ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वे राजीव कुमार की जगह लेंगे, जो 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

नई दिल्ली: भारत सरकार ने 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में नियुक्त किया है। वे राजीव कुमार की जगह लेंगे, जो 18 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है और इस पर विभिन्न प्रतिक्रिया आ रही हैं।
ज्ञानेश कुमार की प्रोफाइल
ज्ञानेश कुमार एक सक्षम और अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी हैं। उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है और प्रशासनिक क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव है। वे 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्हें केरल कैडर मिला है। ज्ञानेश कुमार के पास चुनावी प्रक्रियाओं और प्रशासनिक मामलों का गहरा ज्ञान है, और उन्हें उनके काम के लिए कई बार सराहा भी गया है।
ज्ञानेश कुमार ने 31 जनवरी, 2024 को भारत सरकार के सहकारिता सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे और अब उन्हें भारत निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल अब से मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में शुरू होगा। उनकी नियुक्ति पर कई राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ आई हैं, और कुछ दलों ने इसे संविधान की भावना के खिलाफ भी बताया है।
राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति
राजीव कुमार, जो वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में कार्यरत हैं, 18 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वे 2017 से मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्य कर रहे थे और उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण चुनावी सुधार लागू किए गए थे। उनके कार्यकाल में, चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए गए थे। उनका योगदान चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को और बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है।
कांग्रेस ने की आलोचना
ज्ञानेश कुमार की सीईसी के रूप में नियुक्ति पर कांग्रेस पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने इसे “संविधान की भावना के खिलाफ” और “जल्दबाजी में लिया गया कदम” बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने इस नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले उठाया, ताकि न्यायिक निगरानी से बचा जा सके।
कांग्रेस ने कहा कि इस तरह की जल्दबाजी में की गई नियुक्ति से चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है और इसे संविधान के विपरीत बताया है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग की नियुक्तियाँ पारदर्शिता और निष्पक्षता से होनी चाहिए, और इस नियुक्ति के साथ एक और राजनीतिक साजिश की बू आ रही है।
सरकार का बचाव
हालाँकि, सरकार ने इस नियुक्ति का समर्थन करते हुए इसे पूरी तरह से वैध और संविधान के अनुरूप बताया है। सरकार का कहना है कि ज्ञानेश कुमार का प्रशासनिक अनुभव और चुनावी प्रक्रियाओं का ज्ञान उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए योग्य बनाता है। सरकार ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग की नियुक्तियाँ पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से की जाती हैं, और इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता।
आने वाले चुनावों पर असर
भारत में आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में, यह नियुक्ति राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम मानी जा रही है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार चुनाव आयोग को अपनी राजनीतिक जरूरतों के अनुसार प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
निष्कर्ष
ज्ञानेश कुमार की सीईसी के रूप में नियुक्ति एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक कदम है, जिसे लेकर देश भर में चर्चाएँ चल रही हैं। जहां कुछ राजनीतिक दल इस नियुक्ति को लेकर चिंतित हैं, वहीं सरकार इसे पूरी तरह से सही और संवैधानिक मानती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में उनका कार्यकाल किस तरह से चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखता है।
यह नियुक्ति भारतीय राजनीति और चुनाव प्रक्रिया में एक नया मोड़ लेकर आएगी, खासकर आगामी चुनावों के संदर्भ में।