ठेकेदार जयदीप आप्टे और संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

महाराष्ट्र के मालवण किले में स्थापित 35 फीट ऊंची शिवाजी महाराज की स्टील प्रतिमा हाल ही में ढह गई। यह प्रतिमा लगभग नौ महीने पहले स्थापित की गई थी। घटना के बाद से राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
प्रतिमा का ढहना एक बड़े विवाद का विषय बन गया है। भारतीय नौसेना ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि यह प्रतिमा उनके संरक्षण में स्थापित की गई थी। नौसेना के अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
विपक्षी दलों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और ठेकेदार के बारे में सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि प्रतिमा की स्थापना में किस ठेकेदार को जिम्मेदारी सौंपी गई थी और उसे काम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए गए थे। विपक्ष ने सरकार से जवाबदेही की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है।
स्थानीय प्रशासन ने घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की है। जांच समिति प्रतिमा के निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता और निर्माण की तकनीकी विशेषताओं की समीक्षा करेगी। इसके साथ ही, प्रतिमा के ढहने के कारणों की भी जांच की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
इस बीच, स्थानीय निवासियों और इतिहास प्रेमियों ने प्रतिमा के ढहने पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने इस घटना को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उपेक्षा का प्रतीक मानते हुए उचित मुआवजे और पुनर्निर्माण की मांग की है।
महाराष्ट्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि इस घटना की पूरी जांच की जाएगी और जो भी जिम्मेदार होगा, उसे दंडित किया जाएगा। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
प्रतिमा के ढहने की घटना ने पूरे राज्य में सुरक्षा और निर्माण मानकों को लेकर नई बहस को जन्म दिया है और इसके प्रभावी समाधान के लिए सभी पक्षों की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।