दिल्ली कांग्रेस ने कल दिल्ली में प्रदूषण, नागरिक सुविधाओं और कानून व्यवस्था के कुप्रबंधन के लिए आप और भाजपा पर निशाना साधते हुए 12-सूत्रीय “श्वेत पत्र” जारी किया।

एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में, आम आदमी पार्टी ने संकेत दिया है कि अगर कांग्रेस अपनी स्थिति नहीं बदलती है तो वह आगामी 2024 चुनावों के दौरान विपक्षी INDIA गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने की मांग कर सकती है। कांग्रेस से संबंध तोड़ने की धमकी ने दिल्ली में राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया है, जहां दोनों पार्टियां आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हो रही हैं।
INDIA (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) गठबंधन, जिसे 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों का एक गठबंधन बनाने के रूप में स्थापित किया गया था, पहले ही अपनी पंक्तियों में तनाव का सामना कर चुका है। इस गठबंधन का उद्देश्य बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करना था, लेकिन दिल्ली में AAP और कांग्रेस के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा से ऐसा नहीं हो पा रहा है। दोनों पार्टियां आगामी विधानसभा चुनाव में आमने-सामने होंगी।
मतभेद की जड़
AAP और कांग्रेस के बीच बढ़ते तनाव का मुख्य कारण दिल्ली में तीव्र प्रतिस्पर्धा है। 2015 से AAP दिल्ली में प्रमुख पार्टी के रूप में शासन कर रही है, और इसने शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक सेवाओं जैसे प्रमुख मुद्दों पर मजबूत समर्थन बनाया है। वहीं, कांग्रेस जो पहले दिल्ली में एक स्थापित शक्ति थी, 2020 के विधानसभा चुनावों में केवल एक सीट पर सिमट कर रह गई थी।
पिछले कुछ हफ्तों में, कांग्रेस ने दिल्ली की राजनीति में अधिक आक्रामक रुख अपनाया है और उसने विधानसभा चुनावों में पूरी ताकत से भाग लेने का ऐलान किया है। AAP की एक प्रमुख नेता और विधायक अतिशी के अनुसार, कांग्रेस का उद्देश्य दिल्ली में विपक्षी वोट को विभाजित करना है, ताकि इसका फायदा कांग्रेस को हो सके। AAP का दावा है कि कांग्रेस का आक्रामक चुनावी अभियान, अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी की मदद कर रहा है क्योंकि इससे विपक्ष की एकजुटता कमजोर हो रही है, और बीजेपी को चुनौती देना कठिन हो रहा है।
अतिशी के बयान ने ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि उनके अनुसार कांग्रेस INDIA गठबंधन में ईमानदारी से काम नहीं कर रही है। उनका कहना है कि कांग्रेस, दिल्ली में विपक्षी वोट को बांटने की कोशिश कर रही है, जो बीजेपी को अपनी पकड़ बनाए रखने में मदद कर सकता है। AAP का आरोप है कि कांग्रेस की स्थिति न केवल पार्टी के लिए हानिकारक है बल्कि यह विपक्षी गठबंधन की एकजुटता को भी कमजोर कर रही है।
AAP की रणनीति और कांग्रेस का जवाब
AAP, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में, शहर में शासन और सार्वजनिक कल्याण में सुधार पर काम कर रही है। पार्टी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे मुद्दों पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिससे यह शहरी मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हो गई है। इस वजह से, AAP को दिल्ली में तीसरी बार लगातार सत्ता में आने का विश्वास है, हालांकि कांग्रेस से मुकाबला चुनौतीपूर्ण है।
वहीं, कांग्रेस, जिसके नेता अरविंदर सिंह लवली हैं, AAP के आरोपों को लेकर नाखुश है। पार्टी का कहना है कि वह दिल्ली में सत्ता की वैध दावेदार है और AAP को राजनीतिक विमर्श में अपनी निरंतर दबदबे को चुनौती देने नहीं देगी। कांग्रेस का मानना है कि उसके पास राजनीतिक अनुभव और मशीनरी है, जो AAP के शासन को चुनौती देने के लिए तैयार है।
हालांकि, AAP और कांग्रेस के बीच तनाव केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। दिल्ली में चल रहा मतभेद राष्ट्रीय स्तर पर INDIA गठबंधन के लिए व्यापक परिणाम उत्पन्न कर सकता है। दोनों पार्टियां भले ही समान गठबंधन का हिस्सा हों, लेकिन दिल्ली में उनकी प्रतिद्वंद्विता यह दिखाती है कि बीजेपी को चुनौती देने के लिए विपक्षी एकता को बनाना कितनी कठिन प्रक्रिया है।
AAP कांग्रेस को क्यों बाहर करना चाहती है
AAP की बढ़ती राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं ने आग में घी डालने का काम किया है। जबकि पार्टी दिल्ली से बाहर अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहती है, वह विशेष रूप से उन राज्यों में कांग्रेस को गंभीर विकल्प के रूप में देखती है, जहां कांग्रेस पारंपरिक रूप से विपक्ष की मुख्य पार्टी रही है। दिल्ली में AAP की सफलता और अन्य राज्यों में अपनी महत्वाकांक्षाओं के साथ, पार्टी कांग्रेस से टकराव की राह पर चल रही है, जो खुद को देश में विपक्ष की प्रमुख ताकत मानती रही है।
AAP के लिए, दिल्ली में कांग्रेस का रुख उसके राजनीतिक दृष्टिकोण और ताकत पर सीधा हमला है। AAP ने खुद को भ्रष्टाचार मुक्त, साफ-सुथरी और दोनों प्रमुख दलों—बीजेपी और कांग्रेस—से स्वतंत्र विकल्प के रूप में स्थापित किया है। कांग्रेस द्वारा दिल्ली में AAP की प्रमुख स्थिति को चुनौती देना, AAP की वैधता पर हमला माना जा रहा है। दिल्ली के चुनावी महत्व को देखते हुए, AAP ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह कांग्रेस द्वारा अपनी स्थिति को कमजोर करने को सहन नहीं करेगा और अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वह INDIA गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने की मांग कर सकता है।
INDIA गठबंधन पर असर
AAP और कांग्रेस के बीच बढ़ते मतभेद का INDIA गठबंधन पर गंभीर असर पड़ सकता है। गठबंधन की ताकत इसी बात पर निर्भर करती है कि वह अपने संसाधनों को एकजुट कर विभिन्न क्षेत्रों में साझा कर सकता है, लेकिन दिल्ली में जारी संघर्ष यह दिखा रहा है कि इस तरह का सहयोग अब संभव नहीं लगता। अगर AAP और कांग्रेस दिल्ली और अन्य राज्यों में आपस में भिड़ते रहे, तो इससे विपक्ष की बीजेपी को चुनौती देने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
INDIA गठबंधन अभी भी नया है, और इन संघर्षों का सामना उसे आने वाले महीनों में करना होगा। दिल्ली चुनावों के परिणाम विपक्षी एकता का परीक्षण हो सकते हैं, जो 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए महत्वपूर्ण होगा। इससे विपक्ष के लिए एक गंभीर स्थिति बन जाएगी, क्योंकि AAP और कांग्रेस एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं, जबकि बीजेपी चुपचाप इसे देख रही है।
निष्कर्ष
2024 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के करीब आने के साथ, AAP और कांग्रेस के बीच की प्रतिद्वंद्विता विपक्ष के लिए एक कठिन चुनौती बन सकती है। AAP द्वारा कांग्रेस को INDIA गठबंधन से बाहर करने की धमकी ने विपक्षी खेमे में दरार को और गहरा किया है। यह देखना होगा कि क्या दोनों पार्टियां अपने मतभेदों को समाप्त कर एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल सकती हैं, क्योंकि यही तय करेगा कि INDIA गठबंधन का भविष्य क्या होगा और आगामी चुनावों में उसका क्या परिणाम होगा।