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राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट पेश, हंगामे का खतरा

गुरुवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने अपनी रिपोर्ट पेश की।

गुरुवार, 13 फरवरी 2025 को राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के पेश होते ही राज्यसभा में हंगामा मच गया, क्योंकि विपक्षी दलों ने इस विधेयक के खिलाफ अपनी तीखी आपत्ति जताई। विपक्ष ने इस रिपोर्ट को असंवैधानिक करार दिया और आरोप लगाया कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

जेपीसी रिपोर्ट और उसकी मुख्य बातें
वक्फ विधेयक के संशोधन पर जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें 44 संशोधनों को मंजूरी दी गई है। इनमें से 14 संशोधन सत्तारूढ़ दल के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं। इन संशोधनों के अनुसार वक्फ बोर्ड के कार्यों में बदलाव की सिफारिश की गई है और इसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी बनाने की बात की गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति, उनके कार्यों की निगरानी, और वक्फ संपत्तियों की बिक्री व लीज़ को लेकर नए नियमों की सिफारिश की गई है। यह विधेयक वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली को सुधारने और उसमें भ्रष्टाचार को कम करने के उद्देश्य से पेश किया गया था।

विपक्ष का विरोध और आपत्ति
रिपोर्ट के प्रस्तुत होते ही विपक्षी दलों ने तीव्र विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला और वक्फ बोर्ड के अधिकारों में हस्तक्षेप करार दिया। उनके अनुसार, यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकार के अधिक हस्तक्षेप को बढ़ाता है, जिससे मुस्लिम समुदाय की स्वायत्तता कम हो जाएगी।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से मुस्लिम समाज को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही विपक्ष ने यह भी कहा कि उन्हें इस रिपोर्ट को लेकर पर्याप्त समय नहीं दिया गया और संसदीय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

डीएमके के सांसद ए. राजा ने कहा, “यह विधेयक असंवैधानिक है और हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर हमला करना है।

सरकार का पक्ष
सरकार ने इस विधेयक को मुस्लिम समाज के लिए लाभकारी बताया और कहा कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार कम करने और वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के सही उपयोग के लिए बनाए गए नए नियमों को लागू करेगा, जिससे धार्मिक संस्थानों को वित्तीय मदद मिल सकेगी।

सरकार ने यह भी कहा कि विपक्षी दलों को यह विधेयक पूरी तरह से समझने का मौका नहीं मिल सका है, और वे बिना तथ्यों को जाने विरोध कर रहे हैं। सरकार ने वक्फ बोर्डों के कार्यों में सुधार के लिए इस विधेयक को लाने का निर्णय लिया है, ताकि उन्हें अधिक प्रभावी तरीके से चलाया जा सके।

संसद में आगामी बहस की संभावना
विपक्षी दलों का यह भी आरोप है कि जेपीसी की बैठक में उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया और उन्हें संशोधन ड्राफ्ट के बारे में पूरा जानकारी नहीं दी गई। रिपोर्ट की पेशकश के बाद विपक्ष ने इसकी आलोचना की और इसका विरोध जारी रखा है। इसके परिणामस्वरूप, संसद में आगामी दिनों में इस पर तीखी बहस और हंगामे की संभावना जताई जा रही है।

इसके अलावा, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का संकेत दिया है, जिससे इस विधेयक के भविष्य को लेकर राजनीतिक माहौल और भी गरम हो सकता है।

निष्कर्ष
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जारी विवाद और विरोध से साफ है कि यह विधेयक भारतीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। विपक्षी दल इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर आक्रमण मान रहे हैं, जबकि सरकार इसे वक्फ बोर्ड के सुधार के लिए आवश्यक कदम बता रही है। अब यह देखना होगा कि यह विवाद संसद में किस मोड़ पर पहुंचता है और इसके भविष्य पर क्या असर पड़ता है।

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Harshita Ahuja

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