उन्नाव रेप केस: कुलदीप सेंगर के वकील के अनुसार, आरोपी नेता को चिकित्सा प्रक्रिया के लिए AIIMS में भर्ती कराना जरूरी है, जो अब 4 फरवरी को निर्धारित है।

उन्नाव रेप केस के दोषी भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें अपनी आंखों की सर्जरी के लिए 4 फरवरी तक अंतरिम जमानत दी है। सेंगर की आंखों में गंभीर समस्या बताई गई है, जिसके कारण उन्हें दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में ऑपरेशन की जरूरत है। उनके वकील ने अदालत में यह दलील दी थी कि यदि ऑपरेशन न किया गया, तो उनकी आंखों की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कुलदीप सेंगर को जमानत दी, ताकि वे अपना इलाज करवा सकें।
कुलदीप सेंगर की स्वास्थ्य समस्या
कुलदीप सेंगर, जो वर्तमान में उन्नाव रेप मामले में सजा काट रहे हैं, को आंखों से संबंधित गंभीर समस्या हो गई है। सेंगर के वकील ने कोर्ट में बताया कि उन्हें दोनों आंखों में दृष्टि से संबंधित समस्या हो रही है, और यह बिना इलाज के और बढ़ सकती है। इसके बाद, उन्हें AIIMS में भर्ती कर इलाज की आवश्यकता बताई गई। कोर्ट में यह भी कहा गया कि तिहाड़ जेल में सेंगर को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए उन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजना जरूरी है।
सेंगर की आंखों की समस्या का इलाज दिल्ली के AIIMS में होना है, और इस प्रक्रिया के लिए उन्हें जेल से बाहर जाने की अनुमति चाहिए थी। उनके वकील ने यह भी बताया कि सेंगर की हालत को देखते हुए ऑपरेशन शीघ्र ही किया जाना चाहिए, और इस कारण से उन्हें अंतरिम जमानत दी जाए।
दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें 4 फरवरी तक अंतरिम जमानत दी। कोर्ट ने यह शर्त भी रखी कि जमानत मिलने के बाद सेंगर को इलाज के बाद निर्धारित समय पर तिहाड़ जेल लौटना होगा। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि इलाज के दौरान सेंगर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कड़े इंतजाम किए जाएं।
कोर्ट ने यह आदेश देते हुए कहा कि सेंगर को जमानत केवल चिकित्सा आधार पर दी गई है, और उन्हें इसके बाद फिर से जेल में लौटना होगा। इसके साथ ही, अगर सेंगर जमानत के दौरान कोई कानून का उल्लंघन करते हैं, तो उनकी जमानत रद्द की जा सकती है।
उन्नाव रेप केस की पृष्ठभूमि
कुलदीप सेंगर का नाम उन्नाव रेप केस में सामने आया था, जब एक नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि सेंगर ने उसका बलात्कार किया। यह मामला 2017 में सामने आया था, जब लड़की और उसके परिवार ने सेंगर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, शुरू में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी, और इसके बाद पीड़िता और उसके परिवार के खिलाफ दबाव बनाने की कोशिश की गई। इसके बाद, इस मामले ने जोर पकड़ा, और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले की जांच की।
सेंगर को दोषी करार दिया गया, और उन्हें सजा सुनाई गई। इसके बाद सेंगर को तिहाड़ जेल भेजा गया, जहां उन्हें विभिन्न आरोपों के तहत सजा दी गई। इसके बाद, सेंगर के स्वास्थ्य को लेकर कई बार विवाद उठे, और अब उन्हें इलाज के लिए जमानत दी गई है।
राजनीतिक दृष्टिकोण
कुलदीप सेंगर को जमानत मिलने के बाद से राजनीति में एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है। कुछ लोग इसे सेंगर की सजा को नरम करने की कोशिश मान रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने का प्रयास बता रहा है। भाजपा के कई नेता इस मामले में सेंगर का समर्थन कर रहे हैं, जबकि विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र और न्याय की प्रक्रिया पर हमला बताया है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह मामला केवल एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है, और यह न्यायिक प्रक्रिया की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस तरह के मामलों में दोषियों को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं मिलनी चाहिए, खासकर तब जब मामला महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ा हो।
निष्कर्ष
कुलदीप सेंगर को 4 फरवरी तक जमानत मिलने के बाद यह मामला फिर से चर्चा में है। जहां एक ओर सेंगर को अपनी आंखों का इलाज करवाने की अनुमति मिल रही है, वहीं दूसरी ओर इस पर राजनीति भी तेज हो गई है। इस फैसले ने यह सवाल उठाया है कि क्या गंभीर अपराधों के दोषियों को स्वास्थ्य कारणों से रियायत दी जानी चाहिए? वहीं, कोर्ट ने इस मामले में यह सुनिश्चित किया कि जमानत का आदेश केवल चिकित्सा आधार पर दिया गया है, और यह किसी प्रकार की न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाता।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। इस मामले में अभी और कई सवाल उठ सकते हैं, लेकिन फिलहाल कुलदीप सेंगर को इलाज के लिए जमानत मिल चुकी है, और उनका इलाज जल्द ही शुरू होगा।