16 दिसम्बर को क्रिस्टिया फ्रीलैंड के वित्त मंत्री पद से इस्तीफे के बाद से जस्टिन ट्रूडो पर बढ़ता दबाव है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर पिछले कुछ हफ्तों में भारी राजनीतिक दबाव बढ़ गया है, जब 16 दिसंबर 2024 को क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने देश के वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। फ्रीलैंड का इस्तीफा कनाडाई राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण है, जिसने लिबरल पार्टी में हलचल मचाई है और पार्टी और देश दोनों के भविष्य नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं।
फ्रीलैंड, जिन्हें ट्रूडो के करीबी सलाहकारों में से एक माना जाता था, ने वर्षों तक उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण पद पर कार्य किया। वैश्विक महामारी और उसके बाद के आर्थिक पुनर्निर्माण जैसे कठिन समय में अपनी शांत स्वभाव और स्थिरता के लिए जानी जाने वाली फ्रीलैंड का इस्तीफा सरकार में नेतृत्व का संकट पैदा करता है। उनके पद छोड़ने के बाद राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मच गई है, और कई लोग यह अनुमान लगा रहे हैं कि यह लिबरल पार्टी में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत हो सकता है और यह ट्रूडो के नेतृत्व को भी प्रभावित कर सकता है।
फ्रीलैंड के इस्तीफे का प्रभाव
फ्रीलैंड का इस्तीफा प्रधानमंत्री ट्रूडो के लिए एक मुश्किल समय में हुआ है, जो देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों ही तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पिछले साल में, ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट आई है। कनाडाई जनता महंगाई, उच्च आवास लागत और आर्थिक स्थिरता की कमी से नाराज हो रही है। विशेष रूप से, फ्रीलैंड, जिन्होंने देश की आर्थिक नीति को संचालित किया था, आलोचनाओं का शिकार हो गईं, खासकर उन लोगों से, जिन्होंने महसूस किया कि सरकार की आर्थिक नीतियाँ मध्यवर्गीय कनाडाई नागरिकों की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं कर रही थीं।
हालाँकि, फ्रीलैंड के इस्तीफे को व्यक्तिगत निर्णय के रूप में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन यह व्यापक असंतोष का संकेत है जो लिबरल पार्टी में व्याप्त है। पार्टी ने बढ़ते जनाक्रोश का सामना करते हुए एकजुटता बनाए रखने में कठिनाई महसूस की है। पार्टी के भीतर कई लोग चिंतित हैं कि ट्रूडो के नेतृत्व में देश की आर्थिक चुनौतियों का समुचित समाधान नहीं हो पा रहा है।
फ्रीलैंड का इस्तीफा लिबरल पार्टी के भविष्य के दिशा-निर्देश पर भी सवाल खड़ा करता है। पार्टी पहले ही चुनावी हार और मतदाता समर्थन में कमी के कारण गति प्राप्त करने में संघर्ष कर रही है, और अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रूडो का नेतृत्व अब भी उतना मजबूत है। फ्रीलैंड के जाने से पार्टी में नेतृत्व की कमी हो गई है, जो पहले उन्हें ट्रूडो के उत्तराधिकारी के रूप में देखती थी।
जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व पर दबाव
जस्टिन ट्रूडो के लिए, फ्रीलैंड का इस्तीफा उनके नेतृत्व के लिए एक और चुनौती है। देश की आर्थिक समस्याओं के अलावा, प्रधानमंत्री को सामाजिक और पर्यावरणीय नीतियों और विदेश नीति पर उनके दृष्टिकोण को लेकर भी आलोचना का सामना करना पड़ा है। उनके सरकार के द्वारा जीवन यापन की लागत, आवास की सुलभता और स्वास्थ्य देखभाल सुधार जैसे मुद्दों पर सही समाधान न देने के कारण कनाडाई नागरिकों में असंतोष बढ़ गया है।
पिछले एक साल में, ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट आई है, और कई सर्वेक्षणों में उनके अनुमोदन रेटिंग में गिरावट देखी गई है। बढ़ती असंतोष को देखते हुए प्रधानमंत्री मतदाताओं का विश्वास फिर से जीतने में संघर्ष कर रहे हैं। फ्रीलैंड का इस्तीफा इन चिंताओं को और बढ़ा गया है, क्योंकि उनका जाना सरकार में और अस्थिरता का संकेत देता है।
लिबरल पार्टी का अगला कदम क्या होगा?
क्रिस्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा लिबरल पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ लाता है, क्योंकि पार्टी आंतरिक संघर्षों, घटते सार्वजनिक छवि और चुनावी चुनौतीपूर्ण परिदृश्य से जूझ रही है। यह ट्रूडो के लिए एक निर्णायक समय है, जिसमें उन्हें पार्टी पर नियंत्रण बनाए रखने और कनाडाई राजनीति के तूफानी समंदर में मार्गदर्शन करने की आवश्यकता होगी।
पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती आवाज़ें आ रही हैं, और कुछ लोग यह अनुमान लगा रहे हैं कि ट्रूडो पार्टी नेतृत्व से इस्तीफा देकर नए चेहरे को मौका दे सकते हैं। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उनके नेतृत्व पर बढ़ता दबाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। लिबरल पार्टी के कुछ प्रमुख सदस्य, जिनमें फ्रीलैंड के करीबी लोग भी शामिल हैं, अब अपने भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। यह देखना अभी बाकी है कि क्या पार्टी एक नया रास्ता अपनाती है, जो उसकी विश्वसनीयता और चुनावी सफलता को फिर से बहाल कर सके।
आने वाले महीने जस्टिन ट्रूडो और लिबरल पार्टी दोनों के लिए महत्वपूर्ण होंगे। आर्थिक अनिश्चितता, बढ़ती राजनीतिक ध्रुवीकरण और फ्रीलैंड के इस्तीफे के प्रभाव के साथ, यह स्पष्ट है कि कनाडा की राजनीतिक स्थिति में कई बड़े बदलाव हो सकते हैं। क्या ट्रूडो इस तूफान से उबरने और लिबरल पार्टी के नेता के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने में सफल होंगे, यह देखना बाकी है। इस समय, कनाडा की राजनीतिक भविष्यवाणी एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा है, और इसके अगले अध्याय का इंतजार है।