गायक विशाल ददलानी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को महाकुंभ नदी का पानी पीने की चुनौती दी है, जो उच्च स्तर के बासी बैक्टीरिया के बावजूद पीने योग्य होने का दावा किया गया था। यह विवाद राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की रिपोर्ट के बाद उठा, जिसमें पानी के प्रदूषण को लेकर चिंताएँ जाहिर की गई थीं।

नई दिल्ली: गायक विशाल ददलानी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को महाकुंभ नदी का पानी पीने की चुनौती दी है, जो हाल ही में पीने योग्य होने का दावा किया गया था, हालांकि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की रिपोर्ट में इस पानी में प्रदूषण और उच्च स्तर के फीकल बैक्टीरिया की मौजूदगी की बात कही गई है। इस विवाद ने एक नए विवाद को जन्म दिया है, जिसमें पर्यावरणीय मुद्दों और सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता प्रमुख रूप से उठाई गई है।
महाकुंभ नदी का पानी और प्रदूषण पर विवाद
कुंभ मेला 2025 के आयोजन के दौरान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि महाकुंभ नदी का पानी पीने योग्य है। उन्होंने इसे शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया था। यह बयान उस समय सामने आया था जब कई पर्यावरण विशेषज्ञ और संगठनों ने महाकुंभ नदी में जल प्रदूषण को लेकर चिंता जताई थी।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने भी हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कुंभ नदी के पानी में भारी प्रदूषण और उच्च स्तर के फीकल बैक्टीरिया की उपस्थिति की बात कही गई थी। इस रिपोर्ट के बाद, कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने इस दावे को खारिज किया था और पानी की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए थे।
विशाल ददलानी की चुनौती
विशाल ददलानी, जो अक्सर सोशल मीडिया पर अपने तीखे बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं, ने इस मुद्दे पर खुलकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ को महाकुंभ नदी का पानी पीने की चुनौती दी। विशाल ने लिखा, “आपने कहा था कि कुंभ का पानी पीने लायक है, तो कृपया आगे बढ़िए और इसे पियें। हम सभी देखेंगे। अगर यह सच है, तो आपको इसे साबित करना होगा।”
विशाल ददलानी ने इस बयान के माध्यम से महाकुंभ नदी के पानी की गुणवत्ता पर उठाए गए सवालों को और अधिक गंभीर बना दिया है। उनका कहना है कि यदि किसी नेता या अधिकारी ने जनता के सामने ऐसी बात कही है, तो उन्हें इसे प्रमाणित भी करना चाहिए।
NGT की रिपोर्ट और पर्यावरणीय चिंताएँ
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने अपनी रिपोर्ट में महाकुंभ नदी में जल प्रदूषण की गंभीर स्थिति को उजागर किया था। रिपोर्ट में यह कहा गया था कि नदी के पानी में अत्यधिक मात्रा में फीकल बैक्टीरिया पाया गया है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। साथ ही, जल के शुद्धिकरण की पर्याप्त व्यवस्थाएं न होने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है।
इसके बाद, पर्यावरण और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और कहा कि इस प्रकार के प्रदूषित जल का सेवन किसी भी स्थिति में सुरक्षित नहीं हो सकता है। उन्होंने सरकार से जल शुद्धिकरण के उपायों को लागू करने की मांग की है, ताकि कुंभ मेला जैसे आयोजन में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सेहत को बचाया जा सके।
राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
विशाल ददलानी की चुनौती ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने सीएम योगी के बयान पर सवाल उठाए और दावा किया कि यह बयान वास्तविकता से परे है। कांग्रेस नेता और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी इस पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार को कुंभ नदी के पानी की शुद्धता को लेकर गंभीर कदम उठाने चाहिए।
दूसरी ओर, भाजपा और सरकार के समर्थकों ने इसे एक राजनीतिक विवाद बनाने की कोशिश की और कहा कि यह महज एक आरोप है। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य सिर्फ कुंभ मेला में श्रद्धालुओं को सुरक्षा और स्वच्छता प्रदान करना है।
निष्कर्ष
महाकुंभ नदी के पानी की गुणवत्ता पर उठे सवाल और विशाल ददलानी की चुनौती ने इस मुद्दे को और गर्म कर दिया है। यह विवाद अब सिर्फ एक बयान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और राजनीति से जुड़ा हुआ मुद्दा बन चुका है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या महाकुंभ नदी के पानी की गुणवत्ता को लेकर कोई ठोस कार्रवाई की जाती है।