गांधी ने पहले इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की इस बात पर आलोचना की थी कि उन्होंने गाजा में इजरायली सरकार की “नरसंहारक कार्रवाइयों” को कहा था, क्योंकि उन्होंने उन पर और उनकी सरकार पर “बर्बरता” का आरोप लगाया था।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने 16 दिसंबर 2024 को संसद में एक प्रतीकात्मक कदम उठाते हुए ‘फिलिस्तीन’ बैग लेकर पहुंचकर फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति अपनी एकजुटता जताई। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब मध्य पूर्व, विशेष रूप से गाजा में स्थिति वैश्विक चिंता का कारण बनी हुई है। प्रियंका गांधी की यह कार्रवाई, हालांकि साधारण प्रतीत होती है, राजनीतिक हलकों में महत्वपूर्ण चर्चा का कारण बन गई है, जो उनके अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दृष्टिकोण और वैश्विक मानवाधिकार मुद्दों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
प्रियंका गांधी द्वारा संसद में लाए गए ‘फिलिस्तीन’ बैग ने ध्यान आकर्षित किया। इस बैग पर फिलिस्तीन क्षेत्र का नाम लिखा हुआ था, जो एक सार्वजनिक घोषणा के रूप में था, जिसमें उन्होंने उन फिलिस्तीनियों के समर्थन की बात की, जो लंबे समय से संघर्ष और मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। प्रियंका की यह पहल उनके वैश्विक संघर्षों के प्रति सहानुभूति और संघर्ष क्षेत्रों में शांति की वकालत का हिस्सा मानी जा रही है।
एकजुटता का प्रतीक
हालाँकि यह कदम अपेक्षाकृत हल्का प्रतीत होता है, फिर भी यह इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष की जटिल और संवेदनशील प्रकृति के कारण व्यापक ध्यान आकर्षित कर रहा है। प्रियंका गांधी ने इस बैग को तब लाने का निर्णय लिया है जब गाजा में हाल के महीनों में स्थिति बिगड़ चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में जानमाल का नुकसान हुआ और व्यापक पैमाने पर विनाश हुआ। फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए गांधी ने खुद को उन अंतरराष्ट्रीय नेताओं और संगठनों के साथ जोड़ा है जो इस क्षेत्र में मानवतावादी संकट के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
इस कदम को मानवाधिकारों के लिए एक वफादारी की तरह देखा जा रहा है, जो मध्य पूर्व के अनवरत संघर्ष में पीड़ितों के प्रति उनकी सहानुभूति को दर्शाता है। हालांकि कांग्रेस पार्टी की नेता ने पहले भी वैश्विक मंचों पर अपने विचार रखे हैं, संसद में ‘फिलिस्तीन’ बैग लेकर आना पहली बार यह संकेत देता है कि वह शांति और न्याय के पक्ष में निरंतर सक्रिय हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और बहस
प्रियंका गांधी के इस कदम ने राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक गुटों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दी हैं। गांधी के समर्थनकताओं का कहना है कि उनका यह कदम दुनिया भर में शोषित समुदायों के साथ खड़ा होने का महत्व दर्शाता है। उनका मानना है कि फिलिस्तीन के प्रति गांधी की एकजुटता वैश्विक शांति और न्याय के लिए एक दयालु दृष्टिकोण को दर्शाती है।
वहीं कुछ आलोचकों ने इस कदम पर आपत्ति जताई है, यह कहते हुए कि उन्होंने यह कदम उस समय उठाया है जब भारत की विदेश नीति इजराइल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर सामान्य रूप से अधिक तटस्थ रही है। कुछ विपक्षी नेताओं और टिप्पणीकारों ने सवाल उठाया है कि क्या इस तरह की एकजुटता इजराइल के साथ भारत के रिश्तों को जटिल बना सकती है, जो इस समय भारत का करीबी सहयोगी है। इजराइल, जिसने भारत के साथ पारंपरिक रूप से मजबूत रिश्ते बनाए हैं, को गाजा में अपनी कार्रवाइयों के कारण अधिकांश देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस के अंदर भी इस कदम पर प्रतिक्रिया आई है, और पार्टी के नेताओं ने प्रियंका गांधी के कदम को इस प्रकार बचाया है कि यह केवल एक व्यक्तिगत मानवाधिकार विश्वास का प्रतीक था, न कि एक राजनीतिक कदम। उनका कहना है कि यह एक मानवीय कदम था, जो फिलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति और एकजुटता को व्यक्त करता है।
शांति और न्याय की वकालत
प्रियंका गांधी लंबे समय से घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों पर मानवाधिकार और शांति की क्रूसेडर रही हैं। पिछले वर्षों में उन्होंने सामाजिक न्याय, महिला अधिकारों और सतत पारिस्थितिकी जैसे मुद्दों पर गंभीर बयान दिए हैं। इसी तरह, उनका ‘फिलिस्तीन’ बैग उनकी वर्षों से चली आ रही प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है, जो इस और अन्य उपेक्षित और गलत प्रतिनिधित्व वाले समूहों के लिए समर्पित है।
संसद में ‘फिलिस्तीन’ बैग ले जाना इस बात का संकेत है कि गांधी अब अपनी सार्वजनिक छवि के निर्माण में और भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वह केवल कांग्रेस पार्टी की एक प्रमुख नेता नहीं हैं, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर आवाज उठाने वाली एक नई पीढ़ी की प्रतिनिधि भी बन रही हैं।
फिलिस्तीन के समर्थन में बढ़ती वैश्विक आवाजें
प्रियंका गांधी उन नेताओं की बढ़ती सूची में शामिल हैं जिन्होंने फिलिस्तीन के समर्थन में सार्वजनिक रूप से अपनी आवाज उठाई है। फिलिस्तीन के मुद्दे ने कई मानवाधिकार संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है, और वैश्विक नेताओं ने हिंसा को रोकने और इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की अपील की है। गांधी की फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता उन्हें उन नेताओं के बीच रखती है जो इजराइल और फिलिस्तीन दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की स्वीकृति के पक्ष में हैं।
जैसे-जैसे इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध पर बहस बढ़ रही है, प्रियंका गांधी का यह कदम उस कड़ी में एक और आवाज़ के रूप में उभर रहा है, जो क्षेत्र में शांति और न्याय की वकालत करता है।
निष्कर्ष
प्रियंका गांधी द्वारा संसद में ‘फिलिस्तीन’ बैग लेकर आना इस बात का प्रतीक है कि वह फिलिस्तीनियों के संघर्ष में उनके समर्थन में खड़ी हैं। यह कदम एक मानवीय बयान हो सकता है या एक राजनीतिक इशारा, लेकिन यह निश्चित रूप से युद्ध क्षेत्रों में पीड़ितों के प्रति एकजुटता का मजबूत प्रतीक है। जैसे-जैसे वैश्विक चर्चा शांति, न्याय और मानवाधिकार पर चल रही है, गांधी का यह कदम एक याद दिलाने जैसा है कि हमें दुनिया भर में पीड़ितों के लिए सहानुभूति और वकालत करनी चाहिए।