हो सकते हैं।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस निरीक्षण के दौरान ASI को तीन विशेषज्ञ अधिकारियों की एक टीम बनानी चाहिए, जो मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए उसे संरक्षित रखने के उपायों पर विचार कर सके। इन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मस्जिद की मूल संरचना और वास्तुकला को नुकसान न पहुंचे।
सांस्कृतिक संरक्षण पर जोर
इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और उनके उचित रख-रखाव के पक्ष में है। विशेष रूप से जब बात मस्जिद जैसी ऐतिहासिक इमारत की हो, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और वास्तुकला के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की संरचनाओं का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इन्हें देख सकें और इनसे जुड़ी सांस्कृतिक धरोहर को समझ सकें।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
इस मामले में स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। प्रशासन और ASI को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी प्रकार की पुनर्निर्माण या सुधार की प्रक्रिया के दौरान मस्जिद की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को नुकसान न पहुंचे। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की राय और तकनीकी समीक्षा अत्यधिक महत्वपूर्ण होगी।
स्थानीय नागरिकों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है और इस बात की उम्मीद जताई है कि मस्जिद के साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ न हो, ताकि उसकी ऐतिहासिक महत्ता बरकरार रहे।
निष्कर्ष
सांभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का ताजा आदेश एक अहम कदम है, जो ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के महत्व को रेखांकित करता है। कोर्ट ने इस मस्जिद की संरचना और इसके ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए ASI से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। यह आदेश यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका केवल न्यायिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील है। अब यह देखना होगा कि ASI की टीम इस मस्जिद के निरीक्षण के बाद क्या रिपोर्ट पेश करती है और मस्जिद को किस तरह से संरक्षित किया जाता है।