दिल्ली विधानसभा चुनाव, जो 5 फरवरी को होने हैं, से पहले अमित शाह ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से उनके आवास ‘शीश महल’ को बनाने में हुए खर्च को लेकर सवाल किया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सिर्फ कुछ दिन शेष रह गए हैं और भारतीय राजनीति में गर्मी बढ़ती जा रही है। इस बार चुनावी मैदान में एक नया मुद्दा उठ खड़ा हुआ है, जो सीधे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास ‘शीश महल’ से जुड़ा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को केजरीवाल पर तगड़ा हमला करते हुए उनसे उनके आलीशान आवास की निर्माण लागत को लेकर सवाल किया। शाह ने केजरीवाल से पूछा कि आखिर ‘शीश महल’ बनाने में कितना खर्च हुआ और क्या यह खर्च दिल्ली के गरीबों और आम लोगों के हित में किया गया?
क्या है शीश महल का मामला?
‘शीश महल’ दिल्ली के मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास है, जो कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित है। इसे लेकर कई बार विवाद उठ चुके हैं। केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए इस महलनुमा आवास को बनाने में भारी खर्च किया। हालांकि, दिल्ली सरकार ने इसे एक ‘सरकारी कार्य’ और ‘आधिकारिक निवास’ बताया, लेकिन विपक्ष ने इसे एक विलासिता की मिसाल करार दिया है।
आवास के भीतर शानदार साज-सज्जा, महंगी फर्नीचर और अत्याधुनिक सुविधाओं के चलते शीश महल पर भारी सवाल उठाए गए हैं। खासकर जब दिल्ली के अन्य हिस्सों में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी महसूस हो रही हो, ऐसे में इस महल की भव्यता पर सवाल उठना स्वाभाविक था।
अमित शाह का तगड़ा हमला
अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा, “अरविंद केजरीवाल जी, आपने अपने सरकारी आवास के लिए कितने पैसे खर्च किए? क्या यह खर्च दिल्ली की जनता के लिए था या फिर यह आपकी व्यक्तिगत चमचमाती जरूरतों के लिए था?” शाह ने यह भी कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सादगी की मिसाल पेश की, तब दिल्ली के मुख्यमंत्री का यह कदम जनता के बीच गलत संदेश दे रहा है।
शाह ने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह खर्च दिल्ली के गरीबों और जरूरतमंदों की भलाई के लिए किया गया था? उन्होंने कहा कि ‘शीश महल’ की तुलना में दिल्ली के मुख्यमंत्री का आवास एक सादा और आम जनता के करीब होना चाहिए, जैसा कि नरेंद्र मोदी ने अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद किया था।
भाजपा का आरोप
भा.ज.पा. के नेता और प्रवक्ता ने भी इस मुद्दे पर केजरीवाल पर तंज कसा। भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने कहा, “जब तक केजरीवाल अपने कार्यकाल में दिल्ली के विकास के लिए काम नहीं करेंगे, तब तक उनके इस महल की चमक-दमक जनता के लिए सिर्फ एक दिखावा रहेगी।” वर्मा ने केजरीवाल से यह भी पूछा कि क्या उन्होंने इस आलीशान भवन के निर्माण के दौरान जनता से राय ली थी या फिर यह महल केवल उनकी व्यक्तिगत भव्यता के लिए बनवाया गया था?
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केजरीवाल का बचाव किया। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री का निवास एक सरकारी भवन है और इसमें किसी प्रकार की व्यक्तिगत चमक-दमक नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस ने यह भी कहा कि भाजपा को जनता के मुद्दों पर बात करनी चाहिए, बजाय इसके कि वह व्यक्तिगत हमलों में उलझे।
कांग्रेस ने आगे कहा, “अगर भाजपा ने दिल्ली की जनसंख्या की बेहतरी के लिए आधिकारिक कार्यों के लिए खर्च किए होते, तो यह उनके लिए बेहतर होता।”
जनता का रुख
दिल्ली के नागरिकों की राय भी इस मुद्दे पर बंटी हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि सरकारी आवास का महंगा होना कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि यह किसी का व्यक्तिगत धन नहीं बल्कि सरकारी धन होता है। वहीं, बहुत से लोग यह भी मानते हैं कि एक सादा आवास ही एक जनप्रतिनिधि की सच्ची पहचान है और ऐसी भव्यता को जनता के पैसे से बनवाना गलत है।
आधिकारिक तौर पर दिल्ली सरकार ने यह दावा किया था कि शीश महल का निर्माण दिल्ली सरकार के फंड से हुआ है और इसमें जनता के पैसे का कोई गलत उपयोग नहीं किया गया है। हालांकि, अब तक कोई स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया कि इस महल के निर्माण पर कुल खर्च कितना आया है।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव अब अपने चरम पर हैं, और राजनीतिक हमले तेज़ हो गए हैं। अमित शाह के सवाल ने शीश महल पर एक नई बहस शुरू कर दी है, जो निश्चित तौर पर चुनावी माहौल को प्रभावित करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे का राजनीतिक ध्रुवीकरण पर क्या असर पड़ता है और वोटरों के बीच इसकी क्या प्रतिक्रिया होती है।