इन घटनाक्रमों के बीच बीजेपी की केंद्रीय पर्यवेक्षक टीम अगले दो दिनों में मुंबई आएगी और इस दौरान देवेंद्र फड़णवीस को नेता चुनने की औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महायुति समन्वयक पद की मांग की है और साथ ही अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद पर नियुक्त करने की इच्छा जताई है। इस मांग ने राज्य में एक नए राजनीतिक विमर्श की शुरुआत कर दी है, क्योंकि यह निर्णय महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में मौजूदा शक्ति साझीदारों के बीच समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य का परिचय
एकनाथ शिंदे, शिवसेना के वरिष्ठ नेता, ने जून 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई की थी। इस विद्रोह के परिणामस्वरूप उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (MVA) सरकार गिर गई और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक धड़े, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कुछ छोटे क्षेत्रीय दलों के गठबंधन से महायुति का गठन हुआ।
तब से, शिंदे मुख्यमंत्री के रूप में राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां सत्ता साझा करने का समझौता हुआ है, जिसमें उनकी शिवसेना और बीजेपी प्रमुख विभागों को साझा करती हैं। हालांकि, यह गठबंधन कई बार शक्ति संतुलन के सवालों के कारण मुश्किलों का सामना कर चुका है, और गठबंधन के विभिन्न धड़ों द्वारा अपने-अपने दावों को लेकर विवाद भी उठते रहे हैं।
महायुति समन्वयक पद के लिए शिंदे की मांग
हाल ही में, एकनाथ शिंदे ने महायुति समन्वयक पद की मांग की है, जो एक प्रभावशाली भूमिका है और इस पद से उन्हें महाराष्ट्र में गठबंधन की दिशा तय करने का अधिकार मिलेगा। समन्वयक पद आमतौर पर गठबंधन के विभिन्न दलों के बीच समन्वय स्थापित करने और महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णयों में एकजुटता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
महायुति में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, खासकर शिंदे के धड़े और बीजेपी के बीच, के बीच शिंदे इस पद को हासिल कर अपने समूह के प्रभाव को सुनिश्चित करना चाहते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह शिंदे की रणनीतिक चाल हो सकती है, जो गठबंधन में अपनी स्थिति को मजबूत करने और बीजेपी और अन्य सहयोगियों से ज्यादा मोल-भाव की शक्ति हासिल करने के लिए है।
बेटे श्रीकांत शिंदे के लिए उपमुख्यमंत्री पद की मांग
एक और राजनीतिक कदम में, एकनाथ शिंदे ने यह भी स्पष्ट किया कि वह चाहते हैं कि उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनाया जाए। श्रीकांत शिंदे, जो कि कल्याण से सांसद हैं, एक सक्रिय राजनीतिक व्यक्ति हैं और हमेशा अपने पिता के राजनीतिक लक्ष्यों के समर्थक रहे हैं।
श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है। शिंदे गुट के कई समर्थक इसे परिवार की राजनीतिक ताकत को मजबूत करने का एक स्वाभाविक कदम मानते हैं, जबकि आलोचकों का कहना है कि यह महाराष्ट्र में राजनीतिक वंशवाद की शुरुआत हो सकती है, एक राज्य जो वंशवाद से जुड़ी राजनीति के लिए जाना जाता है।
श्रीकांत शिंदे, हालांकि अपने पिता की तुलना में राज्य राजनीति में कम प्रसिद्ध हैं, फिर भी उन्होंने अपनी निर्वाचन क्षेत्र में मजबूत आधार तैयार किया है और राजनीतिक कार्यक्रमों में भी अधिक नजर आ रहे हैं। अगर उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो इससे शिंदे परिवार का महाराष्ट्र की राजनीति में और भी अधिक प्रभाव बनेगा, खासकर शिंदे गुट के शिवसेना समर्थकों के बीच।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद
महायुति समन्वयक पद के लिए शिंदे की मांग और श्रीकांत को उपमुख्यमंत्री बनाने की उनकी इच्छा ने महाराष्ट्र में विभिन्न राजनीतिक दलों से मिश्रित प्रतिक्रियाएं प्राप्त की हैं। बीजेपी, जो शिंदे के नेतृत्व वाले गठबंधन की प्रमुख साझेदार है, समन्वयक पद को लेकर खामोश रही है, लेकिन उसने श्रीकांत शिंदे के सरकार में उन्नति के लिए समर्थन दिखाया है।
विपक्ष, जिसमें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) भी शामिल हैं, ने शिंदे परिवार के बढ़ते प्रभाव पर आलोचना की है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि ऐसे कदम वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देंगे और लोकतांत्रिक शासन के सिद्धांतों को कमजोर करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों ने यह भी उल्लेख किया है कि जबकि शिंदे की समन्वयक पद के लिए मांग और बेटे को पदोन्नति देने की पहल उनके सत्ता को मजबूत करने की इच्छा को दर्शाती है, यह महायुति गठबंधन में दरारों को भी उजागर कर सकती है। बीजेपी, जो शिंदे गुट के साथ सहयोग कर रही है, एक ही परिवार को गठबंधन में बहुत ज्यादा शक्ति देने के लिए हिचकिचा सकती है, क्योंकि इससे गठबंधन के संतुलन में गड़बड़ी हो सकती है।
महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति का भविष्य
जैसे-जैसे शिंदे की मांगें महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियारों में गूंज रही हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और अन्य गठबंधन सहयोगी कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति तेजी से बदल रही है, शिंदे अपनी सत्ता को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि गठबंधन के जटिल समीकरणों को भी सुलझा रहे हैं।
अगर शिंदे की मांगें स्वीकार की जाती हैं, तो यह राज्य सरकार की शक्ति संरचना को फिर से आकार दे सकता है और शिंदे परिवार का महाराष्ट्र की राजनीति पर और अधिक कब्जा हो सकता है। दूसरी ओर, अगर उनकी मांगों को अस्वीकृत या कमजोर किया जाता है, तो यह गठबंधन में दरारें पैदा कर सकता है और वर्तमान सरकार की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।
आने वाले हफ्तों में यह देखना अहम होगा कि बीजेपी और महायुति के अन्य साझेदार शिंदे के महत्वाकांक्षी राजनीतिक एजेंडे पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीतिक भविष्यवाणी महत्वपूर्ण परिवर्तनों के कगार पर है, क्योंकि राज्य अपने राजनीतिक विकास के अगले चरण के लिए तैयार हो रहा है।