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माइनिंग केस में झारखंड CM हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, ट्वीट कर बोले-सत्यमेव जयते!

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरूपयोग किया और खुद को एक खनन पट्टा से फायदा पहुंचाया. उन्होंने आरोप लगाया था कि सोरेन ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

माइनिंग लीज और मनी लॉन्ड्रिंग मामले मे झारखंड के CM हेमंत सोरेन को बड़ी राहत मिली है. हेमंत सोरेन के खिलाफ हाईकोर्ट के फैसला रद्द कर दिया गया है. सोरेन और राज्य सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट  ने ये फैसला सुनाया है .अब कोर्ट के इस फैसले पर हेमंत सोरेन की भी प्रतिक्रिया आ गई हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लिखा कि सत्यमेव जयते!.कोर्ट ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट में सोरेन के खिलाफ याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत मिली थी.

सोरेन पर राज्य के खनन मंत्री के तौर पर एक खनन पट्टा खुद को आवंटित करने का आरोप है.अदालत ने कहा, ‘हमने इन दो याचिकाओं को अनुमति दे दी है और जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य नहीं ठहराते हुए झारखंड हाईकोर्ट के तीन जून 2022 को पारित आदेश को दरकिनार कर दिया है.’ सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर हेमंत सोरेन ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा, ‘सत्यमेव जयते.’ चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस. आर. भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर झारखंड सरकार और सोरेन की अलग-अलग याचिकाओं पर 17 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

रघुवर दास ने लगाया था आरोप

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट को खनन पट्टा मामले में सोरेन के खिलाफ जांच का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर कार्यवाही करने से रोक दिया था. दरअसल बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरूपयोग किया और खुद को एक खनन पट्टा से फायदा पहुंचाया. उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे में हितों का टकराव और भ्रष्टाचार दोनों शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है.

चुनाव आयोग ने सोरेन से मांगी थी सफाई

विवाद का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मई में सोरेन को एक नोटिस भेज कर उन्हें जारी किए गए खनन पट्टा पर उनका स्पष्टीकरण मांगा था. यह पट्टा उन्हें उस वक्त जारी किया गया था जब खनन एवं पर्यावरण विभाग उनके पास था. झारखंड हाईकोर्ट में दायर याचिका में खनन पट्टा प्रदान किए जाने में कथित अनियमितताओं की जांच का अनुरोध किया गया था. साथ ही मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों एवं सहयोगियों से जुड़े कुछ फर्जी कंपनियों के लेनदेन की भी जांच की अपील की गई थी.

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Pooja Pandey

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