प्रधानमंत्री मोदी ने आज भारत मंडपम में पहले SOUL लीडरशिप कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग तोबगे भी उपस्थित थे, जो भारत-भूटान कूटनीतिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत मंडपम में पहले SOUL लीडरशिप कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया। इस आयोजन में भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग तोबगे भी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे, जो भारत-भूटान के बीच कूटनीतिक रिश्तों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण क्षण साबित हुआ। इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य नेतृत्व के विकास, सामाजिक-आर्थिक प्रगति और वैश्विक कनेक्टिविटी पर विचार विमर्श करना है।
SOUL लीडरशिप कॉन्क्लेव का उद्देश्य
SOUL (Social, Organizational, and Universal Leadership) लीडरशिप कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य एक नए और समावेशी नेतृत्व के मॉडल को बढ़ावा देना है। यह कॉन्क्लेव विशेष रूप से उन नेताओं और विचारकों को एक मंच प्रदान करता है जो समाज, संगठन और वैश्विक स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस कार्यक्रम में नीति निर्माता, विशेषज्ञ, और अंतरराष्ट्रीय नेताओं का एक समूह एकत्र हुआ, जो सामूहिक रूप से नेतृत्व के भविष्य पर चर्चा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में इस मंच के महत्व पर जोर दिया और कहा कि अच्छे नेतृत्व का विकास समाज के समग्र विकास के लिए जरूरी है। उन्होंने नेतृत्व के नए रूप की आवश्यकता पर बात की, जो समावेशी और भविष्य केंद्रित हो, और जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करे।
भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग तोबगे की भागीदारी
भारत-भूटान कूटनीतिक संबंधों के संदर्भ में, भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग तोबगे की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी खास बना दिया। दोनों देशों के नेताओं के बीच बेहतर कूटनीतिक रिश्तों का संकेत देते हुए त्सेरिंग तोबगे ने इस मंच पर भारत और भूटान के बीच साझा विकास, समृद्धि और सहयोग पर बल दिया। उन्होंने भारत के साथ भूटान के मजबूत और ऐतिहासिक रिश्तों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि यह साझेदारी दोनों देशों के लिए लाभकारी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर भूटान के प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा, “भारत और भूटान के रिश्ते एक ऐतिहासिक साझेदारी हैं, जो विश्वास, सम्मान और सहयोग पर आधारित हैं। हम दोनों देशों के बीच संबंधों को और भी मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
SOUL कॉन्क्लेव में चर्चा के मुख्य बिंदु
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सत्रों में नेतृत्व के विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया। शिर्षक “समाज में सकारात्मक बदलाव और नेतृत्व की भूमिका” पर विशेष सत्र हुआ, जिसमें प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। इस सत्र में यह चर्चा की गई कि एक नेता को केवल व्यावसायिक या राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि समाज में भी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए।
इसके अलावा, “वैश्विक नेतृत्व और डिजिटल कनेक्टिविटी” पर भी एक सत्र हुआ, जिसमें आधुनिक तकनीकी नेतृत्व के महत्व पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि आज के डिजिटल युग में नेतृत्व को और भी अधिक पारदर्शी, सशक्त और वैश्विक दृष्टिकोण से काम करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत, एक विविधतापूर्ण देश होने के नाते, कई अलग-अलग प्रकार के नेतृत्व के मॉडल पर काम कर रहा है। उन्होंने विशेष रूप से उन नेताओं की सराहना की जो समाज के लिए काम करते हैं और नए विचारों के साथ सामने आते हैं। पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि नेतृत्व की ताकत सिर्फ नीति निर्माण तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह लोगों के जीवन में बदलाव लाने की क्षमता रखनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जो नेता सिर्फ अपनी नीतियों को लागू करने में लगे रहते हैं, वे समाज के लिए स्थायी परिवर्तन नहीं ला सकते। उन्होंने समावेशी नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया, जो हर वर्ग, हर समुदाय और हर क्षेत्र के विकास के लिए काम करे।
निष्कर्ष
SOUL लीडरशिप कॉन्क्लेव एक महत्वपूर्ण मंच था, जहां नीति निर्माता, विशेषज्ञ और नेताओं ने नेतृत्व के भविष्य पर अपने विचार साझा किए। यह कार्यक्रम न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक नेतृत्व के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्घाटन भाषण और भूटान के प्रधानमंत्री त्सेरिंग तोबगे की उपस्थिति ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया है। आने वाले समय में यह कॉन्क्लेव नेताओं को बेहतर दिशा देने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित कर सकता है।