अरविंद केजरीवाल को ‘जहरीले पानी’ वाले बयान पर चुनाव आयोग से दूसरा नोटिस, कल तक देना होगा जवाब

दिल्ली चुनावों से पहले एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुश्किलों में घिर गए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री को चुनाव आयोग (EC) ने उनके हालिया चुनावी रैली में दिए गए “जहरीले पानी” वाले बयान पर दूसरा नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने उन्हें इस विवादास्पद टिप्पणी पर जवाब देने के लिए कल तक का समय दिया है। यह बयान अब राजनीति के गर्म माहौल में एक बड़ा मुद्दा बन गया है और इसके लेकर तीखी बहस छिड़ गई है।
‘जहरीले पानी’ विवाद
विवाद तब शुरू हुआ जब अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुनावी रैली में कहा कि विपक्ष दिल्ली के लोगों को “जहरीला पानी” प्रदान कर रहा है। यह बयान उनके राजनीतिक विरोधियों पर हमला करने के तौर पर था, लेकिन इसकी प्रकृति बहुत ही उत्तेजक थी। केजरीवाल के इस बयान को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ सीधा आरोप माना गया, जिसमें कहा गया कि वे जानबूझकर दिल्लीवासियों को दूषित पानी दे रहे हैं।
केजरीवाल ने यह टिप्पणी राजनीतिक उद्देश्यों के तहत की थी, ताकि वह विपक्ष की खामियों को उजागर कर सकें। हालांकि, यह बयान जल्द ही चुनाव आयोग द्वारा विवादास्पद, भड़काऊ और भ्रामक करार दिया गया।
केजरीवाल का यह बयान रातोंरात वायरल हो गया और अब राजनीतिक तूफान का कारण बन चुका है। विपक्षी नेता उन्हें अपमानजनक बयान देने वाला और बेबुनियादी आरोप लगाकर वोट बैंक की राजनीति करने वाला बता रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि यह बयान न सिर्फ गैर जिम्मेदाराना था, बल्कि इसके पीछे कोई ठोस तथ्य भी नहीं था।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया: अपमानजनक बयान पर दूसरा नोटिस
सार्वजनिक हलचल के बाद चुनाव आयोग ने तुरंत कार्रवाई की और अरविंद केजरीवाल को दूसरा नोटिस जारी किया। आयोग ने यह नोटिस मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के तहत जारी किया है, जो चुनावी प्रक्रिया के दौरान नकारात्मक और अपमानजनक बयानबाजी को रोकने के लिए होता है। आयोग ने केजरीवाल से यह पूछा है कि उन्होंने यह बयान क्यों दिया और इसके पीछे क्या संदर्भ था। केजरीवाल को कल तक इस नोटिस का जवाब देना होगा।
चुनाव आयोग की त्वरित प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि आयोग चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता बनाए रखने के लिए गंभीर है और किसी भी प्रकार की नकारात्मक चुनावी रणनीति को स्वीकार नहीं करेगा। यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल पर आयोग की आलोचना हुई हो। पहले भी उनके कुछ बयानों को आयोग ने मतदान को प्रभावित करने के रूप में देखा है।
राजनीतिक दांव या वास्तविक चिंता?
अब सवाल यह उठता है कि क्या केजरीवाल का ‘जहरीला पानी’ वाला बयान सिर्फ एक राजनीतिक दांव था या दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य के प्रति उनकी वास्तविक चिंता को दर्शाता है? दिल्ली में पानी की गुणवत्ता और प्रदूषण लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है, जहां कई इलाकों में गंदे पानी और सीवेज का पानी मिल जाने की खबरें आती रही हैं। इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल का बयान बहुत से लोगों के बीच समर्थन पा सकता था। हालांकि, बयान की उत्तेजक प्रकृति ने इस पर सवाल खड़ा कर दिया है।
केजरीवाल के आलोचकों का कहना है कि यह बयान विपक्ष को बदनाम करने और वोट हासिल करने के लिए डर फैलाने की कोशिश है। लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि दिल्ली के पानी की समस्या एक वास्तविक मुद्दा है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। दिल्ली में पानी की किल्लत और खराब गुणवत्ता की स्थिति कोई छिपी हुई बात नहीं है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इसके बाद, विपक्षी दलों ने तुरंत केजरीवाल के बयान पर हमला बोल दिया। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे केजरीवाल की चुनावी desperation (निराशा) करार दिया और बयान वापस लेने या इसका सबूत पेश करने की मांग की। बीजेपी ने इसके साथ ही इस मामले की जांच की भी मांग की, आरोप लगाया कि केजरीवाल ने बिना किसी आधार के विपक्ष की छवि खराब करने की कोशिश की है।
कांग्रेस ने भी इस विवाद में कूदते हुए केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ऐसे बयान केवल चुनावी माहौल को और भी गर्म कर देंगे।
केजरीवाल का अगला कदम क्या होगा?
अरविंद केजरीवाल को अब चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देने के लिए कल तक का समय मिला है। यह समय उन्हें अपने बयान का बचाव करने या सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का अवसर देगा। जो भी हो, उनका ‘जहरीला पानी’ वाला बयान अब जल्दी से समाप्त होने वाला नहीं है। जैसे-जैसे दिल्ली चुनाव करीब आ रहे हैं, सभी की नजरें केजरीवाल के अगले कदम पर हैं।
आने वाले दिन यह साबित करेंगे कि केजरीवाल का ‘जहरीला पानी’ बयान एक कागजी राजनीतिक चाल थी या एक ऐसा कदम जिसने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया। फिलहाल यह राजनीतिक नाटक जारी है और यह दिल्ली मुख्यमंत्री के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।