राष्ट्रपति ट्रंप ने 78 बाइडन-कालीन नीतियों को पलटने, एक नियामक ठहराव लागू करने, संघीय भर्ती को रोकने और जीवन यापन की लागत संकट को सुलझाने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।

राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचाते हुए, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडन प्रशासन की प्रमुख नीतियों को लक्षित करते हुए कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये व्यापक आदेश न केवल सभी नियामक बदलावों को रोकते हैं, बल्कि संघीय भर्ती प्रक्रिया पर भी असर डालते हैं और जीवन यापन की बढ़ती लागत के संकट से निपटने की कोशिश करते हैं, जो अमेरिकी परिवारों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इस आक्रामक पैकेज के साथ ट्रंप ने यूएस सरकार के मार्ग को बदलने और अपनी ताकत फिर से साबित करने का संकेत दिया है, जिससे 2024 के चुनावों में उनकी वापसी की संभावना को भी बल मिलता है।
बाइडन-कालीन नीतियों को पलटना: ट्रंप का जबरदस्त पलटवार
ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेशों के माध्यम से बाइडन प्रशासन द्वारा लागू की गई 78 प्रमुख नीतियों को पलटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें जलवायु परिवर्तन, आव्रजन, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक नियमन जैसी नीतियां शामिल हैं, जो बाइडन के कार्यकाल की पहचान रही हैं। इन आदेशों के साथ, ट्रंप effectively बाइडन के वर्षों के काम को पलटते हुए अपने प्रशासन के दौरान लागू की गई कंज़र्वेटिव विचारधारा को फिर से स्थापित कर रहे हैं।
वहीं, ट्रंप ने जिन महत्वपूर्ण नीतियों को लक्षित किया है उनमें बाइडन की जलवायु पहलें शामिल हैं। ट्रंप का मानना है कि ये पहलें अमेरिकी कारोबारों पर बोझ डाल रही हैं और लाखों रोजगारों को खत्म कर रही हैं। इसके अलावा, ट्रंप ने बाइडन के तहत लागू किए गए आव्रजन कानूनों को भी पलट दिया, जिन्हें उन्होंने बहुत ही ढीला और कमजोर बताया था। इन सभी बदलावों का असर उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जहां ट्रंप की नीतियों ने अपना असर छोड़ा था, जैसे कि हरित ऊर्जा और शरणार्थी कानून।
नियामक ठहराव: सरकार के अत्यधिक हस्तक्षेप पर अंकुश
ट्रंप के नए कार्यकारी आदेशों का एक और विवादास्पद पहलू है नियामक ठहराव। इस आदेश के तहत सभी नए नियमों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। यह आदेश व्यवसायों और उद्योगों को COVID-19 महामारी के वित्तीय प्रभाव और महंगाई के दबाव से राहत देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
हालांकि इस कदम के आलोचक यह दावा करते हैं कि इससे पर्यावरणीय मुद्दों और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों पर प्रगति धीमी हो सकती है, ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि यह कदम सरकार के अत्यधिक निरीक्षण और नियमन से लोगों को राहत देने का एक तरीका है। यह सीधे तौर पर बाइडन की नीतियों को चुनौती देता है, जो उनके अनुसार केवल प्रशासनिक कार्यवाही पर ज्यादा ध्यान देती हैं, जबकि असली समस्याओं से आंखें चुराती हैं।
संघीय भर्ती रोकना: सरकारी तंत्र को छोटा करने की योजना
ट्रंप का एक और बड़ा कदम संघीय भर्ती पर अस्थायी रोक लगाना है, जो बाइडन प्रशासन के तहत बढ़े हुए सरकारी तंत्र के जवाब में है। इस आदेश के तहत सभी गैर-आवश्यक पदों को स्थगित किया गया है, जिसमें कानून प्रवर्तन और अन्य सार्वजनिक सेवा नौकरियां भी शामिल हैं।
इसका संघीय कर्मचारियों पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है, विशेषकर उन एजेंसियों पर जो बाइडन के तहत विस्तारित हुई हैं। हालांकि यह कदम सरकार के आकार को कम करने और अनावश्यक खर्च को घटाने के उद्देश्य से उठाया गया है, आलोचकों का कहना है कि इससे जरूरी सेवाओं के प्रभावी ढंग से काम करने में कठिनाई हो सकती है, खासकर स्वास्थ्य देखभाल और कानून प्रवर्तन जैसे क्षेत्रों में।
समर्थकों का मानना है कि यह कदम एक अतिविस्तृत और जटिल सरकारी तंत्र को कम करने और करदाताओं पर दबाव कम करने के लिए सही कदम है। ट्रंप हमेशा सीमित सरकारी हस्तक्षेप के पक्षधर रहे हैं और उनका मानना है कि संघीय कर्मचारियों की संख्या में कमी से प्रशासन अधिक कुशल और वित्तीय रूप से जिम्मेदार होगा।
जीवन यापन की लागत पर काबू: ट्रंप का आर्थिक मोर्चा
ट्रंप के कार्यकारी आदेशों का सबसे चौंकाने वाला पहलू है जीवन यापन की बढ़ती लागत का समाधान। अमेरिकी परिवार महंगाई और रिकॉर्ड तोड़ उपभोक्ता कीमतों से जूझ रहे हैं। इसके मद्देनजर ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसमें लाखों अमेरिकी मध्यवर्गीय परिवारों के लिए आर्थिक राहत देने के उपायों का प्रस्ताव है।
इसमें करों में कटौती और खाद्य, गैस और स्वास्थ्य देखभाल की लागत को घटाने के उपाय शामिल हैं। ट्रंप ने महामारी के दौरान लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों को भी पलटने की योजना बनाई है, उनका मानना है कि इन्हीं प्रतिबंधों ने जीवन यापन की लागत को बढ़ाया है।
ये कदम पहले से ही बहस का कारण बन चुके हैं, और अर्थशास्त्रियों के बीच इस पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। समर्थकों का कहना है कि ट्रंप का व्यवसाय-समर्थक रुख और करों में कटौती से अमेरिकी परिवारों को राहत मिलेगी, जबकि आलोचकों का कहना है कि इससे सिर्फ अमीरों को फायदा होगा और महंगाई को बढ़ावा मिलेगा।
2024 के चुनावों की दिशा तय कर रहे ट्रंप?
इन कार्यकारी आदेशों के साथ ट्रंप अपने समर्थकों और आलोचकों दोनों को एक स्पष्ट संदेश दे रहे हैं: वह पीछे नहीं हट रहे और हर मोर्चे पर वर्तमान प्रशासन को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। नियामक बदलाव, संघीय भर्ती और जीवन यापन की लागत जैसे मुद्दों पर उठाए गए कदम उन्हें अमेरिकी श्रमिकों और व्यापारियों का नायक बना रहे हैं और साथ ही यह संकेत दे रहे हैं कि वह बाइडन प्रशासन के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखने का इरादा रखते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक पहले ही यह अनुमान लगा रहे हैं कि ये कार्यकारी आदेश ट्रंप के बड़े राजनीतिक comeback की शुरुआत हो सकते हैं, जो 2024 के चुनावों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हालांकि यह अभी देखना बाकी है कि ये कदम जनता में कितनी जगह बनाएंगे, जो महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रही है। एक बात तो तय है, ट्रंप आगामी चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार हैं, और उनके पास अमेरिकी राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने की पूरी तैयारी है।