RBI मौद्रिक नीति बैठक 2025: गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि लचीला महंगाई लक्ष्यीकरण ढांचा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावी रहा है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 2025 में गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महंगाई लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting) ढांचे की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह ढांचा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ है और इसे भविष्य में भी जारी रखना महत्वपूर्ण है। इस बैठक में RBI ने रेपो रेट में 25 बिप्स की कटौती का ऐलान किया, जो पिछले 5 वर्षों में पहली बार किया गया है। यह कदम अर्थव्यवस्था में वृद्धि को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
लचीला महंगाई लक्ष्यीकरण ढांचा
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक में कहा कि लचीला महंगाई लक्ष्यीकरण ढांचा भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति का केंद्रीय हिस्सा रहा है और इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को कई कठिन समयों में स्थिर बनाए रखा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महंगाई पर नियंत्रण रखना और आर्थिक विकास को संतुलित करना RBI की प्राथमिकता है।
उन्होंने बताया कि यह ढांचा RBI को महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए एक निश्चित लक्ष्य देने में सक्षम बनाता है, साथ ही यह अन्य आर्थिक संकेतकों को भी अनुकूलित करने में मदद करता है। इसके अंतर्गत, केंद्रीय बैंक को महंगाई को 4% के आस-पास रखने का लक्ष्य दिया गया है, जिसे 2% के दायरे में बढ़ने की अनुमति होती है। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि इस ढांचे के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में महंगाई की दर को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया है, जो वैश्विक अस्थिरता और अन्य आर्थिक दबावों के बावजूद बेहतर रहा है।
25 बिप्स की रेपो रेट कटौती
RBI की मौद्रिक नीति बैठक में यह भी घोषणा की गई कि रेपो रेट में 25 बिप्स की कटौती की गई है, जिससे यह 6.00% से घटकर 5.75% हो गया है। यह कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई है, खासकर उन समयों में जब आर्थिक गतिविधियाँ कुछ धीमी हो रही थीं। गवर्नर ने कहा कि इस कटौती से बैंकों को सस्ती ऋण देने की सुविधा मिलेगी, जो छोटे और मझोले उद्योगों (SMEs) और अन्य क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देगा।
इस निर्णय के बाद, बैंक ग्राहकों को सस्ते ऋण मिलने की उम्मीद है, जो घर खरीदने, वाहन खरीदने, शिक्षा ऋण लेने और अन्य वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह कदम निजी क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देने का भी काम करेगा, जिससे समग्र आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति की बैठक में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक संकटों, जैसे COVID-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद, मजबूत प्रदर्शन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित किया गया है और बेरोजगारी दर में गिरावट आई है, जो आर्थिक सुधार के संकेत हैं।
हालांकि, गवर्नर ने यह भी चेतावनी दी कि वैश्विक आर्थिक स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है और भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे निपटने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में महंगाई और आर्थिक असमानताएं भारत की आर्थिक नीति पर प्रभाव डाल सकती हैं, इसलिए मौद्रिक नीति में लचीलापन बनाए रखना जरूरी है।
भविष्य के दृष्टिकोण
गवर्नर ने भविष्य के दृष्टिकोण को लेकर कहा कि RBI अपनी मौद्रिक नीति में लचीलापन बनाए रखेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे उपयुक्त उपायों को लागू करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक वैश्विक आर्थिक घटनाओं और आंतरिक संकेतकों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों को लगातार अद्यतन करेगा।
मल्होत्रा ने उम्मीद जताई कि रेपो रेट में की गई कटौती से भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग में वृद्धि होगी और आर्थिक गतिविधियाँ तेज़ी से बढ़ेंगी। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और RBI दोनों मिलकर देश की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए लगातार काम करेंगे।
निष्कर्ष
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति बैठक 2025 में उठाए गए कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं। रेपो रेट में कटौती और लचीले महंगाई लक्ष्यीकरण ढांचे की स्थिरता से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी। हालांकि, यह भी जरूरी है कि सरकार और RBI संयुक्त रूप से आर्थिक स्थिरता बनाए रखें और आगामी चुनौतियों का सामना करें।