कई एक्जिट पोल्स ने दिल्ली में भाजपा को आम आदमी पार्टी पर जीत का अनुमान जताया, जबकि कांग्रेस को एक बार फिर हार का सामना करने की संभावना व्यक्त की गई है।

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल्स ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) को जीत की ओर अग्रसर दिखाया है, जबकि आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव भी उम्मीदों के खिलाफ साबित हुआ है, क्योंकि एक्जिट पोल्स के अनुसार पार्टी को एक बार फिर भारी हार का सामना करना पड़ सकता है।
एक्जिट पोल्स ने क्या कहा?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान हुआ था। विभिन्न पोल्स ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान व्यक्त किया है। पोल्स के अनुसार, भाजपा को लगभग 35 से 42 सीटें मिल सकती हैं, जबकि AAP को 20 से 28 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। कांग्रेस को बेहद खराब प्रदर्शन करने की संभावना है और उसे 0 से 5 सीटें मिलने का पूर्वानुमान है।
बीते चुनावों में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने बम्पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार भाजपा ने चुनावी मुकाबले को कड़ा बना दिया है। एक्जिट पोल्स में भाजपा के पक्ष में बढ़ते हुए वोट शेयर और रणनीतिक प्रदर्शन से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह है। वहीं, दिल्ली में भाजपा के प्रमुख नेताओं जैसे कि मनोज तिवारी, विजय गोयल और हारदीप सिंह पुरी ने पार्टी की जीत का दावा किया है।
AAP और कांग्रेस की स्थिति
आम आदमी पार्टी के लिए यह परिणाम निराशाजनक हो सकता है, क्योंकि 2015 और 2020 के चुनावों में जबरदस्त जीत के बाद इस बार उसे कड़ी टक्कर मिली है। पार्टी के मुख्य रणनीतिकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रचार के दौरान कई मुद्दों को उठाया था, लेकिन एक्जिट पोल्स में पार्टी की स्थिति कमजोर दिख रही है।
वहीं, कांग्रेस पार्टी के लिए भी एक बार फिर हार की आहट है। कांग्रेस ने दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कई चुनावी रणनीतियाँ अपनाई थीं, लेकिन एक्जिट पोल्स में उसके प्रदर्शन के संकेत नकारात्मक हैं। कांग्रेस को पिछले कई चुनावों में निराशा का सामना करना पड़ा है, और इस बार भी उसके लिए कुछ सकारात्मक परिणामों की उम्मीद नहीं जताई जा रही है।
दिल्ली की राजनीतिक परिस्थितियाँ
दिल्ली की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों से आम आदमी पार्टी का दबदबा रहा है, लेकिन इस चुनाव में भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकी है। भाजपा ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ कई मुद्दे उठाए, जिनमें मुख्यमंत्री के कार्यों की आलोचना, विकास कार्यों में कमी और दिल्ली में बढ़ती जनसंख्या के कारण मूलभूत सुविधाओं की कमी प्रमुख थे। भाजपा ने दिल्ली के विभिन्न इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रचार किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता का सक्रिय प्रचार भी शामिल था।
दिल्ली में इस बार एक्जिट पोल्स के परिणाम भाजपा के लिए राहत की बात हो सकते हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से पार्टी को दिल्ली में सत्ता से बाहर रखा गया था। हालांकि, राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इन पोल्स के परिणाम सटीक नहीं हो सकते, और असली परिणाम 8 फरवरी को मतगणना के दौरान ही सामने आएंगे।
आगे का रास्ता
एक्जिट पोल्स को हमेशा सटीक नहीं माना जा सकता है, क्योंकि वास्तविक परिणाम पोल्स से भिन्न हो सकते हैं। आगामी 8 फरवरी को मतगणना के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि दिल्ली की सत्ता पर किसकी धाक जमती है।
यदि भाजपा की जीत होती है, तो यह पार्टी के लिए बड़ी राजनीतिक जीत होगी, क्योंकि दिल्ली में लंबे समय से उसकी पकड़ कमजोर रही थी। वहीं, अगर AAP को अपेक्षित जीत मिलती है, तो यह अरविंद केजरीवाल की रणनीति और उनके कामकाजी मॉडल को लेकर उनके समर्थकों के विश्वास की पुष्टि होगी।
कांग्रेस के लिए यह चुनाव और भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि उसे दिल्ली में सत्ता में आने के लिए अभी भी लंबा सफर तय करना है। कांग्रेस की निराशा की स्थिति, पार्टी के भीतर गहरे संकट का संकेत देती है, और भविष्य में इसे लेकर पार्टी को गंभीर विचार करना होगा।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल्स ने राजनीतिक दृष्टिकोण से एक नई दिशा को जन्म दिया है। जहां भाजपा के समर्थक जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं, वहीं AAP और कांग्रेस के लिए यह स्थिति चिंता का कारण बनी हुई है। 8 फरवरी को मतगणना के बाद यह स्पष्ट होगा कि दिल्ली की राजनीतिक तस्वीर कौन से पक्ष के पक्ष में बदलती है।