यूपी विधानसभा में चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने 15 मार्च को इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस के विधायकों की संख्या यूपी विधानसभा में सात से घटकर सिर्फ दो रह गई है। विधानसभा चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान सक्रिय रहने वाली प्रियंका गांधी भी अब एक्टिव नहीं दिख रही हैं।

कांग्रेस आलाकमान ने यूपी के लिए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। पिछले कई महीनों से ये कुर्सी खाली पड़ी थी। कांग्रेस ने बुंदेलखंड से आने वाले नेता बृजलाल खाबरी को यूपी की कमान सौंपी है। साथ ही छह प्रांतीय अध्यक्ष भी घोषित किए हैं।
बृजलाल खाबरी पहले बसपा में थे। मायावती की पार्टी से ही जालौन से सांसद बने थे। 2016 में बसपा से मन भरा तो कांग्रेस में आ गए। बृजलाल यूपी में दलित नेता के तौर पर जाने जाते हैं और बुंदेलखंड में उनकी अच्छी पकड़ है। हालांकि इस पकड़ के बावजूद पिछला चुनाव बुरी तरह से हार गए थे।
बृजलाल खाबरी के साथ कांग्रेस ने जिस टीम को यूपी की राजनीति के मैदान में उतारा है, उसमें कई बड़े नाम शामिल हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में छह क्षेत्रीय प्रमुखों को नियुक्त किया। जिसमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अजय राय, वीरेंद्र चौधरी, नकुल दुबे, अनिल यादव और योगेश दीक्षित के नाम शामिल हैं।
कांग्रेस की ये लिस्ट ये तो साफ कर रही है कि कांग्रेस अभी से 2024 के चुनाव में जुट गई है। इनकी नियुक्तियों में जातीय समीकरण का भरपूर ध्यान रखा गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो दलित है। यूपी के प्रदेश अध्यक्ष भी अब दलित बनाए गए हैं। साथ ही जिन धाकड़ नेताओं की फौज खाबरी को दी गई है, उसमें अजय राय भूमिहार जाति से हैं, जिनकी संख्या पूर्वांचल में अच्छी खासी है। अजय राय भी इसी इलाके से आते हैं। दूसरा नाम नसीमुद्दीन सिद्दीकी का है, जो यूपी में मुस्लिम चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं, ये भी पहले बसपा के बहुत बड़े नेता थे।
इसके बाद नाम आता है, वीरेंद्र चौधरी का, जो अभी वर्तमान में कांग्रेस से विधायक है, ओबीसी से आते हैं। यूपी में कांग्रेस की लाज बचाने वाले दो विधायकों में से एक है। नकुल दुबे भी बसपा से कांग्रेस में आए थे। ये भी यूपी में पकड़ वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं। अनिल यादव सपा से कांग्रेस में आए हैं। कभी अखिलेश के करीबी थे।