जामिया के छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2019 के विरोध-प्रदर्शनों की वर्षगांठ के अवसर पर यादगार कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए कैम्पस के प्रवेश और निकासी बिंदुओं को बंद कर दिया था।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने 2019 के नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोध प्रदर्शनों की वर्षगांठ के दिन पुलिस द्वारा उनके खिलाफ बल प्रयोग करने का आरोप लगाया है। छात्रों का कहना है कि पुलिस ने लाठीचार्ज किया और इस प्रक्रिया में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। एक बार फिर, यह घटना विश्वविद्यालय छात्रों, पुलिस और प्रशासन के बीच तनाव का कारण बनी है, खासकर CAA कानून के विवादित विषय पर।
पृष्ठभूमि: 2019 के विरोधों की वर्षगांठ
सोमवार को हुए विरोध जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा आयोजित किए गए उन कार्यक्रमों का हिस्सा थे, जो 2019 में CAA विरोध प्रदर्शनों की पहली वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किए गए थे। 15 दिसंबर, 2019 को जामिया में छात्रों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि यह कानून मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव करता है। प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, पुलिस बल कैंपस में घुस आया था, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर संघर्ष, चोटें और पुलिस क्रूरता के आरोप लगे थे।
जैसे-जैसे उस विरोध के वर्षगांठ का दिन पास आया, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने शांति से प्रदर्शन करने का निर्णय लिया था और उन छात्रों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिन्होंने 2019 के विरोधों में भाग लिया था। छात्रों ने इस दिन को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने की योजना बनाई थी, ताकि उन विरोधियों की वीरता को याद किया जा सके जिन्होंने इस कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
पुलिस क्रूरता के आरोप
घटनास्थल पर मौजूद छात्रों के अनुसार, जैसे ही उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू किया, पुलिस ने उन पर हमला कर दिया। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने विरोध करने वाले छात्रों के आंदोलन को रोकने के लिए कैंपस के प्रवेश और निकासी बिंदु बंद कर दिए थे। पुलिस ने उन क्षेत्रों में तैनाती की और शांति से प्रदर्शन कर रहे छात्रों को खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया।
एक छात्र ने घटना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “हम शांति से विरोध कर रहे थे, तभी पुलिस ने हम पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया। हमें शांति से खड़ा होने का भी मौका नहीं मिला। कई छात्र घायल हुए, और जल्द ही हिंसा फैल गई।” उनके अनुसार, पुलिस ने आयोजनकर्ताओं और उन पत्रकारों को भी निशाना बनाया जो विरोध का दस्तावेजीकरण कर रहे थे। लाठीचार्ज की वजह से कई छात्रों को गंभीर चोटें आईं।
कई छात्रों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन चोटों में गंभीर खरोंचों से लेकर गहरी चोटें तक शामिल हैं, और कुछ छात्रों को खून बहते हुए देखा गया। एक छात्र ने कहा, “पुलिस का आक्रामक व्यवहार बिल्कुल बेवजह था। हम सिर्फ पांच साल पहले हुए घटनाक्रम को याद कर रहे थे। इस हिंसा की कोई जरूरत नहीं थी।”
विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका
जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने इस घटना के बाद एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि सुरक्षा कारणों से और छात्रों की सुरक्षा के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रवेश और निकासी बिंदु बंद कर दिए थे। प्रशासन ने छात्रों से विश्वविद्यालय के नियमों का पालन करने की अपील की और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की उम्मीद जताई।
हालांकि, छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर शांतिपूर्ण विरोध को दबाने की कोशिश की। कई छात्रों का मानना है कि प्रशासन का यह कदम 2019 के विरोधों की याद को दबाने और न्याय की लड़ाई को चुप कराने का प्रयास था।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने राजनीतिक नेताओं के बीच विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने पुलिस के बल प्रयोग की कड़ी निंदा की है, यह आरोप लगाते हुए कि छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। नेताओं ने सोशल मीडिया पर छात्रों पर किए गए हमले की कड़ी आलोचना की।
“छात्रों के खिलाफ पुलिस की क्रूरता उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। आज जामिया में जो हुआ, वह शांतिपूर्ण विरोध करने वालों के खिलाफ दमनकारी कदमों की ओर इशारा करता है,” एक विपक्षी नेता ने कहा।
वहीं, कुछ सरकारी समर्थक नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया है, यह कहते हुए कि विरोध से शांति और कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती थी। उनका कहना था कि पुलिस सिर्फ विश्वविद्यालय में शांति और सुरक्षा बनाए रखने का काम कर रही थी।
यह घटना देशभर में छात्रों और नागरिक अधिकारों के कार्यकर्ताओं के बीच एक नई लहर को जन्म दे रही है। कई छात्र संगठनों ने जामिया छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई और पुलिस के इस आक्रमण की निंदा की। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर समर्थन और विरोध दोनों ही पक्षों से प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कई विश्वविद्यालयों ने जामिया छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है और स्वतंत्र जांच की मांग की है।
भविष्य की स्थिति
जैसे-जैसे स्थिति और बढ़ती जा रही है, अधिकारियों पर बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। जामिया के छात्र अपने विरोध को तब तक जारी रखने का संकल्प ले चुके हैं जब तक उनके आक्षेपों का समाधान नहीं किया जाता। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन और पुलिस आगे बढ़कर अधिक संयम दिखाते हैं या फिर संघर्ष को बढ़ाते हैं।
अब तक, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय एक बार फिर उस राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन गया है जो छात्र विरोध, पुलिस क्रूरता और राज्य की प्रतिक्रिया से संबंधित है।