“बीजेपी द्वारा किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद गैर-हिंसा पर उपदेश दे रहे हों। बीजेपी के शासन में किसानों की हालत कभी इतनी खराब नहीं रही जितनी आज है,” अतिशी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पत्र का जवाब देते हुए कहा।

नई दिल्ली, 2 जनवरी, 2025: दिल्ली की उपमुख्यमंत्री अतिशी ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर जोरदार हमला किया और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर किसानों के मुद्दों का राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया। यह बयान शिवराज सिंह चौहान के उस पत्र के जवाब में आया था, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार के तहत किसानों की भलाई को लेकर चिंता जताई थी।
अतिशी ने कहा कि बीजेपी द्वारा किसानों के कल्याण पर बात करना “दाऊद से अहिंसा पर प्रवचन” करने जैसा है, जो तुरंत सबकी Aufmerksamkeit खींचता है। दिल्ली की उपमुख्यमंत्री की यह प्रतिक्रिया बीजेपी के कृषि सुधारों और किसानों के अधिकारों को लेकर किए गए दावों के खिलाफ सीधे चुनौती के रूप में देखी जा रही है।
विवाद की पृष्ठभूमि
विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्रीय कृषि मंत्री और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर दावा किया कि दिल्ली में किसानों की स्थिति खराब है, और यह स्थिति आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की नीतियों के कारण पैदा हुई है। चौहान ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने केंद्रीय सरकारी योजनाओं के लाभ किसानों तक नहीं पहुंचाए, जो उनकी स्थिति सुधारने के लिए बनाई गई थीं।
यह टिप्पणी उस समय आई जब दिल्ली सरकार ने केंद्रीय कृषि योजनाओं के कुछ प्रावधानों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। चौहान ने कहा कि दिल्ली सरकार किसानों के कल्याण के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है और इससे उनकी आर्थिक प्रगति पर असर पड़ रहा है।
अतिशी की आलोचना: एक गहरी समस्या
अतिशी के बयान ने भारत में किसानों की स्थिति पर चल रही बहस को और तेज कर दिया। AAP नेता ने कहा कि बीजेपी के किसानों के प्रति समर्थन के दावे के बावजूद, वास्तव में उनके शासनकाल के दौरान किसानों की स्थिति काफी खराब हो गई थी। उन्होंने 2017 में हुए किसानों के बड़े विरोध का हवाला दिया, जब किसानों ने बेहतर मूल्य और नीतियों की मांग की थी।
अतिशी ने कहा, “बीजेपी का किसानों के प्रति दृष्टिकोण पूरी तरह से राजनीतिक रहा है। इसने किसानों की बुनियादी समस्याओं को हल करने में विफलता दिखाई है।” उन्होंने यह भी बताया कि कैसे कम फसल मूल्य, फसल क्षति के लिए उचित मुआवजे की कमी और छोटे किसानों को पर्याप्त समर्थन न मिलने के कारण बीजेपी के शासन में किसानों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ा।
अतिशी के बयान को उस समय दिया गया है जब भारत में कृषि से जुड़े मुद्दे राजनीतिक बहस का बड़ा हिस्सा बने हुए हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अतिशी के बयान को 2020-2021 में हुए किसान विरोधों की याद दिलाने के रूप में भी देखा जा रहा है, जब किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की थी।
बीजेपी का किसान कल्याण पर प्रदर्शन
केंद्र सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में, यह दावा करती रही है कि उसने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे पीएम-किसान योजना और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि ये उपाय किसानों की वास्तविक समस्याओं को हल करने में नाकाम हैं, जैसे उच्च लागत, पर्याप्त भंडारण सुविधाओं की कमी और खराब बुनियादी ढांचा।
किसान संघों ने भी केंद्र की कृषि नीतियों पर आलोचना की है, उनका कहना है कि ये छोटे और गरीब किसानों की जरूरतों का ख्याल नहीं रखतीं। हाल के वर्षों में, किसानों के विरोध प्रदर्शन बढ़े हैं, जो कृषि समुदाय में बढ़ती असंतोष का प्रतीक बन गए हैं।
अतिशी के बयान से यह धारणा और मजबूत होती है कि बीजेपी किसानों के मुद्दों को सुलझाने में विफल रही है और इसके बजाय किसानों के संकट को बढ़ावा दिया है, जिससे ग्रामीण समुदायों में कर्ज और संकट बढ़े हैं।
राजनीतिक निहितार्थ
अतिशी का बीजेपी पर हमला दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रही राजनीतिक जंग को उजागर करता है। दिल्ली सरकार और केंद्रीय सरकार के बीच प्रशासनिक अधिकारों और नीति मुद्दों पर अक्सर टकराव होता रहा है। अतिशी के बयान से AAP का किसानों और ग्रामीण समुदायों के पक्ष में मजबूत रुख बनता दिख रहा है, खासकर बीजेपी के खिलाफ बढ़ती आलोचनाओं के बीच।
कृषि बहस में राजनीतिक दांव के रूप में अतिशी और चौहान के बीच विवाद को देखा जा सकता है। देश में आगामी राज्य चुनावों के मद्देनजर, जिसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है, अतिशी का बयान AAP और उसके सहयोगियों के लिए किसान वोटों को अपनी ओर खींचने की रणनीति के रूप में देखा जा सकता है।
निष्कर्ष
अतिशी और शिवराज सिंह चौहान के बीच शब्दों की जंग किसानों के कल्याण पर चल रही बड़ी बहस का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन यह राजनीतिक दलों के बीच गहरे मतभेदों को उजागर करती है। अतिशी का तीखा उत्तर कृषि नीतियों की जटिलता और विवादास्पदता को फिर से सामने लाता है। देशभर के किसान इस बहस को ध्यान से देख रहे हैं और अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद लगाए हुए हैं। आने वाले महीनों में यह राजनीतिक संघर्ष और बढ़ेगा, क्योंकि AAP और बीजेपी दोनों भारत के किसानों का समर्थन जीतने की कोशिश करेंगे।