दिल्ली विधानसभा में कई विधायकों को उस समय निलंबित कर दिया गया जब उन्होंने उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ‘जय भीम’ के नारे लगाए और भगत सिंह और अंबेडकर की तस्वीरें हटाए जाने का विरोध किया।

नई दिल्ली, 25 फरवरी: दिल्ली विधानसभा के पहले सत्र में उस समय भारी हंगामा हो गया जब कई विधायकों ने उपराज्यपाल के अभिभाषण का विरोध किया। विधायकों ने ‘जय भीम’ के नारे लगाए और भगत सिंह व डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीरें हटाए जाने का विरोध किया, जिसके बाद 11 विधायकों को निलंबित कर दिया गया। इस घटनाक्रम ने विधानसभा में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी और विधानसभा की कार्यवाही कुछ देर के लिए ठप हो गई।
विरोध का कारण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह विवाद तब शुरू हुआ जब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली विधानसभा में अभिभाषण दिया। इस दौरान विधानसभा के कई विधायक खासकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भगत सिंह और डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीरों को हटाने का विरोध किया। यह तस्वीरें विधानसभा में ऐतिहासिक महत्व रखती हैं और समाजिक न्याय, स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण से जुड़े प्रमुख प्रतीकों के रूप में मानी जाती हैं।
AAP विधायक, जिनमें दिल्ली के शिक्षा मंत्री अतिशी, और अन्य 10 विधायक शामिल थे, ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताते हुए ‘जय भीम’ के नारे लगाना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि इस प्रकार के ऐतिहासिक प्रतीकों का अपमान करना समाज के दबे-कुचले वर्ग के प्रति अन्याय है।
विधानसभा में हंगामा
नारेबाजी के बीच विधानसभा में तनाव बढ़ गया और कार्यवाही कुछ समय के लिए ठप हो गई। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उन विधायकों को तलब किया और उनके व्यवहार को असंसदीय बताते हुए कार्रवाई का ऐलान किया। इसके बाद 11 AAP विधायकों को निलंबित कर दिया गया। इनमें से कुछ विधायकों ने इस कार्रवाई के खिलाफ गुस्से में आकर विरोध दर्ज कराया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने अपनी कार्रवाई पर जोर दिया।
AAP का विरोध
AAP ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि यह पूरी घटना दिल्ली के समाज के प्रतीकों का अपमान करने की एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह और डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महान नेताओं के योगदान को नकारना या उनकी तस्वीरें हटाना, दिल्ली के नागरिकों की भावना के खिलाफ है। पार्टी ने उपराज्यपाल की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित और दलित समुदाय का अपमान बताया है।
पार्टी ने विधानसभा में हुई निलंबन कार्रवाई को भी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ करार दिया है और विधायकों की जल्द से जल्द बहाली की मांग की है।
भा.ज.पा. का पक्ष
भा.ज.पा. ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें पार्टी ने AAP के विधायकों द्वारा की गई नारेबाजी को असंसदीय और अनुशासनहीन करार दिया। पार्टी ने कहा कि विधानसभा में ऐसे हंगामे और नारेबाजी से कार्यवाही में रुकावट डालने का प्रयास किया गया, जो कि पूरी तरह से गलत है।
भा.ज.पा. के नेताओं ने यह भी कहा कि विधानसभा में किसी भी प्रकार के राजनीतिक विरोध का तरीका लोकतांत्रिक और संवैधानिक होता है और नारेबाजी और उत्पात से नहीं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगे का रास्ता
यह घटना दिल्ली विधानसभा में अभूतपूर्व हंगामे की ओर इशारा करती है, जहां राजनीतिक विरोध और संवैधानिक कार्यवाही के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दिल्ली विधानसभा में इस प्रकार के घटनाक्रम से राज्य सरकार और विपक्ष दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति बनी हुई है।
इस घटना के बाद से विपक्षी पार्टियों ने भी दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं द्वारा किए गए कार्यों की आलोचना की है, और यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकता है।
इस घटनाक्रम के बाद, विधानसभा की कार्यवाही की गति और विधायकों के व्यवहार पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का समाधान किस रूप में निकलता है और क्या दिल्ली विधानसभा में इसी तरह के राजनीतिक हंगामे की स्थिति बनेगी या स्थिति सुधरेगी।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान हुआ हंगामा और उसके बाद 11 विधायकों का निलंबन दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। यह घटना सिर्फ विधानसभा में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी चर्चा का विषय बन चुकी है। इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि राजनीतिक विरोध के तरीकों में क्या बदलाव आएगा और विधानसभा के कामकाज पर इसका क्या असर पड़ेगा।