पुजारियों को मनुष्य और भगवान के बीच पुल के रूप में संदर्भित करते हुए, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी देश की पहली पार्टी है जिसने पंडितों और ग्रंथियों के लिए ऐसी योजना की घोषणा की है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को पुजारी-गंथि सम्मान योजना की शुरुआत की, जो देशभर के हिंदू और सिख पुजारियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए है। इस योजना के तहत पुजारियों – जिसमें पंडित और ग्रंथी भी शामिल हैं – को समाज और धर्म के प्रति उनके योगदान के रूप में ₹18,000 प्रति माह दिए जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी भारत की पहली राजनीतिक पार्टी है जिसने धार्मिक व्यक्तित्वों के लिए ऐसी योजना की घोषणा की है।
मीडिया से बात करते हुए केजरीवाल ने कहा कि पुजारी “मनुष्य और भगवान के बीच पुल” होते हैं और उनका भूमिका समाज के आध्यात्मिक ताने-बाने को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि जबकि पुजारी धार्मिक परंपराओं और अनुष्ठानों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उनका आर्थिक हालात अक्सर खराब रहता है, क्योंकि उन्हें अपनी सेवाओं के लिए पर्याप्त पारिश्रमिक नहीं मिलता। नई योजना को उनके योगदान को मान्यता देने और उन्हें आवश्यक समर्थन प्रदान करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
पुजारी-गंथि सम्मान योजना का उद्देश्य
पुजारी-गंथि सम्मान योजना में हिंदू पुजारियों, सिख ग्रंथियों और अन्य धार्मिक व्यक्तित्वों को शामिल किया गया है, जो मंदिरों और गुरुद्वारों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को ऊंचा उठाना है, जो इन संस्थानों में बिना किसी वित्तीय पहचान के कठिनाई से काम कर रहे हैं। ₹18,000 प्रति माह के साथ, योजना का उद्देश्य पुजारियों पर आर्थिक बोझ को हल्का करना है, जिससे वे अपनी सेवाओं को गरिमा और सम्मान के साथ जारी रख सकें।
धार्मिक नेताओं के लिए ऐतिहासिक कदम
इस समाचार को धार्मिक समुदायों द्वारा बड़े पैमाने पर सराहा गया और केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि यह पहल पुजारियों के समाज के प्रति किए गए महान कार्य को मान्यता देने का एक नैतिक कदम है। “हम भारत में पहली पार्टी हैं जिसने पंडितों और ग्रंथियों के लिए ऐसी योजना की घोषणा की है,” केजरीवाल ने कहा, और आगे इसे उनके योगदान की पहचान के रूप में प्रस्तुत किया जो लंबे समय से इंतजार कर रहा था।
दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में धार्मिक नेताओं ने इस कदम का स्वागत किया, इसे उनके योगदान को सम्मानित करने की ऐतिहासिक पहल माना। कई पुजारी लंबे समय से वित्तीय असुरक्षा का सामना कर रहे थे, जो श्रद्धालुओं से दान या छोटे भेंट पर निर्भर रहते थे। इस योजना के जरिए, केजरीवाल का मानना है कि वे पुजारियों को अधिक स्थिरता प्रदान कर सकेंगे और उनके काम को सम्मान देंगे, जो अक्सर मुख्यधारा की चर्चा में अनदेखा रहता है।
यह योजना दिल्ली और उन अन्य राज्यों में हजारों पुजारियों और ग्रंथियों को लाभान्वित करने वाली है, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार प्रभावी है। दिल्ली सरकार की धार्मिक नेताओं के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समर्थन देने के व्यापक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
समाज में पुजारियों और ग्रंथियों की भूमिका
पुजारी और ग्रंथी को धर्म के संरक्षक के रूप में माना जाता है, जिन्हें धार्मिक समारोहों का आयोजन करने और श्रद्धालुओं को धार्मिक मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। हालांकि, इनमें से कई बहुत ही गरीब स्थितियों में रहते हैं और उन्हें कभी भी पर्याप्त वेतन या अपनी कमाई की सुरक्षा नहीं मिलती। कई मामलों में, वे उस समुदाय की दया पर निर्भर रहते हैं जिसे वे सेवा प्रदान करते हैं और उन्हें हमेशा अपेक्षित सहायता नहीं मिल पाती।
केजरीवाल ने इस सदियों पुरानी समस्या का समाधान किया है। ₹18,000 प्रति माह का भत्ता इन धार्मिक व्यक्तियों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी धार्मिक और सामुदायिक सेवाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे, बजाय इसके कि वे अपनी आजीविका के लिए चिंतित हों।
इसके अलावा, केजरीवाल ने यह भी कहा कि उनकी सरकार योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी और एक प्रभावी निगरानी प्रणाली स्थापित करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह लाभ सही लोगों तक पहुंचे। इसमें पात्र पुजारियों की पहचान करने और निधि वितरण प्रक्रिया को बिना किसी देरी के सरल बनाने की योजना शामिल है।
समावेशिता की दिशा में एक कदम
हालाँकि पुजारी-गंथि सम्मान योजना हिंदू और सिख पुजारियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहल है, यह भारत को जितना संभव हो सके समावेशी और साम्प्रदायिक रूप से सौहार्दपूर्ण बनाने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक है। केजरीवाल इस प्रकार एक ऐसा वातावरण बनाने का लक्ष्य रखते हैं, जिसमें धार्मिक व्यक्तित्व, चाहे उनका विश्वास कोई भी हो, सम्मान और गरिमा के साथ अपनी सेवा कर सकें।
इससे दिल्ली और अन्य राज्यों में धार्मिक समुदायों के साथ AAP के संबंधों को मजबूती मिलेगी। आगामी चुनावों में इस योजना को व्यापक समर्थन मिलने की संभावना है क्योंकि यह योजना AAP की ओर से समाज के विविध समूहों, विशेषकर धार्मिक अल्पसंख्यकों, के मुद्दों को संबोधित करने की तत्परता को दर्शाती है।
निष्कर्ष
अंत में, पुजारी-गंथि सम्मान योजना दिल्ली सरकार द्वारा हिंदू और सिख पुजारियों को अत्यधिक आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इसके माध्यम से, अरविंद केजरीवाल और AAP ने धार्मिक नेताओं के निस्वार्थ कार्य को पहचानने और उनके कल्याण सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। यह योजना न केवल राहत प्रदान करने का एक तरीका है, बल्कि यह भारत की समृद्ध आध्यात्मिक धरोहर को संरक्षित और पोषित करने के महत्व का भी पुनःस्मरण कराती है।