प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख के शिनकुन ला क्षेत्र में सुरंग निर्माण का शुभारंभ किया है। यह सुरंग भारतीय सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जो देश की सामरिक और सामुदायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई जा रही है।

शुक्रवार को कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख का दौरा किया, जहां उन्होंने शिंकुन ला सुरंग परियोजना के निर्माण का शुभारंभ किया, जो दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी।
4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग का निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा। सीमा सड़क संगठन द्वारा 1,681 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जाने वाली सुरंग को पिछले साल फरवरी में सुरक्षा पर पीएम की अगुवाई वाली कैबिनेट समिति ने मंजूरी दी थी। हर 500 मीटर पर क्रॉस-पैसेज वाली शिंकुन ला सुरंग के दो साल में पूरा होने का अनुमान है।
सुरंग के महत्व और लाभ:
सैन्य आवाजाही में सुविधा: शिनकुन ला सुरंग निर्माण से भारतीय सेनाओं को अत्यधिक ऊँचाई वाले और मौसम की चुनौतियों से भरे क्षेत्रों में आसानी से आवाजाही करने में मदद मिलेगी। यह सुरंग खराब मौसम, बर्फबारी, और भूस्खलन के प्रभाव को कम करेगी, जिससे सैनिकों की सुरक्षा और त्वरित आवाजाही सुनिश्चित होगी।
लॉजिस्टिक समर्थन: सुरंग के निर्माण से सीमा क्षेत्रों में रसद आपूर्ति और सैन्य सामग्री की त्वरित पहुंच संभव होगी। यह सैन्य अभियानों की दक्षता और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता को बढ़ाएगा।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: इस सुरंग के निर्माण से स्थानीय क्षेत्र के विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इससे इलाके में यातायात, व्यापार, और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
सामरिक महत्व: यह सुरंग भारत की सीमा सुरक्षा को सुदृढ़ करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह चीन के साथ सीमा पर सामरिक तैनाती और संचालन को अधिक प्रभावी बनाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना के शुभारंभ के अवसर पर इसका महत्व बताते हुए कहा कि यह भारत की सुरक्षा, सामरिक शक्ति और क्षेत्रीय विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।