ज्ञानेश कुमार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में नियुक्त किया गया। हालांकि, विपक्षी नेता राहुल गांधी ने समिति की बैठक में एक असहमतिपूर्ण नोट पेश किया, क्योंकि नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित कानून सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक के बाद, राष्ट्रपति ने ज्ञानेश कुमार को भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में नियुक्त किया है। इस नियुक्ति की घोषणा से पहले, चयन समिति ने उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार मानते हुए सिफारिश की थी। हालांकि, इस नियुक्ति पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें प्रमुख रूप से कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने असहमति जताई है।
नियुक्ति पर राहुल गांधी का असहमति नोट
राहुल गांधी ने चयन समिति की बैठक के दौरान एक असहमतिपूर्ण नोट प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने इस प्रक्रिया को लेकर अपनी चिंता जताई। उनका कहना था कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा कानून वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, और इस मुद्दे पर अदालत का अंतिम निर्णय आने से पहले नियुक्ति प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा किया जाना उचित नहीं था। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपने विरोध को भी सार्वजनिक किया और कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
चयन समिति की सिफारिश
चयन समिति, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, वरिष्ठ न्यायधीश और विपक्ष के नेता भी शामिल थे, ने ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी। समिति ने यह माना कि ज्ञानेश कुमार चुनाव आयोग में लंबे समय से सेवा दे रहे हैं और उनके पास चुनावी प्रक्रिया की गहरी समझ है। उनका अनुभव और विशेषज्ञता उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
राहुल गांधी का विरोध
राहुल गांधी ने चयन समिति की बैठक में ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर असहमतिपूर्ण नोट पेश करते हुए कहा कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया के कानून पर विचार हो रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक इस तरह की नियुक्तियां पारदर्शिता के बिना की जा रही हैं। उनके अनुसार, यह नियुक्ति राजनीतिक प्रभाव से मुक्त नहीं हो सकती है, और इसे पूरी तरह से न्यायिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
ज्ञानेश कुमार की पृष्ठभूमि
ज्ञानेश कुमार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी रहे हैं और उन्होंने चुनाव आयोग में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। उनके पास चुनावी प्रक्रिया, मतदान व्यवस्था और चुनावी कानूनों की गहरी समझ है। वे कई महत्वपूर्ण चुनावों के आयोजन में शामिल रहे हैं और उनका रिकॉर्ड निष्पक्ष और सटीक चुनावी संचालन के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा को और अधिक मजबूती मिली है।
सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामला
राहुल गांधी ने जो चिंता जताई है, वह इस तथ्य पर आधारित है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण मामला विचाराधीन है। अदालत ने चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता और संविधानिक वैधता पर सवाल उठाए थे। इस पर सुनवाई अभी जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना निर्णय सुनाएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राहुल गांधी के विरोध के बावजूद, सरकार ने ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति को सही ठहराया है और इसे एक स्वच्छ और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया गया कदम बताया है। सरकार का कहना है कि संविधान और कानून के तहत चयन समिति ने यह सिफारिश की है और इसे लागू किया गया है। हालांकि, विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं और इसे राजनीति से प्रेरित नियुक्ति करार दे रहे हैं।
निष्कर्ष
ज्ञानेश कुमार की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, और यह भारतीय चुनाव प्रणाली में सुधार और निष्पक्षता की दिशा में एक और कदम हो सकता है। हालांकि, इस नियुक्ति पर चल रही राजनीतिक बहस और राहुल गांधी के असहमतिपूर्ण नोट ने इस मुद्दे को और भी गर्मा दिया है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस नियुक्ति प्रक्रिया पर क्या निर्णय लेता है और क्या इसके बाद इस मुद्दे को लेकर और विवाद उठते हैं।
भारत में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण समय है, और यह नियुक्ति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन यह विवाद इस पर और अधिक विचार और समीक्षा की आवश्यकता को उजागर करता है।