शशि थरूर ने कहा, मल्लिकार्जुन खरगे एक अनुभवी नेता हैं, अगर वह जीतते हैं, तो हम स्वाभाविक रूप से सहयोग करेंगे. इससे पहले थरूर ने पार्टी के अपने कुछ साथियों पर पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में नेतागीरी करने का आरोप भी लगाया था.

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने रविवार को कहा कि उन्हें अपनी पार्टी की विचारधारा से कोई समस्या नहीं है। साथ ही कहा कि वह पार्टी को मजबूत बनाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं, चाहे कोई भी चुनाव जीते। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव होगा। चुनाव से एक दिन पहले शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मैं अपने काम करने के तरीके में बदलाव लाना चाहता हूं।
रिपोर्ट के मुताबिक थरूर ने कहा, मल्लिकार्जुन खरगे एक अनुभवी नेता हैं, अगर वह जीतते हैं, तो हम स्वाभाविक रूप से सहयोग करेंगे.” इससे पहले शशि थरूर ने पार्टी में विकेंद्रीकरण पर जोर देते हुए रविवार को कहा था कि यह इसलिए जरूरी है ताकि सारे निर्णय दिल्ली से ही न लिए जाएं.
पार्टी के साथियों पर लगाया नेतागिरि का आरोप
थरूर ने पार्टी के अपने कुछ साथियों पर पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में नेतागीरी करने का आरोप भी लगाया था और कहा था कि अगर किसी के मन में कोई डर या संदेह हो तो उनके लिए पार्टी का यह स्पष्टीकरण काफी है कि अध्यक्ष पद के लिए गुप्त मतदान होगा. पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों से वोट मांगने आए थरूर ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि चाहे वह चुनाव जीतें या फिर उनके एकमात्र प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खरगे विजयी हों, लेकिन जीत कांग्रेस की होनी चाहिए.
प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों के प्रतिनिधियों की राय को भी महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस में विकेंद्रीकरण की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि सारे निर्णय दिल्ली से ही न लिया जाएं.’ थरूर ने यह भी कहा कि पार्टी के अध्यक्ष तक सभी की पहुंच होनी चाहिए और यह व्यवस्था हर स्तर पर लागू की जानी चाहिए.
उन्होंने पार्टी के उदयपुर घोषणापत्र को लागू करने की जरूरत दोहराते हुए कहा कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ की व्यवस्था अमल में लाई जानी चाहिए. थरूर ने खरगे गुट पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि मेरे कुछ साथी नेतागीरी में पड़े हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि उन्हें पता है कि सोनिया गांधी क्या चाहती हैं और किसे (अध्यक्ष बनाना) चाहती हैं. इस तरह की नेतागीरी सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. यह अनेक राज्यों में फैली है. क्या आपको (पार्टी कार्यकर्ताओं) उन सोनिया गांधी की जुबान पर भरोसा नहीं है, जो पार्टी चला रही हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि आप चुनाव लड़ें और हम (गांधी परिवार) तटस्थ रहेंगे.’