इस बार देव उठनी एकादशी 14 नवंबर को पड़ रही है. इस एकादशी के दिन कुछ विशेष उपायों को करके भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं.

हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए योगनिंद्रा में चले जाते हैं और इस दौरान कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किया जाता.इसके बाद कार्तिक शुक्ल की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु चार माह बाद योगनिंद्रा से जागते हैं और धरती का कार्यभार संभालते हैं. इसलिए यह दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण माना गया है और इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है. कई जगह देवउठनी एकादशी को प्रबोधनी एकादशी या उत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत देवउठनी एकादशी से होती है.
कब है देवउठनी एकादशी
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी चार माह की योगनिंद्रा से जागते हैं. इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है और इसके साथ ही शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी तिथि की शुरुआत 3 नवंबर को शाम 7 बजकर 30 मिनट पर होगी और यह तिथि 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी का व्रत 4 नवंबर 2022 को रखा जाएगा.
देवउठनी एकादशी पर दान का महत्व
वैसे तो प्रत्येक पूजा-पाठ व व्रत-उपवास में दान का विशेष महत्व होता है. लेकिन धर्म शास्त्रों के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु धरती पर अपना कार्यभार संभालते हैं और इस दिन तुलसी विवाह भी होता है. ऐसे में देवउठनी एकादशी के दिन दान का महत्व और भी बढ़ जाता है. कहते हैं कि इस दिन दान करने से भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
इन चीजों का करें दान
देवउठनी एकादशी के दिन गांवों में गाय के गोबर से घर का आंगन लीपा जाता है और इसे बेहद शुद्ध माना जाता है. मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन अन्न और धन के अलावा लोगों को धान, मक्का, गेहूं, बाजरा, गुड़, उड़द और वस्त्र का दान अवश्य करना चाहिए. इसके साथ ही अगर इस दिन सिंघाड़ा, शकरकंदी और गन्ने का दान किया जाए तो काफी श्रेष्ठ माना जाता है और इससे घर में सुख-शांति का वास होता है.