‘मार्च टू नबन्ना’ विरोध मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे और आर जी कर अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्कार-हत्या में फंसे लोगों की गिरफ्तारी की मांग पर केंद्रित है।

कोलकाता में हाल ही में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले ने राजनीतिक घमासान पैदा कर दिया है। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की पुलिस ने चार छात्रों को गायब कर दिया है, जो आज प्रस्तावित विरोध मार्च में शामिल होने वाले थे।
सुवेंदु अधिकारी ने प्रेस वार्ता में दावा किया कि इन चार छात्रों को पुलिस ने प्रदर्शन से पहले ही हिरासत में ले लिया है, जिससे विरोध प्रदर्शन की तैयारी प्रभावित हुई है। अधिकारी ने इसे राजनीतिक दमन और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए ममता बनर्जी की सरकार की आलोचना की है।
भाजपा के आरोपों के जवाब में, पश्चिम बंगाल पुलिस ने स्पष्ट किया है कि चार छात्र गायब नहीं हुए हैं, बल्कि उन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, ये छात्र मामले की जांच से जुड़े कुछ पहलुओं पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए हैं। पुलिस ने यह भी बताया कि छात्रों को पूछताछ के बाद जल्द ही छोड़ दिया जाएगा और उन्हें किसी प्रकार की हिंसा या बलात्कारी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह नहीं है।
पुलिस प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि प्रदर्शन के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के अन्य नेताओं ने आरोप लगाया है कि ममता सरकार इस मामले को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है और विरोध प्रदर्शन को दबाने के प्रयास में लगी है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या पुलिस की कार्रवाई लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ नहीं है और क्या इसका उद्देश्य विरोध को कमजोर करना है।
इस बीच, स्थानीय नागरिक और मानवाधिकार संगठन भी इस विवाद पर ध्यान दे रहे हैं और प्रशासन की कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने आरोपों और प्रतिक्रियाओं के बीच अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए सरकार से इस मुद्दे पर शीघ्र और उचित कार्रवाई की मांग की है।
सुरक्षा बलों ने इलाके में तैनाती बढ़ा दी है और विरोध मार्च को शांति पूर्वक संपन्न कराने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन और विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे पर विवाद और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।