भा.ज.पा. सरकार दिल्ली विधानसभा सत्र में 14 लंबित CAG रिपोर्ट्स पेश करेगी, जो AAP के शासन के तहत शासन में हुई चूक को उजागर करेंगी। रिपोर्ट दबाने के आरोपों ने भा.ज.पा. और AAP के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।

नई दिल्ली, 25 फरवरी: दिल्ली विधानसभा के सत्र के दौरान भा.ज.पा. सरकार 14 लंबित CAG (कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) रिपोर्ट्स पेश करेगी, जिनमें आम आदमी पार्टी के शासनकाल में हुई शासनात्मक चूकों का खुलासा किया गया है। इन रिपोर्ट्स में प्रशासनिक विफलताओं, वित्तीय अनियमितताओं और सरकारी योजनाओं में गड़बड़ियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। भा.ज.पा. का दावा है कि इन रिपोर्ट्स को जानबूझकर दबाया गया था, जिससे AAP सरकार पर सवाल खड़े हो गए हैं।
CAG रिपोर्ट्स: AAP सरकार के शासन पर बड़े आरोप
भा.ज.पा. ने CAG रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि AAP सरकार ने इन रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश करने से पहले उन्हें दबाने की कोशिश की। इन रिपोर्ट्स में वित्तीय अनियमितताओं और योजनाओं के गलत कार्यान्वयन को लेकर आरोप लगाए गए हैं। भा.ज.पा. नेताओं का कहना है कि इन रिपोर्ट्स को सार्वजनिक न करके AAP सरकार ने दिल्लीवासियों से हकीकत छुपाई। अब भा.ज.पा. सरकार इन रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश कर इस मामले को प्रमुख रूप से उठाएगी।
रिपोर्ट्स में सरकारी धन के गलत उपयोग, अनियमितता और कुछ योजनाओं में भ्रष्टाचार की संभावना की ओर इशारा किया गया है। इनमें से कुछ रिपोर्ट्स तो पिछले कई सालों से लंबित पड़ी हुई थीं, जिन्हें अब भा.ज.पा. सरकार ने विधानसभा सत्र में पेश करने का निर्णय लिया है।
AAP का विरोध और प्रतिक्रिया
AAP ने भा.ज.पा. के इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है और कहा है कि यह पूरी प्रक्रिया सत्ता की राजनीति का हिस्सा है। AAP नेताओं का कहना है कि भा.ज.पा. सिर्फ अपनी राजनीतिक लाभ के लिए इन रिपोर्ट्स को उठाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा पारदर्शिता और जनता की भलाई को प्राथमिकता दी है। उन्होंने दावा किया कि भा.ज.पा. के पास दिल्ली की सरकार की नीतियों और योजनाओं के खिलाफ कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे इस तरह के आरोप लगा रहे हैं।
भा.ज.पा. का तर्क: शासन में चूक
भा.ज.पा. के नेता इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने CAG रिपोर्ट्स में उठाए गए मुद्दों को दबाने का प्रयास किया, ताकि उनका पर्दाफाश न हो सके। रिपोर्ट्स में उठाए गए मुद्दे इस बात को साबित करते हैं कि AAP सरकार के शासन में वित्तीय गड़बड़ियां हुई हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है।
भा.ज.पा. के नेताओं का कहना है कि इन रिपोर्ट्स में जिन योजनाओं का उल्लेख किया गया है, उन पर सवाल उठते हैं कि आखिरकार किस प्रकार से दिल्ली सरकार ने इन योजनाओं का संचालन किया और क्या वे जनता के हित में थीं।
विधानसभा सत्र में राजनीतिक उथल-पुथल
दिल्ली विधानसभा सत्र में इन रिपोर्ट्स के पेश होने के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। भा.ज.पा. और AAP के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस हो सकती है, क्योंकि दोनों दलों के बीच यह मामला राजनीतिक लड़ाई में बदल चुका है।
भा.ज.पा. ने AAP सरकार को घेरने की रणनीति के तहत इन रिपोर्ट्स को जनता के सामने लाने का निर्णय लिया है, जिससे यह मुद्दा विधानसभा चुनावों में भी गरमाने की संभावना जताई जा रही है।
निष्कर्ष
भा.ज.पा. और AAP के बीच CAG रिपोर्ट्स को लेकर उभरता विवाद दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। जहां भा.ज.पा. का कहना है कि AAP सरकार ने शासन में चूकों को छुपाया है, वहीं AAP इस मामले को राजनीतिक साजिश मानती है। अब यह देखना होगा कि आगामी विधानसभा सत्र में यह मामला कैसे आगे बढ़ता है और क्या इन रिपोर्ट्स के आधार पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या फिर यह मामला केवल आरोपों और प्रतिवादों में ही सीमित रह जाता है।