आज की ताजा खबर केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली देश

प्रेमी जोड़े को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला,’दो बालिग की जिंदगी में तीसरे व्यक्ति को हस्तक्षेप का नहीं है कोई अधिकार’

अदालत ने यह टिप्पणी एक दंपति की याचिका पर की, जिसमें दावा किया गया था कि अपने परिवारों की इच्छा के खिलाफ शादी करने के बाद से वे डर के कारण विभिन्न होटलों में रह रहे हैं और जब तक उनकी रक्षा नहीं की जाती, वे शांति नहीं पा सकेंगे.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेमी युगल को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि दो बालिग लोगों की जिंदगी में तीसरे व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की. कोर्ट ने याचिकाकर्ता युवक और उसकी प्रेमिका को साथ रहने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि दो बालिगों के निजी जीवन में किसी को भी दखल का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने संदीप कुमार व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह आदेश दिया है.

दरअसल, बागपत निवासी संदीप कुमार ने ससुरालियों पर पत्नी को बंदी बनाए जाने का आरोप लगाया था. पत्नी के परिजनों ने युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था. आरोप था कि युवक ने उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था. कोर्ट ने मामले में बयान के लिए युवती को तलब किया था. कोर्ट में पेश युवती ने कहा वह अपने पति के साथ रहना चाहती है. युवती के बयान के बाद कोर्ट ने याची को उसके रहने की इजाजत दे दी. इसके साथ ही दोनों के जीवन में परिवार के सदस्यों को किसी भी तरह के हस्तक्षेप पर रोक लगाई है.

दिल्ली पुलिस को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश

न्यायमूर्ति गेडेला ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर किसी भी याचिकाकर्ता (महिला और उसका प्रेमी), जो बालिग हैं, की ओर से धमकी मिलने की कोई शिकायत आती है, या वे किसी संभावित खतरे को भांपते हुए इमरजेंसी काॅल करते हैं, तो उन्हें तुरंत अटेंड किया जाए. अदालत ने कहा, ’हमारा विचार है कि राज्य अपने नागरिकों की रक्षा के लिए एक संवैधानिक दायित्व के तहत बंधा है, खासकर ऐसे मामलों में जहां शादी दो वयस्कों के बीच रजामंदी से होती है. चाहे वे किसी भी जाति या समुदाय के हों.’

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में क्या कहा?

अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, ‘हमारे फ्रेमवर्क के तहत संवैधानिक अदालतों को नागरिकों की रक्षा के लिए आदेश पारित करने का अधिकार है. विशेष रूप से उस प्रकृति के मामलों में जिससे वर्तमान विवाद संबंधित है. एक बार जब दो वयस्क पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहने के लिए सहमत हो जाते हैं तो उनके मामले में परिवार सहित किसी तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप नहीं हो सकता है. हमारा संविधान भी इसे सुनिश्चित करता है.’

यह न केवल राज्य का कर्तव्य है, बल्कि इसकी मशीनरी और एजेंसियों का भी है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए कानून और व्यवस्था लागू करते हैं कि इस देश के नागरिकों को कोई नुकसान न हो. अदालत ने यह भी कहा कि बीट पुलिस अधिकारी उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अगले तीन सप्ताह तक 2 दिन में एक बार याचिकाकर्ता दंपत्ति के आवास का दौरा करेंगे.

Avatar

Pooja Pandey

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Welcome to fivewsnews.com, your reliable source for breaking news, insightful analysis, and engaging stories from around the globe. we are committed to delivering accurate, unbiased, and timely information to our audience.

Latest Updates

Get Latest Updates and big deals

    Our expertise, as well as our passion for web design, sets us apart from other agencies.

    Fivewsnews @2024. All Rights Reserved.