अदालत ने बृज भूषण के वकील से उनके खिलाफ मामले को रद्द करने के लिए अपने सभी तर्कों के साथ एक संक्षिप्त नोट जमा करने को कहा है।

नई दिल्ली – दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रिजभूषण शरण सिंह को बड़ा झटका देते हुए उनके द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी प्रकार की राहत प्रदान करने का कोई आधार नहीं है।
ब्रिजभूषण सिंह ने हाल ही में दिल्ली HC में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप राजनीतिक विद्वेष और व्यक्तिगत रंजिश के तहत किए गए हैं। उनका कहना था कि ये आरोप उन्हें कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटाने के एक साझा एजेंडे का हिस्सा हैं। सिंह ने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ केस दर्ज कर उनकी छवि को जानबूझकर खराब किया जा रहा है।
हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया। न्यायालय ने कहा कि मामले की गंभीरता और चल रही जांच को देखते हुए याचिका को खारिज करना उचित है। अदालत ने मामले की उचित कानूनी प्रक्रिया को जारी रखने का आदेश दिया और इस बात पर जोर दिया कि यौन उत्पीड़न के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, वर्तमान में किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती।
इस निर्णय के बाद, ब्रिजभूषण सिंह को अब यौन उत्पीड़न के आरोपों से निपटने के लिए कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। अदालत द्वारा राहत की याचिका खारिज किए जाने के बाद, उनके समर्थक और विरोधी दोनों ही इस फैसले को महत्वपूर्ण मान रहे हैं।
ब्रिजभूषण सिंह के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, और इस मामले की आगे की सुनवाई और कानूनी प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।