संसद बजट सत्र 2025: बजट सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक जारी रहेगा, और दोनों सदन 10 मार्च को पुनः अवकाश के बाद मिलेंगे, सत्र 4 अप्रैल को समाप्त होगा।

भारत का महत्वपूर्ण संसद बजट सत्र 2025 आज से शुरू हो गया है, और इस सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक चलेगा। इसके बाद सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च को पुनः शुरू होगा और 4 अप्रैल को समाप्त होगा। इस सत्र के दौरान देश की अर्थव्यवस्था, सरकार की नीतियों और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर तीव्र चर्चा होने की संभावना है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बजट सत्र की शुरुआत करते हुए संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, को संबोधित किया। राष्ट्रपति के संबोधन में सरकार के विकास लक्ष्यों और आगामी योजनाओं का खाका पेश किया गया। इसके बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश किया, जिसमें पिछले साल की आर्थिक स्थिति और भविष्य के आर्थिक दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की गई।
लेकिन इस बार के बजट सत्र में न केवल आर्थिक नीति, बल्कि राजनीतिक रणनीतियां भी प्रमुख होंगी, क्योंकि यह सत्र देश में आगामी राज्य चुनावों से पहले हो रहा है। ऐसे में सरकार पर विपक्षी दलों का दबाव बढ़ सकता है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हर मोर्चे पर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी, खासकर मध्यवर्ग और कृषि क्षेत्र में सुधार के मुद्दे पर। इस बजट में सरकार द्वारा कर राहत, नौकरी सृजन और कृषि सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखने लायक होगा।
विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम
राष्ट्रपति मुर्मू के भाषण के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राष्ट्र को संबोधित करते हुए 2047 तक विकसित भारत के अपने संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य 2047 तक भारत को दुनिया के सबसे विकसित देशों में शुमार करना है। इसके लिए हम हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की दिशा में कदम उठा रहे हैं।” प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान बजट सत्र से पहले एक महत्वपूर्ण संदेश था, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार आने वाले वर्षों में आधुनिकीकरण, नवाचार और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बजट में होगी खास घोषणाएं?
अब सवाल उठता है कि इस बार का बजट आम लोगों और खासकर मध्यम वर्ग के लिए क्या खास लेकर आएगा। पिछले कुछ सालों से महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे गर्माते रहे हैं, और विपक्षी दलों ने सरकार को इन मुद्दों पर घेरा है। इसके बावजूद, बजट में कर राहत या नई योजनाओं की घोषणा से सरकार एक बार फिर मध्यम वर्ग और व्यवसायिक वर्ग को खुश करने की कोशिश कर सकती है।
दूसरी ओर, कृषि संकट को देखते हुए इस बार सरकार कृषि क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज की घोषणा कर सकती है। पिछले कुछ वर्षों से किसानों ने लगातार कृषि कानूनों और अन्य नीतियों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है। ऐसे में सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर होगा कि वह कृषि क्षेत्र को सहारा देने के लिए ठोस कदम उठाए।
विपक्षी दलों का हमला
बजट सत्र के दौरान, विपक्षी दलों की ओर से सरकार पर हमले की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दल सरकार पर महंगाई, बेरोजगारी और निजीकरण की नीतियों को लेकर कड़ा हमला कर सकते हैं। इन दलों का कहना है कि सरकार ने आत्मनिर्भरता का दावा किया है, लेकिन गरीबों और मध्यम वर्ग की बेहतरी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
इसके अलावा, नौकरी सृजन और राजकोषीय नीति को लेकर भी सवाल उठाए जा सकते हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो की हैं, लेकिन उनका धरातल पर असर नदारद है। ऐसे में, बजट सत्र में कड़ा राजनीतिक घमासान देखने को मिल सकता है।
अंतिम दौर का संघर्ष
2025 का बजट सत्र भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगा, खासकर आने वाले लोकसभा चुनाव की दृष्टि से। सत्तारूढ़ सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बजट में की गई घोषणाएं चुनावी रणनीति के हिसाब से कारगर साबित हों। दूसरी ओर, विपक्षी दल अपनी आलोचनाओं से सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह सत्र न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि राजनीतिक युद्ध के लिए भी निर्णायक साबित हो सकता है।
आखिरकार, यह बजट सत्र केवल आर्थिक नीतियों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देश के राजनीतिक माहौल और जनता की उम्मीदों को लेकर भी बड़े सवाल खड़े करेगा।