आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हर कोई चाहता है कि नई शिक्षा नीति छात्रों को अच्छा इंसान बनाने और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद करे. यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में दशहरा कार्यक्रम के दौरान कहा कि शक्ति शांति का आधार है. बताते चलें कि दशहरा के मौके पर RSS में शस्त्र पूजन की परंपरा है. इस परंपरा के तहत एक विशाल कार्यक्रम किया जाता है. इस साल कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर यानी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला संतोष यादव हैं. इस मौके पर आरएसएस प्रमुख ने जनसंख्या असंतुलन से लेकर नई शिक्षा नीति तक कई विषयों पर खुलकर बात की.
विजयादशमी उत्सव के मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने आबादी के मुद्दे पर कहा कि जनसंख्या बोझ है, लेकिन ये साधन भी बन सकता है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पांथिक आधार पर इसका संतुलन भी जरूरी है, इसकी अनदेखी करना भारी पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इसी संतुलन बिगड़ने के कारण इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा नाम से नए देश बन गए. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति गंभीर मंथन के बाद तैयार की जानी चाहिए और इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए. शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है.
मोहन भागवत ने नारियों की स्थिति पर अपने संबोधन में कहा कि हम उन्हें जगतजननी मानते हैं, लेकिन उन्हें पूजाघर में बंद कर देते हैं ये ठीक नहीं है. मातृशक्ति के जागरण का कार्यक्रम अपने परिवार से प्रारंभ करना होगा, फैसला लेने में महिलाओं को भी साबित करना होगा. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नई शिक्षा नीति पर बात करते हुए कहा कि हर कोई चाहता है कि नयी शिक्षा नीति छात्रों को अच्छा इंसान बनाने और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद करे. यहां उन्होंने महिलाओं संग समानता पर भी बात की.